भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला अपने साथी यात्रियों के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के अंदर पहुंच गए हैं. वहां पहुंचने पर आईएसएस में पहले से मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने उनका स्वागत किया.
अब शुरू होने जा रहा है Xiom-4 मिशन का सबसे अहम चरण. सभी अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर करीब 14 दिन तक रहेंगे. इस दौरान वे 60 साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स करेंगे जो अब तक के किसी भी Axiom मिशन में की गई सबसे ज्यादा वैज्ञानिक गतिविधियां होंगी. इन प्रयोगों में अंतरिक्ष में मानव शरीर पर प्रभाव, नई तकनीकों की जांच और माइक्रोग्रैविटी में मेडिकल रिसर्च जैसे अहम पहलुओं पर फोकस किया जाएगा. यह मिशन न सिर्फ विज्ञान के लिहाज से बल्कि भविष्य के मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी बेहद निर्णायक साबित होगा. इन प्रयोगों में अंतरिक्ष में मानव शरीर पर प्रभाव, माइक्रो ग्रैविटी में मेडिकल रिसर्च, और नए स्पेस टेक्नोलॉजी ट्रायल शामिल होंगे.
25 जून को दोपहर करीब 12 बजे Axiom Mission-4 के तहत भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए. 26 जून शाम को उन्होंने सफलतापूर्वक ISS पर डॉकिंग की.
Axiom-4 मिशन को पहले लॉन्च किया जाना था लेकिन तकनीकी खामियों और मौसम की दिक्कतों की वजह से इसे 6 बार टालना पड़ा. बावजूद इसके, शुभांशु और उनकी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार सफर शुरू किया.
शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने हैं. उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के मिशन से अंतरिक्ष की यात्रा की थी. यानी 41 साल बाद एक भारतीय ने फिर से अंतरिक्ष में कदम रखा है.
यह मिशन NASA और ISRO के बीच हुए समझौते का हिस्सा है. शुभांशु के इस मिशन का अनुभव भारत के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. गगनयान मिशन 2027 में लॉन्च हो सकता है, जिसमें भारतीय गगनयात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में जाकर वापस लौटेंगे.
भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला अपने साथी यात्रियों के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के अंदर पहुंच गए हैं. वहां पहुंचने पर आईएसएस में पहले से मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने उनका स्वागत किया.
अब शुरू होने जा रहा है Xiom-4 मिशन का सबसे अहम चरण. सभी अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर करीब 14 दिन तक रहेंगे. इस दौरान वे 60 साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स करेंगे जो अब तक के किसी भी Axiom मिशन में की गई सबसे ज्यादा वैज्ञानिक गतिविधियां होंगी. इन प्रयोगों में अंतरिक्ष में मानव शरीर पर प्रभाव, नई तकनीकों की जांच और माइक्रोग्रैविटी में मेडिकल रिसर्च जैसे अहम पहलुओं पर फोकस किया जाएगा. यह मिशन न सिर्फ विज्ञान के लिहाज से बल्कि भविष्य के मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी बेहद निर्णायक साबित होगा. इन प्रयोगों में अंतरिक्ष में मानव शरीर पर प्रभाव, माइक्रो ग्रैविटी में मेडिकल रिसर्च, और नए स्पेस टेक्नोलॉजी ट्रायल शामिल होंगे.
25 जून को दोपहर करीब 12 बजे Axiom Mission-4 के तहत भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए. 26 जून शाम को उन्होंने सफलतापूर्वक ISS पर डॉकिंग की.
Axiom-4 मिशन को पहले लॉन्च किया जाना था लेकिन तकनीकी खामियों और मौसम की दिक्कतों की वजह से इसे 6 बार टालना पड़ा. बावजूद इसके, शुभांशु और उनकी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार सफर शुरू किया.
शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने हैं. उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के मिशन से अंतरिक्ष की यात्रा की थी. यानी 41 साल बाद एक भारतीय ने फिर से अंतरिक्ष में कदम रखा है.
यह मिशन NASA और ISRO के बीच हुए समझौते का हिस्सा है. शुभांशु के इस मिशन का अनुभव भारत के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. गगनयान मिशन 2027 में लॉन्च हो सकता है, जिसमें भारतीय गगनयात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में जाकर वापस लौटेंगे.