बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने किसान कानून पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि दिल्ली के पास एक दो राज्य विशेष के किसानों का धरना चल रहा. किसान बिल को वापस लेने की मांग कर रहे. बिहार में कोई किसान धरना पर नही बैठा. आरजेडी कांग्रेस लेफ्ट के नेता जरुर धरना पर बैठे. यहां तक कि कांग्रेस शासित राज्यों में किसान आंदोलन नही हुए. किसानों का एमएसपी, पीएम मोदी के रहते खत्म नही हो सकता.
साथ ही उन्होंने कहा कि पंजाब हरियाणा में किसानों को 8 से 10 प्रतिशत का टैक्स लगता है. नए कानून से टैक्स का प्रावधान खत्म होगा. बिहार ने 2006 में ही बाजार समिति कानून खत्म कर दिया. नीतीश कुमार को धन्यवाद है कि उन्होंने मजबूती के साथ बाजार समिति कानून खत्म किया. मोदी सरकार की कोशिश एक भारत एक कृषि बाजार का स्वरूप बनाना है. आईटीसी ने पिछले साल 1 लाख मीट्रिक टन गेहूं बिहार से खरीदा. 10 हजार टन धान और मक्का कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ही जरिये खरीदे गए. बिहार में किसी भी किसान की जमीन पर कब्जा हुआ.
उन्होंने ये भी कहा कि पंजाब में भी कॉन्ट्रक्ट फार्मिंग होती है लेकिन अभी तक किसी की जमीन नही ली गयी. किसान ऑनलाइन फार्मिंग कर सकेंगे. जो किसानों के हित में है और इसका भी विरोध किया जा रहा. दिल्ली के धरना में गरीब किसान नही दिखेगा. सम्पन्न लोग धरना पर बैठे हैं. किसान के पास एसी ट्रेक्टर नही होता. धरना पर बैठे किसान 15 से 20 लाख रुपया कमाते हैं. किसान आंदोलन में लेफ्ट कांग्रेस के नेता शामिल हो गए हैं. संसद के दोनों सदनों से कानून पारित हुआ है. राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिया है.
साथ ही तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि तेजस्वी यादव एक महीने तक दिल्ली में बैठे रहे. लेकिन भारत बंद में शामिल नहीं हुए. किसान कानून के दौरान बिहार का चुनाव हुआ. हमे बहुमत मिला. कोविड, सीएए किसान कानून का मामला हो सभी मामले में लोगो को भ्रमित करने की कोशिश की गई. लेकिन विपक्ष सफल नहीं हुआ. कांग्रेस 15 तारीख से किसान कानून के खिलाफ धरना पर बैठेगी.
सुशील मोदी ने कांग्रेस पर भी प्रहार करते हुए कहा कि स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट क्यों नही लागू किया ये जवाब दे. ये कमिटी कांग्रेस की सरकार में ही बनी थी. धान का केंद्र बिहार होना चाहिए था बिहार लेकिन दुर्भाग्य से पंजाब को बना दिया. उन्हें टैक्स में रियायत भी मिलती है. पंजाब में धान पैदा जरूर होता लेकिन वहां के लोग धान नही खाते.