म्यांमार में सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। सेना के स्वामित्व वाले मयावाड़ी टीवी ने सोमवार सुबह इसकी घोषणा की। खबरों में कहा गया कि स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को नजरबंजद कर लिया गया है। राजधानी में संचार के सभी माध्यम काट दिए गए हैं। नेपीता में फोन एवं इंटरनेट सेवा बंद है और सू की की नेशनल लीग फॉर ड़ेमोक्रेसी पार्टी से संपर्क नहीं हो पा रहा है।
म्यांमार के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे। हालांकि सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी। समाचार पोर्टल ‘म्यांमार नाउ’ ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया‚ सू की और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़़के गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि पोर्टल पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। ‘म्यांमार विजुअल टेलीविजन’ और ‘म्यांमार वॉइस रेडि़यो’ ने सुबह करीब साढ़ेø छह बजे फेसबुक पर पोस्ट किया कि उनके कार्यक्रम नियमित प्रसारण के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
सभी उड़़ानें बंद कीं म्यांमार की विमानसेवा संबंधी सरकारी एजेंसी ने कहा है कि उसने देश में सभी यात्री उड़़ानें रोक दी है। म्यांमार में अमेरिकी दूतावास ने अपने फेसबुक पेज पर कहा कि यांगून के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्ड़े को जाने वाली सड़़क सोमवार को बंद कर दी गई। यह देश का सबसे बड़़ा शहर है। उसने ट्विटर पर लिखा कि ‘खबरों से संकेत मिलता है कि म्यांमार में सारे हवाई अड्ड़े बंद दिए गए हैं।
सू की की पार्टी ने कुल ४७६ सीटों में से ३९६ पर जीत दर्ज की थीः सू की की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल ४७६ सीटों में से ३९६ पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़़े ३२२ से कहीं अधिक था‚ लेकिन वर्ष २००८ में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में २५ प्रतिशत सीटें सेना को दी गई हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है। सू की (७५) देश की सबसे अधिक प्रभावशाली नेता हैं। सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं।
सू की की पार्टी ने तख्तापलट का विरोध करने को कहाः म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के सियासी दल ने म्यांमार के लोगों से सोमवार के ‘तख्तापलट’ और ‘सैन्य तानाशाही’ कायम करने के प्रयासों का विरोध करने का आह्वान किया। नेशनल लीग फॉर ड़ेमोक्रेसी ने पार्टी प्रमुख सू की के फेसबुक पेज पर एक बयान जारी कर कहा है कि सेना के कदम अन्यायपूर्ण हैं और मतदाताओं की इच्छा एवं संविधान के विपरीत हैं। यह पुष्टि करना अभी संभव नहीं है कि फेसबुक पेज पर यह संदेश किसने ड़ाला है क्योंकि पार्टी के सदस्य फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं। म्यांमार में सेना के टेलीविजन चैनल पर सोमवार को कहा गया कि सेना एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले रही है। कई अन्य खबरों में कहा गया है कि सू ची समेत देश के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया गया है।
सेना ने चुनाव में धोखाधड़़ी का आरोप लगायाः सेना ने चुनाव में धोखाधड़़ी का आरोप लगाया‚ हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही। देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमीशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था। मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने कहा था कि सेना संविधान के मुताबिक कानून का पालन करेगी।
एक साल में चुनाव का वादा कियाः म्यांमार की सेना ने घोषणा की है कि वह सोमवार को घोषित एक साल के आपातकाल के बाद देश में नए सिरे से चुनाव कराएगी। सेना के नियंत्रण वाले ‘मयावाड़ी टीवी’ पर यह घोषणा की गई। इससे पहले सैन्य नियंत्रण वाले इस टीवी चैनल पर कहा गया था कि राष्ट्रीय स्थिरता क्योंकि बाधित है इसलिए सभी सरकारी कामकाज सेना प्रमुख जनरल मिन आंग लाइंग को स्थानांतरित किए जाते हैं। यह कदम २००८ के संविधान के प्रावधान के तहत उठाया गया जिसे सैन्य शासन के दौरान जारी किया गया था। घोषणा में कहा गया है कि एक बार चुनाव होने के बाद सेना जीतने वाले को सत्ता की बागड़ोर सौंप देगी।
म्यांमार १९६२ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग–थलग था तथा यहां पांच दशक तक सैन्य शासन रहा। हाल के वर्षों में लोकतंत्र कायम करने की दिशा में आंशिक लेकिन अहम प्रगति हुई थी लेकिन सोमवार को हुए तख्तापलट से इस प्रक्रिया को खासा झटका लगा है। सू की के लिए तो यह और भी बड़़ा झटका है जिन्होंने लोकतंत्र की मांग को लेकर वर्षों तक संघर्ष किया‚ वर्षों तक वह नजरबंद रहीं और अपने प्रयासों के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला॥। थ् सू की और देश के राष्ट्रपति विन मिंत को तड़़के ही हिरासत में ले लिया गया।