प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 जुलाई से विदेश यात्रा का आरंभ किया है . इस नौ दिवसीय यात्रा के दौरान वे घाना, त्रिनिदाद और टोबेगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया जाएँगे. इस यात्रा का केंद्रबिंदु ब्राजील में होने वाला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन है. यह यात्रा ग्लोबल साउथ में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है. ग्लोबल साउथ एक भौगोलिक अवधारणा नहीं, बल्कि राजनीतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक समानता वाले देशों का समूह है. ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका) इस समूह को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालाँकि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सम्मेलन में अनुपस्थित रहने से भारत-चीन द्विपक्षीय वार्ता पर असर पड़ सकता है. इस यात्रा से भारत का लक्ष्य अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ सहयोग बढ़ाना है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का घाना, त्रिनिडाड और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील तथा नामीबिया की यात्रा पर रवाना होने से पहले अपने वक्तव्य मे कहा की मैं आज 2 जुलाई से 9 जुलाई 2025 तक पांच देशों घाना, त्रिनिडाड और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील तथा नामीबिया की यात्रा पर रवाना हो रहा रहा हूं।
राष्ट्रपति महामहिम जॉन ड्रामानी महामा के निमंत्रण पर मैं 2-3 जुलाई को घाना की यात्रा पर रहूँगा। घाना ग्लोबल साउथ में एक मूल्यवान भागीदार है और घाना की अफ्रीकी संघ तथा पश्चिम अफ्रीकी देशों के आर्थिक समुदाय में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। मैं घाना के साथ हमारे ऐतिहासिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने तथा निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, क्षमता निर्माण और विकास साझेदारी के क्षेत्रों सहित सहयोग के नए अवसर खोलने के उद्देश्य से अपने आदान-प्रदान की आशा करता हूं। सहयोगी लोकतांत्रिक देशों के रूप में, घाना की संसद में संबोधन मेरे लिए सम्मान की बात होगी।
मैं 3-4 जुलाई को, त्रिनिडाड और टोबैगो गणराज्य में रहूंगा| यह एक ऐसा देश है जिसके साथ हमारा गहरा ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों का जुड़ाव है। मैं राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती क्रिस्टीन कार्ला कंगालू से भेंट करूंगा। श्रीमती क्रिस्टीन कार्ला कंगालू इस वर्ष के प्रवासी भारतीय दिवस में मुख्य अतिथि थीं। मैं प्रधानमंत्री महामहिम श्रीमती कमला प्रसाद-बिसेसर से भी मिलूंगा, जिन्होंने हाल ही में दूसरे कार्यकाल के लिए पदभार ग्रहण किया है। 180 वर्ष पहले भारतीय पहली बार त्रिनिडाड और टोबैगो पहुंचे थे। यह यात्रा हमें वंश और संबंधों के विशेष बंधनों को फिर से जीवंत करने का अवसर प्रदान करेगी जो हमें एकजुट करते हैं।
पोर्ट ऑफ स्पेन से, मैं ब्यूनस आयर्स की यात्रा करूंगा। यह 57 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की अर्जेंटीना की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका में एक प्रमुख आर्थिक भागीदार और जी-20 संगठन में एक करीबी सहयोगी है। मैं राष्ट्रपति महामहिम जेवियर माइली के साथ अपनी चर्चा के लिए उत्सुक हूं, जिनसे मुझे पिछले वर्ष मिलने का सौभाग्य भी मिला था। हम कृषि, महत्वपूर्ण खनिज, ऊर्जा, व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी और निवेश के क्षेत्रों सहित अपने पारस्परिक रूप से लाभदायक सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
मैं 6-7 जुलाई को रियो डी जनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लूंगा। एक संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में ब्रिक्स के लिए प्रतिबद्ध है। साथ मिलकर, हम अधिक शांतिपूर्ण, न्यायसंगत, निष्पक्ष, लोकतांत्रिक और संतुलित बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए प्रयास करते हैं। शिखर सम्मेलन के अवसर पर मैं कई वैश्विक नेताओं से भी भेंट करूंगा। मैं द्विपक्षीय राजकीय यात्रा के लिए ब्रासीलिया की यात्रा करूंगा, जो लगभग छह दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। यह यात्रा ब्राज़ील के साथ हमारी घनिष्ठ साझेदारी को मजबूत करने और मेरे मित्र, राष्ट्रपति महामहिम लुइज़ इनासिओ लूला दा सिल्वा के साथ ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने पर काम करने का अवसर प्रदान करेगी।
मेरा अंतिम गंतव्य नामीबिया होगा। नामीबिया एक विश्वसनीय भागीदार देश है, जिसके साथ हम उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष का एक साझा इतिहास साझा करते हैं। मैं राष्ट्रपति महामहिम डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह से मिलने के लिए उत्सुक हूं और हमारे लोगों, हमारे क्षेत्रों और व्यापक ग्लोबल साउथ के लाभ के लिए सहयोग के लिए एक नई रूपरेखा तैयार करने का उत्सुक हूं। नामीबियाई संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी क्योंकि हम स्वतंत्रता और विकास के लिए अपनी स्थायी एकजुटता और साझा प्रतिबद्धता का उत्सव मना रहे हैं।
मुझे विश्वास है कि पांच देशों की मेरी यात्राएं ग्लोबल साउथ में हमारी मित्रता को मजबूत करेंगी, अटलांटिक के दोनों किनारों पर हमारी साझेदारी को सुदृढ़ करेंगी और ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका देशों के संगठन (ब्रिक्स), अफ्रीकी संघ, पश्चिम अफ्रीकी देशों का आर्थिक समुदाय (इकोवास) और कैरेबियाई समुदाय (कैरिकॉम) जैसे बहुपक्षीय मंचों के साथ जुड़ाव को प्रगाढ़ करेंगी।
पीएम के घाना दौरे से भारत को क्या होगा हासिल?
