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विरोध के लिए ढेरों मुद्दे, लेकिन देश का मनोबल न गिराएं: प्रधानमंत्री

UB India News by UB India News
February 8, 2021
in VISHESH KHABRE, केंद्रीय राजनीती, खास खबर
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विरोध के लिए ढेरों मुद्दे, लेकिन देश का मनोबल न गिराएं: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य सभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दे रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कहा, अच्छा होता कि विपक्ष भी राष्ट्रपति के अभिभाषण को सुनता. साथ ही उन्होंने अभिभाषण सुनने वाले सांसदों का धन्यवाद देते हुए कहा, ’50 से अधिक सांसदों ने 13 घंटे से अधिक समय तक अपने विचार व्यक्त किए, उन्होंने अपने अमूल्य विचार व्यक्त किए. इसलिए, मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं.’

‘भारत लोकतंत्र की जननी है’
राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान हुए हंगामे पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘अच्छा होता कि राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती. लेकिन राष्ट्रपति जी के भाषण की ताकत इतनी थी कि न सुनने के बाद भी बात पहुंच गई. उन्होंने साफ कहा कि भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी कोई भी खाल उधेड़ सक.

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आज भारत एक अवसरों की भूमि

पीएम मोदी ने कहा, पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच. लेकिन जो देश युवा हो, जो देश उत्साह से भरा हुआ हो. जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता. उन्होंने कहा, ये भी सही है जब पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, भारत के युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत एक अवसरों की भूमि है. अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं.

राष्ट्रपति का उद्बोधन आत्मविश्वास पैदा करने वाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सभा में कि पूरी दुनिया चुनौतियों से जूझ रही है. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इन सबसे गुजरना होगा. इस दशक के प्रारंभ में ही हमारे राष्ट्रपति ने संयुक्त सदन में जो उद्बोधन दिया, जो नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला था. यह उद्बोधन आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला था.

कविता के जरिए विपक्ष पर निशाना
उन्होंने कहा कि हम सबके लिए ये भी एक अवसर है कि आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। यह पर्व कुछ कर गुजरने का होना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि आजादी के 100वें साल यानी 2047 में हम कहां होंगे. आज दुनिया की निगाह हम पर है. जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता कहना चाहूंगा- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है. तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल. उन्होंने कहा कि मैं सोच रहा था, 21वीं सदी में वो क्या लिखते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़.

दुनिया हमारे प्रयासों की दाद दे रहा है

पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के दौरान कोई किसी की मदद कर सके, ये मुश्किल हो गया. एक देश दूसरे देश को, एक प्रदेश दूसरे प्रदेश को, एक परिवार दूसरे परिवार की मदद नहीं कर पा रहा था. करोड़ों लोगों के मर जाने की बातें कहीं जा रही थीं. एक अनजाना दुश्मन क्या कर सकता था, इसकी उम्मीद नहीं थी. इसे कैसे डील कर सकते हैं, ये भी पता नहीं था. हमें रास्ते खोजने थे, बनाने थे, लोगों को बचाना था. उन्होंने कहा कि हमें ईश्वर ने जो बुद्धि सामर्थ्य दिया, उससे लोगों को बचाने में सफल हुए. दुनिया इसकी दाद दे रही है. विश्व के सामने गर्व करने में क्या जाता है.

देश का मनोबल तोड़ने वाली बातों में न उलझें
पीएम मोदी ने कहा, सोशल मीडिया में देखा होगा कि फुटपाथ पर बैठी बूढ़ी मां दीया जलाकर बैठी थी. हम उसका मखौल उड़ा रहे हैं, जिसने स्कूल का दरवाजा नहीं देखा, पर उन्होंने देश में सामूहिक शक्ति का परिचय करवाया. विरोध करने के लिए कितने मुद्दे होते हैं लेकिन देश के मनोबल तोड़ने वाली बातों में न उलझें. हमारे कोरोना वॉरियर्स, जिन्होंने कठिन समय में जिम्मेदारी निभाई, उनका आदर करना चाहिए. देश ने ऐसा करके दिखाया.

