लगातार बेकाबू हो रहे कोरोना संक्रमण से बिहार की स्थिति भयावह होती जा रही है और काफी तेजी से लोग काल के गाल में समा रहे हैं. महाराष्ट्र और दिल्ली की तरह बिहार में भी संक्रमण की रफ्तार बढ़ गई है. 24 घंटे में 10 हजार 455 नए मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई है, जबकि इस दौरान 51 लोगों की मौत हो गई. पटना के हालात काफी बिगड़ चुके हैं और जिला प्रशासन खुद असमंजस में है कि कहां-कहां कंटेनमेंट जोन बनाए जाएं. कोरोना की दूसरी लहर में वायरस इलाज का मौका नहीं दे रहा है, अस्पताल इंतजार की बात कर रहे हैं। सरकारी अस्पतालों की तरह अब प्राइवेट में भी बेड फुल होने से नो एंट्री हो गई है। पटना के लगभग सभी छोटे बड़े अस्पताल कोविड के मरीजों से फुल हैं।
पटना में सबसे अधिक 2186 नए मरीज मिले हैं. गया में 1081, मुजफ्फरपुर में 544, सारण में 530 समेत सभी जिलों में कई गुना मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ चिंता इस बात की है कि रिकवरी रेट में भी तेजी से गिर रही है. बिहार में रिकवरी रेट घटकर 82.99 प्रतिशत तक पहुंच चुका है. स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के बाद सैम्पलिंग भी बढ़ा दी गई है और 24 घंटे में 106156 मरीजों का टेस्ट किया गया है, जहां 10 हजार से ज्यादा पॉजिटिव मरीज मिले हैं. वहीं, 24 घंटे में महज 3577 लोग ही स्वस्थ हुए हैं जो कि काफी खतरनाक संकेत है.
राज्य में एनएमसीएच समेत 3 मेडिकल कॉलेज को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है. इसके बावजूद बेड की स्थिति सामान्य नहीं हुई है. ऑक्सीजन की किल्लत भी बरकरार है. सभी निजी अस्पतालों को डिमांड का 40 प्रतिशत ऑक्सीजन ही दिया जा रहा है, जिससे अस्पताल नए मरीजों को भर्ती नहीं ले रहा है. जिला प्रशासन की मानें तो 5200 से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति अस्पतालों में की गई है और तेजी से रिफलिंग का काम चल रहा है और जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी. ट्रैकिंग और ट्रेसिंग का काम भी तेजी से चल रहा है जो बाहर से आनेवाले श्रमिक हैं, उन पर खास नजर रखी जा रही है.
इधर पटना के अस्पतालों का हाल ऐसा है की एक बेड के लिए इंसान अस्पताल से अस्पताल भटक रहे है कही पर ऑक्सीजन के कारण मना कर दिया जा रहा तो किसी ने भीड़ के कारण दो दिन बाद की वेटिंग बता रहा। कई अस्पतालों ने तो अब फोन ही उठाना बंद कर दिये है। पटना में बेड का जो हाल है, ऐसे में तो मरीजों को इंतजार करते-करते जान चली जा रही है ।
इधर बिहार स्टेट बार काउंसिल के युवा सदस्य शशि एस किशोर की मौत ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण मौत हो गई। कोरोना से संक्रमित होने के बाद एस किशोर को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था।
मगध, भोजपुर व सारण में 30 कोरोना की भेंट चढ़े
मगध, भोजपुर व सारण में 30 लोग अपनी जान गंवा बैठे। नालंदा के दो और सारण व रोहतास के एक एक मरीज की मौत पटना में हो गई। मंगलवार को रोहतास में सात तो गया में छह मरीजों की मौत हो गई। रोहतास में सात में से चार की मौत नारायण मेडिकल कॉलेज, दो की मौत सासाराम सदर हॉस्पिटल तो एक की मौत इलाज के लिए पटना जाने के क्रम में बीच रास्ते में हो गई। वहीं गया में मरनेवाले छह मरीजों में से चार गया के जबकि दो जहानाबाद के थे। जहानाबाद में तीन, गोपालगंज के तीन, बक्सर में दो, नवादा में दो, सीवन में तीन व हाजीपुर एक को कोरोना ने लील लिया।
ऑक्सीजन के भरे टैंकर को लेकर आज रवाना होगी ऑक्सीजन एक्सप्रेस
