कोरोना काल के मध्य में बिहार में हुए चुनाव में भाजपा की टीम ने कांटे की टक्कर में जीत हासिल तो कर ली है पर अब भाजपा की अग्निपरीक्षा अप्रैल महीने में होने जा रही पांच राज्यों के चुनाव में होगी। इन पांचो राज्यों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका न के बराबर है। ऐसे में पश्चिम बंगााल‚ केरल‚ तमिल नाडू़‚ असम व पुडु़चेरी का चुनाव बिहार से बिलकुल अलग है॥। आगामी पांच राज्यों के चुनाव में खासकर भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। कोरोना का कोहराम अब ढ़लान पर है। देश की जनता खुले में सांस लेने लगी है। वैक्सीन लगना भी शुरू हो गया है। साथ ही महंगाई भी अंगड़़ाई ले रही है। रसोई गैस के दाम में आग लगी है। जनता इन पांचों राज्यों में राजनीतिक दलों की पहचान शुरू कर दी है और समय आने पर अपनी पसंद को भी दिखा देगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जेपी नड्ड़ा ने बिहार की जीत से बोहनी तो कर दी है पर पश्चिम बंगाल में उन्हें ममता बनर्जी से जोरदार चुनौती मिल रही है। बंगाल में साम‚दाम‚ दंड़‚भाग‚ विग्रह व नीति के पासे फेंके जा रहे हैं। भाजपा ने ममता बनर्जी के कई विधायकों को अपने पाले में खींचकर चुनाव रोमांचक बना दिया है। लेकिन भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद पश्चिम बंगााल में तमाम सर्वे ममता बनर्जी को फिर सीएम की कुर्सी पर बिठाते दिख रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष २०१६ के विधानसभा चुुनाव में भाजपा को महज ३ सीटें मिली थी जबकि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने कुल २९४ सीटों में २११ सीटें जीतकर बंगाल फतह कर लिया था। वर्ष २०१६ के परिणाम को देखते हुए भाजपा को सत्ता तक पहुंचने में लंबी दूरी तय करनी है। फिर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं ने ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने के लिए सारी ताकत झोंक दी है। बिहार से भाजपा की टीम पिछले १५ दिनों से पश्चिम बंगाल में डे़रा ड़ाली है। बिहार से एक टीम असम भी गयी है। असम में सत्ताधारी भाजपा की हालत दिख रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की कुल १२६ सीटों में भाजपा को ६० सीटें मिली थी जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को २६ सीटें मिली। दक्षिण भारत के तीन राज्यों तमिलनाडू़‚ केरल व पुडु़चेरी का समीकरण हिन्दी भाषी राज्यों से बिलकुल अलग है। इन तीनों राज्यों में भाजपा जीत के लिए संघर्ष कर रही है। तमिलनाडू़ में अमूमन हर पांच वर्ष पर सरकार बदलने की परंपरा रही है। ऐसे में वहां भाजपा की सहयोगी अन्नद्रमुक को फिर से सत्ता पाना मुश्किल दिख रहा है। तमिलनाडु़ में कांग्रेस का गठबंधन द्रमुक से है। वहां द्रमुक की स्थिति अच्छी बतायी जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में तमिलनाडू की कुल २३२ सीटों में सत्ताधारी अन्नाद्रमुक को १३४ सीटें तथा द्रमुक को ८९ सीटें मिली थी। केरल में वामदलों का रूतबा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में केरल की कुल १४० सीटों में माकपा को ५८‚ भाकपा को १९ तथा भाजपा को मात्र एक सीट मिली थी। भाजपा ने उस समय खाता खोला था।
पांच राज्यों के चुनाव में पुडुचेरी सबसे छोटा राज्य है। यहां कुल ३० सीटें हैं और महज एक सीट के हेर फेर से खेल बनता व बिगड़़ता है। हाल ही में यहां सरकार गिर गई। अब नए सिरे से चुनाव होने जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में पुडु़चेरी में कांग्रेस को ३० सीटों में १५ सीटें मिली थी जबकि अन्नाद्रमुक को ४ सीटें मिली थी। अब देखना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बाजी किसके हांथ लगती है। कुल मिलाकर पांच राज्यों का चुनाव भाजपा के लिए खासा अहम है। संकट से गुजर रही कांग्रेस के लिए भी पांच राज्यों का चुनाव निर्णायक साबित होगा। पुरे देश की निगाहें पांच राज्यों के चुनाव पर टिकी है।