प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों तीन देशों की यात्रा पर हैं. इस यात्रा की शुरुआत साइप्रस से हुई है. यह दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है. खासतौर पर इसलिए कि बीते 23 साल में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने साइप्रस का दौरा किया है. इससे भी बड़ी बात यह है कि साइप्रस, तुर्की के साथ लंबे समय से विवादित क्षेत्रीय मुद्दों से जूझ रहा है- और ऐसे समय में प्रधानमंत्री मोदी का वहां पहुंचना तुर्की के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III सम्मान के लिए मैं आपका (साइप्रस के राष्ट्रपति), साइप्रस सरकार और साइप्रस के लोगों का अभिनंदन करता हूं. यह सम्मान केवल मेरा नरेंद्र मोदी का सम्मान नहीं है, ये 140 करोड़ भारतवासियों का सम्मान है. उनके सामर्थ्य और आकांक्षाओं का ये सम्मान है. ये हमारे देश के सांस्कृतिक, भाईचारे और वसुधैव कुटुम्बकम के विचारधारा का सम्मान है. मैं यह सम्मान भारत और साइप्रस के मैत्रीपूर्ण संबंधों, हमारे साझा मूल्यों और हमारी पारस्परिक समझ को समर्पित करता हूं. सभी भारतीयों की ओर से मैं इस सम्मान को अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता से स्वीकार करता हूं. ये अवार्ड शांति, सुरक्षा, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और हमारे लोगों की समृद्धि के लिए हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है. मैं इस सम्मान को भारत और साइप्रस के संबंधों के प्रति एक जिम्मेदारी के रूप में इसका महत्व समझता हूं और उस भाव से इसको लेता हूं. मुझे विश्वास है कि हमारी सक्रिय साझेदारी आनेवाले समय में और भी नई ऊंचाइयों को छूएगी. हम मिलकर ना केवल अपने देशों के विकास को मजबूत करेंगे बल्कि एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित वैश्विक वातावरण के लिए उसके निर्माण के लिए मिलकर योगदान देंगे.’
पीएम मोदी को साइप्रस ने दिया सर्वोच्च नागरिक सम्मान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सोमवार को साइप्रस की यात्रा के दौरान देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान – ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III – से सम्मानित किया गया.
साइप्रस में पीएम मोदी का भव्य स्वागत, राष्ट्रपति भवन में सेना ने दी सलामी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साइप्रस के निकोसिया स्थित राष्ट्रपति भवन में आधारिक रूप से स्वागत किया गया. इस दौरान पीएम मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडूलाइड्स ने दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की.
पीएम मोदी का साइप्रस पहुंचने पर खुद राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने एयरपोर्ट पर गर्मजोशी से स्वागत किया. विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा के पीछे भौगोलिक कूटनीति है. भारत तुर्की की पाकिस्तान के साथ नजदीकी को लेकर पहले से ही सतर्क है और ऐसे में तुर्की के चिरविरोधी साइप्रस के साथ संबंध गहरे करना भारत की रणनीतिक प्राथमिकता बनता जा रहा है. यही वजह है कि पीएम मोदी का यह दौरा ‘तुर्की की छाती पर मूंग दलने’ के रूप में देखा जा रहा है.
साइप्रस में मोदी-निकोस की मीटिंग, 4 बातें…
- भारत-साइप्रस सीईओ फोरम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘पिछले एक दशक में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और बहुत निकट भविष्य में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
- साइप्रस लंबे समय से हमारा भरोसेमंद साझेदार रहा है और यहां से भारत में काफी निवेश हुआ है। कई भारतीय कंपनियां भी साइप्रस आई हैं और एक तरह से साइप्रस को यूरोप के प्रवेश द्वार के रूप में देखा है। आज आपसी व्यापार 150 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
- ऐसा 6 दशक बाद हुआ है कि भारत में लगातार तीसरी बार एक ही सरकार चुनी गई है। पिछले 10 सालों में डिजिटल क्रांति आई है। दुनिया में भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI की चर्चा है। साइप्रस को इसमें शामिल करने के लिए बातचीत चल रही है और मैं इसका स्वागत करता हूं।
- हम भारत में भविष्य के बुनियादी ढांचे के विकास में सालाना 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रहे हैं। इनोवेशन भारत की आर्थिक ताकत का एक मज़बूत स्तंभ बन गया है। हमारे 1 लाख से ज़्यादा स्टार्टअप सिर्फ सपने नहीं, समाधान बेचते हैं।’