घाना पश्चिम अफ्रीका की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। यह पिछले 30 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की घाना की पहली यात्रा होगी, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूती प्रदान करेगी। घाना भारत के लिए सोने का एक प्रमुख स्रोत है, जहां से भारत के कुल आयात का लगभग 70% हिस्सा आता है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 3.13 बिलियन डॉलर से अधिक हो चुका है, और इसमें और वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। पीएम मोदी की घाना यात्रा के प्रमुख उद्देश्य हैं:
- आर्थिक और व्यापारिक सहयोग: इस दौरे का मुख्य उद्देश्य व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है। भारतीय कंपनियां घाना में कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, और निर्माण जैसे क्षेत्रों में पहले से ही सक्रिय हैं। यह यात्रा नए निवेश के अवसरों, विशेष रूप से स्टार्टअप्स, डिजिटल टेक्नोलॉजी और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर केंद्रित होगी।
- विकास परियोजनाओं में सहयोग: भारत ने घाना को रियायती ऋण और अनुदान के माध्यम से कई विकास परियोजनाओं में सहायता प्रदान की है, जैसे ग्रामीण विद्युतीकरण, कोफी अन्नान सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन आईसीटी, और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं। इस दौरे में इन परियोजनाओं को विस्तार देने और नई परियोजनाओं की शुरुआत पर चर्चा हो सकती है।
- सांस्कृतिक और राजनीतिक जुड़ाव: पीएम मोदी घाना की संसद को संबोधित कर सकते हैं, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक रिश्तों को और गहरा करेगा। यह भारत की ‘ग्लोबल साउथ’ रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग को प्राथमिकता दी जाती है।
- रणनीतिक साझेदारी: घाना अफ्रीका में भारत की कूटनीतिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दौरा भारत को अफ्रीकी महाद्वीप में अपनी स्थिति को मजबूत करने और अफ्रीका के प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
भारत को क्या फायदा होगा?
घाना के साथ मजबूत संबंध भारत को अफ्रीकी बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने, ऊ ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और खनिज संसाधनों तक पहुंच बनाने में मदद करेंगे। इसके अलावा, यह यात्रा भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगी, क्योंकि घाना जैसे देशों के साथ सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग भारत की वैश्विक छवि को और मजबूत करेगा।
पीएम मोदी क्यों जा रहे त्रिनिदाद एवं टोबैगो?
त्रिनिदाद एवं टोबैगो कैरेबियाई क्षेत्र में भारत के लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस देश में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी है, जो 19वीं सदी में भारत से गए प्रवासियों के वंशज हैं। यह डायस्पोरा भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच एक मजबूत सांस्कृतिक सेतु का काम करता है। यह यात्रा भारत के लिए कैरेबियाई देशों के साथ अपने संबंधों को गहरा करने का एक अवसर है। त्रिनिदाद एवं टोबैगो की यात्रा के प्रमुख उद्देश्य हैं:
- डायस्पोरा के साथ जुड़ाव: पीएम मोदी भारतीय डायस्पोरा के साथ संवाद करेंगे, जो भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देगा, बल्कि प्रवासी भारतीयों को भारत के विकास में भागीदार बनाने में भी मदद करेगा।
- आर्थिक और ऊर्जा सहयोग: त्रिनिदाद और टोबैगो प्राकृतिक गैस और पेट्रोकेमिकल्स का एक प्रमुख उत्पादक है। भारत, जो ऊर्जा संसाधनों के लिए वैश्विक साझेदारों की तलाश में है, इस दौरे के माध्यम से ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, व्यापार और निवेश के नए अवसरों पर भी चर्चा होगी।
- क्षेत्रीय सहयोग: भारत की ‘सागर’ (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) नीति के तहत, यह यात्रा कैरेबियाई क्षेत्र में भारत की भूमिका को मजबूत करेगी। भारत-कैरिकॉम (कैरेबियाई समुदाय) सहयोग को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाएगा, जो क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: पीएम मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद को संबोधित करेंगे, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
भारत को क्या फायदा होगा?
यह यात्रा भारत को कैरेबियाई क्षेत्र में अपनी कूटनीतिक और आर्थिक उपस्थिति बढ़ाने का अवसर देगी। डायस्पोरा के साथ मजबूत संबंध भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाएंगे, जबकि ऊर्जा और व्यापारिक सहयोग भारत की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेंगे। इसके अलावा, कैरेबियाई देशों के साथ सहयोग भारत को वैश्विक मंचों, जैसे संयुक्त राष्ट्र, में समर्थन जुटाने में मदद करेगा।
PM मोदी का अर्जेंटीना दौरा क्यों है अहम?