हंगामेदार रही कार्यवाही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, बजट सत्र की कार्यवाही अब तक हंगामेदार रही है. विपक्ष लगातार सरकार को नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर घेर रहा है. एक स्थिति तो ऐसी भी आई कि हंगामे के दौरान उपराष्ट्रपति और सभापति वैंकेया नायडू को विपक्ष से कहना पड़ा कि गलत उदाहरण मत पेश करिए. उन्होंने विपक्ष से कहा, लोगों को गुमराह न करिए कि कोई चर्चा (किसान कानूनों पर) नहीं हुई. वोटिंग हुई थी और सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने सुझाव और तर्क दिए थे.

बजट सेशन की प्रोडक्टिविटी 82% रही
सरकार के मुताबिक, बजट सत्र की प्रोडक्टिविटी 82.10% रही. बैठक का कुल समय 20 घंटे 34 मिनट रहा. 3 फरवरी को विपक्षी सांसदों के विरोध के कारण 4 घंटे 14 मिनट खराब हुए. इसके चलते सांसद 33 मिनट एक्स्ट्रा बैठे. पीएम मोदी ने कहा, भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जतायी थीं. विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताईं लेकिन भारत ने आज सबके सामने बड़ा उदाहरण पेश किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि शरद पवार समेत कई कांग्रेस के नेताओं ने भी कृषि सुधारों की बात की है. पीएम मोदी ने कहा कि आज विपक्ष यू-टर्न कर रहा है, क्योंकि राजनीति हावी है. सदन में बोलते हुए पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कथन पढ़ा, हमारी सोच है कि बड़ी मार्केट को लाने में जो अड़चने हैं, हमारी कोशिश है कि किसान को उपज बेचने की इजाजत हो. पीएम मोदी ने कहा कि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है, आप गर्व कीजिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा चुनाव के वक्त कर्जमाफी की जाती है, लेकिन छोटे किसान को इससे किसी भी तरह का फायदा नहीं होता है. पिछली बाद लाई गई फसल बीमा योजना भी बड़े किसानों के लिए ही लाई गई थी. इसका फायदा केवल उन किसानों को हुआ जो बैंक से लोन लेता था. यूरिया हो या कोई दूसरी योजना, पहले सभी योजनाओं का लाभ 2 हेक्टेयर से अधिक वाले किसानों को होता था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, सदन में सिर्फ किसान आंदोलन पर चर्चा हो रही है. छोटे किसानों को सिंचाई की सुविधा तक नहीं. पीएम मोदी ने कहा, सरकार ने 10 करोड़ किसानों के खाते में पैसे डाले. पीएम ने कहा, सरकार गरीबों पर समर्पित है. पीएम ने कहा कि छोटे किसानों की परेशानी को देखने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून को लेकर कहा, खेती की मूलभूत आवश्‍यकता क्‍या है. उन्‍होंने चौधरी चरण सिंह की बात बताते हुए कहा, 33 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनके पास जमीन 2 बीघे से कम है, 18 फीसदी जो किसान कहलाते हैं उनके पास 2-4 बीघे जमीन है. ये कितनी भी मेहनत कर ले, अपनी जमीन पर इनकी गुजर नहीं हो सकती है. मौजूदा वक्त में जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम जमीन है, वो 68 फीसदी किसान हैं. 86 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है. हमें दायित्‍व है कि हम ऐसे किसानों के बारे में सोचें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें दुनिया से लोकतंत्र सीखने की जरूरत नहीं है, भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है. जब देश में आपातकाल लगा, तो न्यायपालिका और देश की क्या हालत थी सभी को पता है. लेकिन देश का लोकतंत्र इतना ताकतवर है कि आपातकाल को हमने पार कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्‍यसभा को संबोधित करते हुए कहा, कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं. लेकिन भारत है जहां रिकॉर्ड निवेश हो रहा है. एक तरफ निराशा का माहौल है, तो दूसरी तरफ हिंदुस्तान में आशा की किरण नजर आ रही है.

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