देश में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए रेलवे द्वारा शुरू की गई ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन बुधवार को भरे हुए ऑक्सीजन टैंकर लेकर रवाना होगी। इसके पहले मुंबई और आसपास के क्षेत्रों से खाली टैंकर लेकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस सोमवार को विशाखापट्टनम के लिए रवाना हुई थी। अन्य राज्यों में भी जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन के खाली टैंकरों को ले जाने और भरे हुए टैंकर लाने के लिए भी ऑक्सीजन एक्सप्रेस की तैयारी हो रही है। उनके लिये राज्यों के साथ सहयोग एवं तकनीकी दिक्कतों को दूर करना शुरू किया जाएगा।
कुछ लोगों की नादानी स्थिति को बना रही और भयावह,
कोरोना कहर के बीच जहां एक-दूसरे से मिलने में भी लोग डर रहे हैं। सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक में लोग परेशान हैं। कुछ लोगों की गलती भी स्थिति को डरावनी बना रही है। जिनको कोविड नहीं है वे भी दवा और सिलेंडर खरीद कर रख रहे हैं इससे स्थिति पैनिक होती जा रही है। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी वजह से इलाज की पूरी व्यवस्था में परेशानी और ज्यादा बढ़ जा रही है। ज्यादातर लोगों की स्थिति इसलिए नाजुक हो जा रही है कि कोविड जांच रिपोर्ट आने में देर हो रही है। इस बार कोरोना का नया स्ट्रेन है। यह लोगों को संभलने का मौका नहीं दे रहा। इसलिए एकदम अलर्ट मोड में रहें। स्वस्थ हैं तो आगे भी कैसे स्वस्थ रहें इस मोड में लाइफ स्टाइल को लाएं। कोविड को लेकर कौन-कौन सी परेशानियां आ रही हैं इस पर सोशल एक्टिवस्ट और डॉक्टरों से भास्कर ने बात की।
स्थिति इसलिए भयावह
कुछ सोशल एक्टिविस्ट से बात करने पर यह बात सामने आई कि कई लोग कोरोना के इलाज को पैनिक कर रहे हैं। लोग इतने डरे हुए हैं कि कोरोना की दवा घर में स्टॉक कर रहे हैं। मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराने की मुहिम में वर्षों से लगे मुकेश हिसारिया बताते हैं कि जिन घरों में कोरोना का एक भी मरीज नहीं है वैसे कई लोग रेमडेसिविर दवा खरीद कर रख रहे हैं। वे बताते हैं कि कई अस्पतालों में मरीज के परिजनों को यह दवा लाने के लिए कह दिया जा रहा है और परिजन पागलों की तरह इस दवा को खोजते फिर रहे हैं। यह इंजेक्शन लेकर परिजन आ रहे हैं तो डॉक्टर प्लाज्मा के लिए लिख दे रहे हैं। परिजन फिर प्लाज्मा के लिए चक्कर काटने लगते हैं। वे प्लाज्मा की स्थिति को समझाते हैं कि कोविड पॉजिटिव होने से निगेटिव होने के 28 दिनों के बाद ही डोनर प्लाजमा डोनेट कर सकते हैं।
प्लाज्मा डोनेट भी नहीं मिल रहे
कोविड निगेटिव होने के बाद जिसका एंटीबॉडी 6 से ऊपर है, वही प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। कोविड निगेटिव होने के बाद अगर आपने कोविड का टीका लिया है तो आप दूसरे डोज का टीका लगने के भी 28 दिनों के बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। मुकेश बताते हैं कि अक्टूबर 2020 के बार कोरोना का प्रकोप बिल्कुल कम हो गया था। कोरोना का दूसरा वेब मार्च 2021 में शुरू हुआ है। ऐसे में पिछले तीन महीने में कोविड रिकवर लोगों की संख्या काफी कम है। उनमें से ज्यादातर लोगों ने कोरोना का टीका लिया हुआ है। यही कारण है कि कोविड प्लाज्मा के नए डोनर तेजी से जेनरेट नहीं हो रहे हैं।
आगे की चिंता कर रहे
