विश्व स्तर पर राजनयिक हस्तक्षेपों में अचानक तेजी आ गई है। एक साथ अनेक वैश्विक संगठन या समूह सक्रिय हो गए हैं। वाशिंगटन में हुई Quad की बैठक के साथ ही प्रधानमंत्री का पांच देशों का दौरा भी हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के मेल से बने Quad की बैठक में एक बार फिर चीन को घेरने की कोशिश नई नहीं है। हालांकि, सबसे ज्यादा ध्यान पहलगाम मामले पर गया है। पहलगाम हमले की निंदा करते हुए क्वार्ड ने कहा है कि हमले के दोषियों को दंडित किया जाएगा। एक शिकायत यह हो रही कि पहलगाम का जिक्र करते हुए पाकिस्तान के नाम की चर्चा नहीं हुई है। वास्तव में, पाकिस्तान के नाम की चर्चा जरूरी नहीं है। क्वाड एक अलग चार देशीय समूह है, इसमें सीधे पाकिस्तान का अगर नाम लिया जाए, तो यह वास्तव में ठीक वैसा ही होगा, जैसा पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर करता रहा है। पाकिस्तान दुनिया में कहीं भी मौका मिलते ही सबसे पहले कश्मीर और भारत की चर्चा करता है। हालांकि, एकाधिक संधियां या समझौते ऐसे हैं, जिनमें पाकिस्तान ने शायद दिखावटी वादा कर रखा है कि कश्मीर की समस्या को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाया जाएगा। बहरहाल, भारत ने क्वाड में उचित ही यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को अपने लोगों की रक्षा करने का पूरा हक है।
उल्लेखनीय है कि क्वाड में दुर्लभ खनिजों पर नई पहल की शुरुआत हुई है। चीन ऐसे खनिज के मामले में बहुत संपन्न है, जबकि इस मामले में अमेरिका को भी चिंता है। यहां यह सवाल है कि अमेरिका क्या अपनी चिंता में भारत की चिंताओं को शामिल करेगा? वास्तव में, भारत के प्रति अमेरिका का जो रुख है, उससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता। भारत को ध्यान रखना होगा कि किसी भी वैश्विक मंच पर उसके नाम या काम का दुरुपयोग न होने पाए। भारत एक अलग चरित्र का देश है। वह युद्ध नहीं चाहता, इसका मतलब है कि भारत दुनिया में किसी के बीच भी युद्ध नहीं चाहता है। भारत की पीड़ा आतंकवाद को लेकर है, अगर क्वाड जैसा कोई संगठन आतंकवाद के खिलाफ कारगर हो सके, तभी बैठक या सम्मेलन की उसकी कवायद स्वागतयोग्य है। सच यह है कि दुनिया के ताकतवर देश अपने स्वार्थ से रत्ती भर भी समझौता करने को तैयार नहीं हैं और कुछ देश तो अभी भी भारत व पाकिस्तान को एक ही तराजू पर रखने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसे देशों को भारत की चिंताओं की परवाह नहीं है, अत: भारत को ज्यादा सावधानी से कदम बढ़ाने चाहिए। अपने हित में आतंकवाद के खिलाफ विश्व स्तर पर ज्यादा सक्रियता दिखाने की जरूरत है।
यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों की यात्रा को हम उत्साह से देख सकते हैं। 30 साल से भी ज्यादा समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली घाना यात्रा है। यहां ‘हरे राम हरे कृष्ण’ के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत हुआ है। वहां भी प्रधानमंत्री ने यही कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है और समस्याओं का समाधान बातचीत व कूटनीति के जरिये किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री यही संदेश लेकर त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया की यात्रा करेंगे। भारत को अपनी अच्छी कूटनीति का लाभ जरूर लेना चाहिए। याद रहे, भारत में जब जी-20 का आयोजन हुआ था, तब अफ्रीका महादेश को जी-20 में शामिल किया गया था। बेशक, ग्लोबल साउथ के जरूरतमंद देशों में भारत को सबसे ज्यादा काम करने की जरूरत है, ताकि भारत की कूटनीतिक ताकत ही नहीं, आर्थिक शक्ति में भी इजाफा हो।