प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में जल संरक्षण का संदेश दिया है. उन्होंने माघ मेला से अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात की शुरुआत की और कहा कि अब गर्मियों के दिन शुरू होने जा रहे हैं. इसलिए जल संरक्षण का यह सही अवसर है. पीएम मोदी ने कहा, “जल हमारे लिए जीवन, आस्था और विकास की धारा है. पानी एक तरह से पारस से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है. पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए, 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी है.”
उन्होंने कहा, “माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति,अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है. दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है. नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं. हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहां और ज्यादा मिलता है.
संत रविदास का जिक्र कर पीएम मोदी ने कहा, “युवा कोई भी काम करने के लिए पुराने तरीकों में ना बंधें.” उन्होंने कहा, आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है.” उन्होंने कहा कि संत रविदास ने कहा था हम सभी एक ही मिट्टी के बर्तन हैं, हम सभी को एक ने ही गढ़ा है. पीएम ने कहा, “यह मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूं. संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है.”
पीएम मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम में संस्कृत की दो ऑडियो क्लिप भी सुनाए जिसमें एक टूरिस्ट संस्कृत में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में दर्शकों को बता रहे हैं. दूसरे ऑडियो में एक शख्स संस्कृत में क्रिकेट की कमेंट्री कर रहा है. वह शख्स वाराणसी के संस्कृत केंद्र से संबंधित है. पीएम ने कहा कि क्रिकेट के अलावा अन्य खेल की कमेंट्री भी शुरू होनी चाहिए. इसके लिए उन्होंने खेल मंत्रालय और निजी क्षेत्र से भी भागीदारी की अपील की.
पीएम मोदी ने आगामी परीक्षा के बारे में भी चर्चा की और छात्रों का मनोबल बढ़ाया. उन्होंने शिक्षकों और छात्रों से माय गॉव पोर्टल पर संपर्क करने की सलाह दी और कहा कि वहां परीक्षा के टिप्स दिए गए हैं. जि सका लाभ उठाना चाहिए. पीएम ने कहा, “आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है. यह वैज्ञानिक डॉ. सीवी रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज के लिए समर्पित है. हमारे युवाओं को भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में बहुत कुछ पढ़ना चाहिए और भारतीय विज्ञान के इतिहास को समझना चाहिए.”
पीएम ने बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच फिर से लोगों को सचेत रहने को कहा है और कहा है कि परीक्षा के मौकों से लेकर त्योहारों तक सभी को कोरोना वायरस के बीच सतर्क रहना है और जरूरी सुरक्षात्मक कदम उठाने हैं.
उनका यह मासिक कार्यक्रम है जो महीने के आखिरी रविवार की सुबह 11 बजे आकाशवाणी पर प्रसारित किया जाता है. आज उनके लोकप्रिय कार्यक्रम का 74वां संस्करण है. इस महीने की शुरुआत में ही पीएम मोदी ने ट्विटर पर लोगों से इस एपिसोड के लिए मन की बात कार्यक्रम में अलग-अलग विषयों पर सुझाव मांगे थे.
माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती होती है। आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है। उन्होंने कहा था-
एकै माती के सभ भांडे,सभ का एकौ सिरजनहार।
रविदास व्यापै एकै घट भीतर, सभ कौ एकै घड़ै कुम्हार।।
हम सभी एक ही मिट्टी के बर्तन हैं, हम सभी को एक ने ही गढ़ा है।
संत रविदास जी ने समाज में व्याप्त विकृतियों पर हमेशा खुलकर अपनी बात कही। उन्होंने इन विकृतियों को समाज के सामने रखा, उसे सुधारने की राह दिखाई और तभी तो मीरा जी ने कहा था–
‘गुरु मिलिया रैदास, दीन्हीं ज्ञान की गुटकी’।
ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूँ। संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है। हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, यानी, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है। हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरुर सीखनी चाहिए | युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को, पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए| आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए|
अपने तौर तरीके भी खुद बनाइए और अपने लक्ष्य भी खुद ही तय करिए। अगर आपका विवेक, आपका आत्मविश्वास मजबूत है तो आपको दुनिया में किसी भी चीज से डरने की जरुरत नहीं है। मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ क्योंकि कई बार हमारे युवा एक चली आ रही सोच के दबाव में वो काम नहीं कर पाते, जो करना वाकई उन्हें पसंद होता है। इसलिए आपको कभी भी नया सोचने, नया करने में, संकोच नहीं करना चाहिए। सी तरह, संत रविदास जी ने एक और महत्वपूर्ण सन्देश दिया है ।
ये सन्देश है – ‘अपने पैरों पर खड़ा होना’ ।
हम अपने सपनों के लिये किसी दूसरे पर निर्भर रहें ये बिलकुल ठीक नहीं है। जो जैसा है वो वैसा चलता रहे, रविदास जी कभी भी इसके पक्ष में नहीं थे और आज हम देखते है कि देश का युवा भी इस सोच के पक्ष में बिलकुल नहीं है।
-पीएम मोदी
हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी , जिन्होंने, गेहूं , चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं …. इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था।
-पीएम मोदी
साथियों, पानी को लेकर हमें इसी तरह अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को समझना होगा। भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई-जून में बारिश शुरू होती है। क्या हम अभी से अपने आसपास के जलस्त्रोतों की सफाई के लिये, वर्षा जल के संचयन के लिये, 100 दिन का कोई अभियान शुरू कर सकते हैं? इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान – ‘Catch the Rain’ भी शुरू किया जा रहा है। इस अभियान का मूल मन्त्र है – ‘Catch the rain, where it falls, when it falls.’
– पीएम मोदी
हम अभी से जुटेंगे, हम पहले से जो rain water harvesting system है उन्हें दुरुस्त करवा लेंगे, गांवो में, तालाबों में, पोखरों की, सफाई करवा लेंगे, जलस्त्रोतों तक जा रहे, पानी के रास्ते की रुकावटें, दूर, कर लेंगे तो ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल का संचयन कर पायेंगे।”- पीएम मोदी
लद्दाख के उरगेन फुत्सौग जी इतनी ऊंचाई पर Organic तरीके से खेती करके करीब 20 फसलें उगा रहे हैं वो भी cyclic तरीके से, यानी वो, एक फसल के waste को, दूसरी फसल में, खाद के तौर पर, इस्तेमाल कर लेते हैं।
-पीएम मोदी
असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये। आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे।
अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है ।”
– पीएम
ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर | वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं| दरअसल वे Man on a Mission हैं | वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं|”
– पीएम