नीतीश कैबिनेट में शामिल हुए 17 मंत्रियों में 11 नए चेहरे हैं। पहली बार राज्य कैबिनेट का हिस्सा बने मंत्रियों में सबसे कम उम्र के मंत्री जयंत राज हैं। इनकी उम्र महज 35 वर्ष हैं। पहली बार मंत्री बननेवालों में नारायण प्रसाद सबसे उम्रदराज हैं। भले ही वह तीसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं पर 63 वर्ष की उम्र में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली है। हालांकि मंगलवार को शपथ लेनेवालों में सबसे उम्रदराज मंत्री श्रवण कुमार हैं। उनकी उम्र 64 वर्ष है।
विधायक बनते ही मंत्रिमंडल में हुए शामिल
मंत्रिमंडल में शामिल नए चेहरों में जदयू के सुनील कुमार, जमा खां और जयंत राज पहली बार विधायक तो शाहनवाज हुसैन भी हाल में ही बिहार विधान परिषद के सदस्य बने हैं। वहीं नितिन नवीन, नीरज बबलू, सुबाष सिंह, आलोक रंजन, सुमित कुमार सिंह और नारायण प्रसाद इससे पहले भी विधायक रहे हैं। नए चेहरों में शामिल गोपालगंज के पूर्व सांसद जनक राम ऐसे मंत्री हैं, जो फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं हैं।
श्रवण, नारायण और सुनील कुमार 60 पार
नीतीश कैबिनेट में श्रवण कुमार, नारायण प्रसाद और सुनील कुमार ऐसे मंत्री हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है। सुबाष सिंह व प्रमोद कुमार 58, संजय कुमार झा 54 वर्ष के हैं। वहीं शाहनवाज हुसैन और सम्राट चौधरी की उम्र 53 तो नीरज बबलू 52 के करीब है।
मंत्रियों के पास पीएचडी, एमए व इंटर की डिग्रियां
पहली बार मंत्रिमंडल का हिस्सा बने 11 मंत्रियों में सबसे पढ़े-लिखे आलोक रंजन हैं। उन्होंने पीएचडी की है। जनक राम, जयंत राज ने स्नातकोत्तर की डिग्री ले रखी है तो नीरज बबलू, सुमित कुमार सिंह स्नातक हैं। शाहनवाज हुसैन ने डिप्लोमा कर रखी है। वहीं जमा खां, सुबाष सिंह और नितिन नवीन इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है। वहीं मंत्री नारायण प्रसाद मैट्रिक पास हैं। मंगलवार को कुल 17 मंत्रियों ने शपथ ली है इनमें संजय झा ने स्नाकोत्तर तो प्रमोद कुमार, मदन सहनी और नीरज बबलू ने स्नातक किया है। वहीं श्रवण कुमार और लेसी सिंह ने इंटरमीडिएट कर रखी है।
सुनील कुमार रहे हैं आईपीएस, कई कृषि व व्यवसाय से जुड़े हैं
बिहार सरकार में पहली बार किसी सेवानिवृत्त अधिकारी को भी मंत्री बनाया गया है। भोरे से जदयू के विधायक सुनील कुमार पिछले वर्ष ही डीजी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वहीं मंत्री बननेवालों में अधिकांश चेहरे कृषि और व्यवसाय से जुड़े हैं। लेसी सिंह ट्रांसफोर्ट तो मदन सहनी दवा व्यवसाय से जुड़े रहे हैं। सुमित कुमार सिंह का कृषि के साथ व्यवसाय भी है तो श्रवण कुमार, जमा खां, नारायण प्रसाद कृषि से जुड़े रहे हैं। आलोक रंजन का भी व्यवसाय है।
सरकार गठन के 84 दिन बाद नीतीश मंत्रिमंडल में 17 नए मंत्रियों को शामिल किया गया. पटना से दिल्ली तक कई दौर के महामंथन के बाद मंत्रिमंडल का जो विस्तार हुआ. उसका संदेश तो यही है कि बीजेपी ने बिहार में ‘बड़े भाई’ का ओहदा हासिल कर लिया. मंगलवार दोपहर साढ़े बारह बजे राजभवन के राजेंद्र मंडप में हुए इस शपथ ग्रहण समारोह पर पूरे बिहार की निगाहें टिकी थीं. टेलीविजन से लेकर मोबाइल तक शपथ लेने वाले हर चेहरे को गौर से देखा जा रहा था. गठबंधन के गणित और सत्ता के समीकरण को सुलझाकर इन 17 चेहरों को तय करने में बीजेपी और जेडीयू को पूरे 84 दिन लग गए थे. सबसे बड़ा चेहरा पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन का रहा.
शाहनवाज सहित बीजेपी कोटे से कुल नौ मंत्रियों ने शपथ ली जिसमें गोपालगंज से बीजेपी विधायक सुबाष सिंह, पटना की बांकीपुर सीट से विधायक नितिन नवीन, सुपौल जिले की छातापुर सीट से विधायक नीरज कुमार बबलू, एमएलसी सम्राट चौधरी के अलावा सहरसा से विधायक आलोक रंजन झा, पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार, नौतन से विधायक नारायण प्रसाद और बिना किसी सदन का सदस्य रहते हुए पूर्व सांसद जनक राम को मंत्री बनाया गया है.
बीजेपी ने युवा नेताओं को तरजीह दी तो जेडीयू ने सामाजिक और राजैनितक समीकरण का ध्यान रखते हुए धमदाहा से विधायक लेसी सिंह, बीएसपी छोड़ जेडीयू में आए चैनपुर से विधायक जमां खा, पूर्व मंत्री मदन सहनी, श्रवण कुमार और संजय झा के अलावा अमरपुर से विधायक जयंत राज, चकाई से निर्दलीय विधायक सुमित सिंह और गोपालगंज की भोरे सीट से चुनकर आए पूर्व आईपीएस सुनील कुमार को मंत्री बनाया.
इस मंत्रिमंडल विस्तार के फौरन बाद विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया मगर सबसे ज्यादा चर्चा नीतीश कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या को लेकर हो रही है. सरकार में सीएम सहित कुल 31 मंत्री हो गए हैं. बीजेपी के मंत्रियों की संख्या सबसे ज्यादा 16 हो गई है. जेडीयू के 13 मंत्री हैं. हम और वीआईपी के एक-एक मंत्री हैं. संदेश यही समझा जा रहा है कि आखिरकार सदन में 74 सीटों वाली बीजेपी ने संख्या के आधार पर ज्यादा मंत्रीपद हासिल कर सियासत में ‘बड़े भाई’ का ओहदा भी हासिल कर लिया. 50-50 के फार्मूले पर अड़े जेडीयू को सीटों के मुताबिक ही मंत्री पद पर संतोष करना पड़ा. हालांकि अब भी सरकार में मंत्री की 5 सीटें खाली हैं.