मुकेश हिसारिया कहते हैं कि अभी कोरोना की जो स्थिति है उसमें आदमी चार दिन आगे की चिंता कर रहा है। पटना में ऐसे भी परिवार हैं जो चार-चार सिलेंडर घर में रख रहे हैं। जो आदमी स्वस्थ है वह भी फोन कर पूछ रहा है कि उसकी तबीयत बिगड़ी तो उसे बेड दिलवा देंगे ना? हद यह है कि ऐसे सवाल करने वालों में युवा भी शामिल हैं। जो लोग सिलेंडर ले जा रहे, वे वापस नहीं कर रहे। डर से आगे के लिए सुरक्षित रख ले रहे हैं। मॉरल ड्यूटी पर स्वार्थ हावी है।
लोग सिलेंडर ले जा रहे, वापस नहीं कर रहे
दूसरी बड़ी दिक्कत ऑक्सीजन सिलेंडर की है। कोरोना के खौफ के बीच लोगों के घर-घर जाकर लोगों को फ्री में ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की मुहिम में लगे गौरव राय ने सोशल मीडिया पर अपने गुस्से का इजहार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री से पूछा है कि 7 हजार में मिलने वाले सिलेंडर का मूल्य 30 से 40 परसेंट क्यों बढ़ गया है? उन्हें सोशल मीडिया पर अपील करना पड़ रही है कि -महामारी के विकराल रूप को देखते हुए निवेदन है जो लोग ठीक हो गए हैं और सिलेंडर की जरूरत नहीं पड़ रही है कृपया सहयोग करें और सिलेंडर वापस करें। अजीब स्थिति है कि गौरव राय जिन लोगों को मुफ्त में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करा रहे हैं उनमें से कई ऐसे हैं, जो उसे लौटा नहीं रहे। भविष्य की चिंता के साथ रख ले रहे हैं।
कुछ दवाओं को लेकर पैनिक स्थिति
भास्कर ने कई डॉक्टरों से बात की। डॉक्टरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में जहां फेवीफ्लू दवा दी जा रही है वहीं बिहार में एजिथ्रल, डॉक्सीसाइलिन या रेमडिसिवर दी जा रही है। स्थिति यह है कि आइवरमेक्ट्रिन जो तीन गोली का कोर्स है वह नहीं मिल रहा है। यह कीड़ा मारने की दवा है। अस्पतालों में मरीज इतनी अधिक संख्या में आ रहे हैं कि उन्हें लौटाना पड़ रहा है। प्राइवेट अस्पतालों को भी दवा ठीक से उपलब्ध नहीं हो पा रही है। दवा की किल्लत पर डॉक्टरों का कहना है कि यह किल्लत इसलिए भी हो रही है कि जिनके घर कोई मरीज नहीं हैं वे भी दवा खरीद कर रख रहे हैं। पारासिटामोल की दवाएं भी लोग खरीद-खरीद कर रख रहे हैं। कुछ लोग तो रेमडिसिवर भी खरीद कर रख रहे हैं।
RTPCR रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर आनी चाहिए, देर हो रही हो और सिम्टम हैं तो इस समय को गंवाएं नहीं
RTPCR टेस्ट ही कोरोना की सही जांच है। कई मामलों में रैपिड टेस्ट से लोग धोखा खा चुके हैं। हद यह कि RTPCR टेस्ट की व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं हो रही है। कुछ निजी पैथोलॉजी जिनकी साख बाजार में अच्छी है, वे भी RTPCR के लिए घर से सैंपल लेने में तीन-चार दिन लगा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में सैंपल देने पर छह-सात दिन लग रहे हैं। इस देरी की वजह से ही पाटलिपुत्रा अशोका के कलेक्शन सेंटर पर मरीजों ने तोड़फोड़ की थी। डॉ. राजीव कुमार सिंह कहते हैं कि कोरोना का सिम्टम है और रैपिड में निगेटिव आया तो उन्हें आइसोलेट होकर सिम्टम के आधार पर दवा शुरू हो जानी चाहिए। यह ध्यान रखें कि RTPCR जल्द से जल्द जरूर कराएं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की एक्ज्क्यू्टिव कमेटी में रह चुके डॉ. अजय कुमार कहते हैं कि 24 घंटे में RTPCR रिपोर्ट आनी चाहिए। अगर नहीं आ रही तो यह सरकार का फेल्योर है। वे कहते हैं कि रिपोर्ट आने में देर हो रही हो और सिम्टम है तो ऑक्सीजन और बाकी दवाएं चलानी चाहिए।
इम्यून सिस्टम मजबूत बनाएं, सांस से जुड़ा योग नियमित करें
डॉक्टर हों या सोशल वर्कर सभी यही कहते हैं कि कोरोना से शांत दिमाग से लड़ने की जरूरत है न कि इसे पैनिक करने की। लोगों को इम्यून सिस्टम मजबूत करने पर जोर देना चाहिए। सांस से जुड़े योग पर ध्यान देना चाहिए।