भारत ने बांग्लादेश में एक घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बांग्लादेश में भाबेश चंद्र रॉय नाम के एक हिन्दू नेता की किडनैपिंग और हत्या हो गई थी। भाबेश चंद्र रॉय उत्तरी बांग्लादेश के रहने वाले थे। इस घटना के बाद, भारत सरकार ने बांग्लादेश सरकार से नाराजगी जताई है।
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में नाकाम बांग्लादेश
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में, भारत ने कहा कि बांग्लादेश सरकार अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में नाकाम रही है। मंत्रालय ने कहा, “हमें बांग्लादेश में श्री भाबेश चंद्र रॉय, जो कि एक हिन्दू नेता थे, के अपहरण और उनकी हत्या की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ है।” मंत्रालय ने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, लेकिन दोषियों को सजा नहीं मिली है।
भारत ने घटना की निंदा की
भारत सरकार ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से कहा है कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाए। भारत ने कहा, ‘हम इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं और अंतरिम सरकार को एक बार फिर याद दिलाते हैं कि वह बिना कोई बहाना बनाए या भेदभाव किए सभी अल्पसंख्यकों, जिनमें हिन्दू भी शामिल हैं, की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी निभाए।’
दो बाइक पर चार लोग आए, जबरदस्ती उठाकर ले गए
भाबेश चंद्र रॉय की पत्नी शांतना ने बताया कि गुरुवार को करीब 4:30 बजे उनके पति को एक फोन आया था। फोन करने वाला सिर्फ यह जानना चाहता था कि भाबेश घर पर हैं या नहीं। इसके करीब आधे घंटे बाद दो बाइक पर सवार चार लोग उनके घर आए और भाबेश को जबरदस्ती उठाकर ले गए।
चश्मदीदों के मुताबिक, उन्हें पास के नराबाड़ी गांव ले जाया गया और वहां बेरहमी से पीटा गया। गुरुवार शाम को ही हमलावरों ने भाबेश को बेहोश हालत में वैन से उनके घर भिजवा दिया। पहले उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, फिर दिनाजपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

अभी पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया
बीराल पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अब्दुस सबूर ने कहा कि इस मामले में केस दर्ज करने की तैयारी चल रही है। उन्होंने बताया कि पुलिस संदिग्धों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए काम कर रही है। भाबेश की पत्नी शांतना ने कहा कि वह हमलावरों में से दो को पहचान सकती हैं।
भारत ने बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों पर ध्यान देने को कहा था
एक दिन पहले यानी शुक्रवार को भारत ने बांग्लादेश से कहा था कि पश्चिम बंगाल में हिंसा को लेकर नैतिक उपदेश देने के बजाय अपने यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा पर ध्यान दे।
दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी ने कहा था कि भारत को उन अल्पसंख्यक मुस्लिमों की रक्षा करनी चाहिए, जो पिछले हफ्ते बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा से प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि इस हिंसा को भड़काने में बांग्लादेश का हाथ है।
भारत ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि बांग्लादेश का यह बयान धूर्तता और कपट से भरा है। वह अपने यहां अल्पसंख्यकों के नरसंहार से ध्यान भटकाना चाहता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा,
पश्चिम बंगाल में हुई घटनाओं को लेकर बांग्लादेश की ओर से की गई टिप्पणियों को हम खारिज करते हैं। बांग्लादेश इस तरह के बयान दे रहा है, जबकि वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले अपराधी आजाद घूम रहे हैं।
अगस्त 2024 से दिसंबर 2024 के बीच बांग्लादेश में 32 हिंदुओं की जान गई
5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ था। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हो गया।
बेकाबू भीड़ के निशाने पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक, खासतौर पर हिंदू आए। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की जान चली गई। रेप और महिलाओं से उत्पीड़न के 13 केस सामने आए। करीब 133 मंदिर हमलों का शिकार हुए। ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुईं।
काउंसिल के मुताबिक, तख्तापलट के बाद महज 15 दिनों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 2010 घटनाएं हुईं। 11 जनवरी 2025 को बांग्लादेश सरकार ने इनमें से 1769 केस कन्फर्म किए। इनमें से 1415 मामलों में जांच पूरी हो चुकी है। 354 मामलों का रिव्यू किया जा रहा है।
बांग्लादेश सरकार ने इन हमलों के मामलों में 10 दिसंबर तक 70 लोगों को कस्टडी में लिया। वहीं, कुल 88 केस दर्ज किए।
चटगांव हिल न जाएं अमेरिकी
चटगांव हिल ट्रैक्ट्स में खागराचारी, रंगमती और बांदरबन जिले शामिल हैं, जहां हाल के वर्षों में हिंसा और अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं. अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, इस क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव, आतंकी गतिविधियां, और अपहरण की घटनाएं देखी गई हैं. कुछ अपहरण परिवारिक विवादों से जुड़े थे, तो कुछ में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया. इसके अलावा, अलगाववादी संगठनों और राजनीतिक हिंसा ने भी इस क्षेत्र को खतरनाक बना दिया है. यहां यात्रा करने के लिए बांग्लादेश सरकार के गृह मंत्रालय से पहले अनुमति लेना जरूरी है.
अमेरिकी दूतावास ने अपने कर्मचारियों के लिए भी सख्त नियम लागू किए हैं. ढाका के राजनयिक क्षेत्र से बाहर गैर-जरूरी यात्रा पर रोक है, और ढाका से बाहर जाने के लिए विशेष अनुमति चाहिए. चेतावनी में कहा गया है कि ढाका के बाहर अमेरिकी नागरिकों को आपातकालीन सहायता देने की क्षमता सीमित हो सकती है, क्योंकि वहां बुनियादी ढांचा कमजोर है और स्थानीय सरकार की आपात सेवाएं सीमित हैं.
बांग्लादेश में अशांति
बांग्लादेश में हाल की अशांति अगस्त 2024 में शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद शुरू हुई. छात्रों ने सरकारी नौकरियों में कोटा बिल के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए, जिसके बाद हिंसक झड़पें हुईं. इसके बाद अंतरिम सरकार बनी, जिसके बाद हिंसक घटनाएं कम हुईं, लेकिन समय-समय पर विरोध प्रदर्शन जारी हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने सलाह दी है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से भी दूरी बनाए रखें, क्योंकि ये अचानक हिंसक हो सकते हैं.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमले भी बढ़े हैं. इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों ने भारत और अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर बर्बर हिंसा की निंदा की.