अर्जेंटीना दक्षिण अमेरिका का एक महत्वपूर्ण देश है और भारत के लिए इस क्षेत्र में अपनी कूटनीतिक और आर्थिक उपस्थिति को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। भारत और अर्जेंटीना के बीच व्यापार अभी सीमित है, लेकिन इसमें वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। भारत अर्जेंटीना से कृषि उत्पाद (जैसे सोयाबीन तेल), खनिज और लिथियम जैसे संसाधन आयात करता है, और यह दौरा इन क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर केंद्रित होगा, विशेष रूप से लिथियम, जहां चीन की बढ़ती उपस्थिति को संतुलित करने की आवश्यकता है। पीएम मोदी की इस यात्रा के प्रमुख उद्देश्य हैं।
- द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा: इस दौरे में भारत और अर्जेंटीना के बीच व्यापार को बढ़ाने पर जोर होगा। कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, रक्षा और लिथियम खनन क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। लिथियम, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण है, भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और चीन के क्षेत्रीय प्रभुत्व को कम करेगा।
- वैश्विक मुद्दों पर चर्चा: पीएम मोदी अर्जेंटीना के नेताओं के साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, लिथियम आधारित स्वच्छ ऊर्जा और वैश्विक शांति जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। यह भारत की वैश्विक नेतृत्व की छवि को और मजबूत करेगा।
- रणनीतिक साझेदारी: अर्जेंटीना दक्षिण अमेरिका में भारत की कूटनीतिक पहुंच को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है। यह दौरा भारत को इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।
भारत को क्या फायदा होगा?
यह यात्रा भारत को दक्षिण अमेरिका में अपनी कूटनीतिक और आर्थिक उपस्थिति को विस्तार देने का अवसर देगी। अर्जेंटीना के साथ मजबूत संबंध भारत को खाद्य सुरक्षा, लिथियम जैसे संसाधनों तक पहुंच और वैश्विक व्यापार में विविधता लाने में मदद करेंगे। साथ ही, यह भारत को जी20 जैसे मंचों पर दक्षिण अमेरिकी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने और चीन के प्रभाव को संतुलित करते हुए स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में नेतृत्व स्थापित करने का मौका देगा।
ब्राजील की यात्रा की है विशेष अहमियत
ब्राजील भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार है, विशेष रूप से BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) जैसे वैश्विक मंचों के संदर्भ में। दोनों देशों के बीच व्यापार 12.20 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है, और फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है। पीएम मोदी की ब्राजील यात्रा के प्रमुख उद्देश्य हैं:
- ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: पीएम मोदी ब्राजील में BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एकजुट करने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है। इस सम्मेलन में वैश्विक आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
- द्विपक्षीय सहयोग: पीएम मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जिसमें रक्षा सहयोग, आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर चर्चा होगी। ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) भी इस दौरे का एक प्रमुख बिंदु होगा, जो विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समर्थन देता है।
- आर्थिक और तकनीकी सहयोग: दोनों देशों के बीच फार्मा, नवीकरणीय ऊर्जा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने पर ध्यान दिया जा सकता है।
भारत को क्या फायदा होगा?
ब्राजील के साथ मजबूत संबंध भारत को वैश्विक आर्थिक और कूटनीतिक मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद करेंगे। ब्रिक्स जैसे मंच भारत को वैश्विक शासन में अपनी आवाज को बुलंद करने का अवसर देते हैं। इसके अलावा, ब्राजील के साथ व्यापार और निवेश भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगा।
क्या है पीएम मोदी के नामीबिया दौरे की अहमियत?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नामीबिया की यात्रा भारत की अफ्रीका नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सिर्फ तीसरी बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री नामीबिया का दौरा करेगा, जो इस यात्रा को ऐतिहासिक बनाता है। नामीबिया के साथ भारत के रिश्ते खनन, ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों में सहयोग पर आधारित हैं। इस यात्रा के प्रमुख उद्देश्य हैं:
- रणनीतिक साझेदारी: नामीबिया भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अफ्रीका में भारत की ‘ग्लोबल साउथ’ रणनीति को मजबूत करने में मदद करेगा। इस दौरे में खनन और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर जोर होगा।
- विकास परियोजनाएं: पीएम मोदी नामीबिया की संसद को संबोधित करेंगे और वहां के नेताओं के साथ विकास परियोजनाओं, जैसे बुनियादी ढांचा और शिक्षा, पर चर्चा करेंगे।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग: भारत और नामीबिया के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दिया जाएगा।
भारत को क्या फायदा होगा?
नामीबिया के साथ मजबूत संबंध भारत को अफ्रीकी महाद्वीप में अपनी कूटनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करने में मदद करेंगे। यह भारत को प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से यूरेनियम और अन्य खनिजों, तक पहुंच बनाने में सहायता करेगा। इसके अलावा, यह यात्रा भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगी और अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग को गहरा करेगी।