लोकसभा (Lok Sabha) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) भाषण दे रहे हैं। पीएम मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दे रहे हैं। भाषण में उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है। विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कही।” उन्होंने कहा, “उनका एक एक शब्द देशवासियों में एक नया विश्वास पैदा करने वाला है और हर किसी के दिल में देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाने वाला है, इसके लिए हम उनका जितना आभार व्यक्त करें उतना कम है।”
पीएम मोदी ने कहा, “इस सदन में भी 15 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई है, रात को 12 बजे तक हमारे सभी माननीय सांसदों ने इस चेतना को जगाया है। चर्चा में भाग लेने वाले सभी माननीय सदस्यों का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, विशेष रूप से महिला सांसदों का आभार है। क्योंकि, चर्चा में उनकी भागीदारी ज्यादा थी, विचारों की धार थी, रिसर्च करके बातें रखने का उनका प्रयास था और अपने आप को एक तरह से तैयार करके उन्होंने इस सदन को समृद्ध किया है, इसलिए उनकी यह तैयारी तर्क और सूजबूझ के लिए अभिनंदन, आभार।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने वाला है, 75 वर्ष का पड़ाव हर हिंदुस्तानी के लिए गर्व का है और आगे बढ़ने के पर्व का भी है, इसलिए समाज व्यवस्था में हम कहीं पर भी हों, देश के किसी भी कोने में हों, सामाजिक व्यवस्था में हमारा स्थान कहीं पर भी हो, लेकिन सबने मिलकर आजादी के इस पर्व से एक नई प्रेरणा प्राप्त करके 2047 जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, हम उन 25 साल को देश को कहां लेकर जाना है, यह संकल्प हर देशवासी के दिल में हो, यह वातावरण बनाने का काम इस परिसर का है।”
पीएम मोदी ने कहा, “देश जब आजाद हुआ और जो अंतिम ब्रिटिश कमांडर थे, जब यहां से गए, तो कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र कभी नहीं बना पाएगा। ये घोषणाएं हुई थी, लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा और हम हमारी अपनी परंपरा आज विश्व के सामने एक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं और विश्व के लिए आस्था की किरण बनकर खड़े हुए हैं।” पीएम ने कहा, “कुछ लोग ये कहते थे कि “India was a miracle democracy”. ये भ्रम भी हमने तोड़ा है। लोकतंत्र हमारी रगों और सांस में बुना हुआ है, हमारी हर सोच, हर पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ रहता है।”
पीएम मोदी ने कहा, “आज जब हम भारत की बात करते हैं तो मैं स्वामी विवेकानंद जी की बात का स्मरण करना चाहूंगा। उन्होंने कहा था “हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है, जो उसे पहुंचाना होता है, हर राष्ट्र का एक मिशन होता है, जो उसे हासिल करना होता है, हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वो प्राप्त करता है।”” उन्होंने कहा, “जिन संस्कारों को लेकर हम पले-बढ़े हैं, वो हैं- सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया। कोरोना कालखंड में भारत ने ये करके दिखाया है।” उन्होंने कहा, “कोरोना काल में भारत ने जिस प्रकार से अपने आपको संभाला और दुनिया को संभालने में मदद की, वो एक प्रकार से ‘‘टर्निंग प्वाइंट’’ है।”
पीएम मोदी ने कहा, “हमारे लिए संतोष और गर्व का विषय है कि कोरोना के कारण कितनी बड़ी मुसीबत आएगी इसके जो अनुमान लगाए गए थे कि भारत कैसे इस स्थिति से निपटेगा। ऐसे मैं ये 130 करोड़ देशवासियों के अनुशासन और समर्पण ने हमें आज बचा कर रखा है।” उन्होंने कहा, “इसका गौरवगान हमें करना चाहिए। भारत की पहचान बनाने के लिए ये भी एक अवसर है।” उन्होंने कहा, “हम कोरोना से जीत पाए, क्योंकि डॉक्टर्स, सफाई कर्मचारी, एम्बुलेंस का ड्राइवर ये सब भगवान के रूप में आए। हम उनकी जितनी प्रशंसा करें, जितना गौरवगान करेंगे, उससे हमारे भीतर भी नई आशा पैदा होगी।”
