जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि एम्स के निदेशक कह चुके हैं कि रेमडेसिविर दवा कोरोना का इलाज नहीं है, फिर इस पर बैन क्यों नहीं लग रहा? गलत जानकारी के कारण लोग 20000 से 30000 रुपए तक देकर इस दवा को खरीद रहे हैं। इस दवा पर सरकार को रोक लगानी चाहिए।
मंदिरी स्थित पार्टी कार्यालय में मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि पीएमसीएच और एनएमसीएच में लैब टेक्नीशियन और डाटा आपरेटर्स की कमी है। जो कर्मी पहले कार्यरत थे उनमें से अधिकतर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। सरकार कह रही है कि एनएमसीएच को 500 बेड का कोविड अस्पताल बनाया गया है लेकिन स्थिति गंभीर है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में इतनी बुरी स्थिति है कि कल्पना नहीं की जा सकती है। कोरोना वार्ड में मरीजों को खाना खिलाने वाला कोई नहीं है। कहा कि एंबुलेंस वाले मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए 12000 रुपए ले रहे हैं। कई डाक्टर महंगी दवाएं लिख रहे हैं जबकि कोरोना के इलाज से उसका कोई लेनादेना नहीं है।
एक KM का किराया 12000 रु ले रहा हैं एम्बुलेंस वाले। एक मरीज को तीन हॉस्पिटल बेड के लिए भटकना पड़ा उससे 36000 रु ले लिया।
CM नीतीश कुमार जी यह लूट किसके संरक्षण में हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग, आपकी सरकार, BJP अथवा, जदयू किसे मिल रहा है इस लूट की हिस्सेदारी? आखिर किसकी जिम्मेदारी? pic.twitter.com/AF322XDm2H
— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) April 20, 2021