पीएम ने कहा, “दुनिया के बहुत सारे देश कोरोना, लॉकडाउन, कर्फ्यू के कारण चाहते हुए भी अपने खजाने में पाउंड और डॉलर होने के बाद भी अपने लोगों तक नहीं पहुंचा पाए। लेकिन, ये हिंदुस्तान है जो इस कोरोना कालखंड में भी करीब 75 करोड़ से अधिक भारतीयों को 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है। यही भारत है जिसने जनधन, आधार और मोबाइल के द्वारा 2 लाख करोड़ रुपया इस कालखंड में लोगों तक पहुंचा दिया।” उन्होंने कहा, “कोरोना कालखंड में जनधन खाते, आधार, ये सभी गरीब के काम आए। लेकिन कभी-कभी सोचते हैं कि आधार को रोकने के लिए कौन लोग सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे में गए थे?”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “इस कालखंड में भी हमने रिफॉर्म का सिलसिला जारी रखा है। हम इस इरादे से चले है कि भारत की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हमें नए कदम उठाने होंगे। और, हमने पहले दिन से ही कई कदम उठाए हैं।” पीएम ने कहा, “हमारे लिए आवश्यक है कि हम आत्मनिर्भर भारत के विचार को बल दें। ये किसी शासन व्यवस्था या किसी राजनेता का विचार नहीं है। आज हिंदुस्तान के हर कोने में वोकल फ़ॉर लोकल सुनाई दे रहा है। ये आत्मगौरव का भाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत काम आ रहा है।”
पीएम ने कहा, “इस कोरोना काल में 3 कृषि कानून भी लाये गए। ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है और बरसों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है, उसको बाहर लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना ही होगा और हमने एक ईमानदारी से प्रयास किया भी है।” उन्होंने कहा, “मैं देख रहा था कि कांग्रेस के साथियों ने जो चर्चा की, वो इस कानून के रंग पर तो बहुत चर्चा कर रहे थे। अच्छा होता कि उसके कंटेट और इंटेट पर चर्चा करते। ताकि देश के किसानों तक सही चीजें पहुंचती।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हम मानते हैं कि इसमें सही में कोई कमी हो, किसानों का कोई नुकसान हो, तो बदलाव करने में क्या जाता है। ये देश देशवासियों का है। हम किसानों के लिए निर्णय करते हैं, अगर कोई ऐसी बात बताते हैं जो उचित हो, तो हमें कोई संकोच नहीं है। कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ। ये सच्चाई है। इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है।” इस दौरान सदन में हंगामा होने लगा।
हंगामे पर पीएम मोदी ने कहा, “संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है।” उन्होंने कहा, “कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है।”
पीएम ने कहा, “मैं हैरान हूं, पहली बार एक नया तर्क आया है कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों। दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया।” उन्होंने कहा, “मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है।” पीएम ने कहा, “हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं। हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है।”
पीएम ने कहा, “कृषि के अंदर जितना निवेश बढ़ेगा, उतना ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। हमने कोरोना काल में किसान रेल का प्रयोग किया है। यह ट्रेन चलता-फिरता एक कोल्ड स्टोरेज है। दूसरा महत्वपूर्ण काम जो हमने किया है वो यही 10,000 FPOs बनाने का। ये छोटे किसानों के लिए एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरने वाले हैं। महाराष्ट्र में FPOs बनाने का विशेष प्रयोग हुआ है। केरल में भी कम्युनिस्ट पार्टी के लोग काफी मात्रा में FPO बनाने के काम में लगे हुए हैं। ये 10,000 FPOs बनने के बाद छोटे किसान ताकतवर बनेंगे, ये मेरा विश्वास है।”
पीएम ने कहा, “सरदार पटेल कहते थे कि- “स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यदि परतंत्रता की दुर्गंध आती रहे, तो स्वतंत्रता की सुगंध नहीं फैल सकती।” जब तक हमारे छोटे किसानों को नए अधिकार नहीं मिलते तब तक पूर्ण आजादी की उनकी बात अधूरी रहेगी।” उन्होंने कहा, “देश का सामर्थ्य बढ़ाने में सभी का सामूहिक योगदान है। जब सभी देशवासियों का पसीना लगता है, तभी देश आगे बढ़ता है। देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी जरूरी है। आज मानवता के काम देश आ रहा है तो इसमें प्राइवेट सेक्टर का भी बहुत बड़ा योगदान है।”