सुप्रीम कोर्ट आज नए वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच दोपहर 2 बजे से वक्फ बोर्ड के खिलाफ और समर्थन में दायर याचिकाओं पर दलीलें सुनेगी।
भले ही CJI की अध्यक्षता वाली बेंच में 10 याचिकाएं लिस्ट की गई हैं, लेकिन धार्मिक संस्थानों, सांसदों, राजनीतिक दलों, राज्यों को मिलाकर वक्फ कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं।
हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और असम सरकार ने नए वक्फ कानून के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। एडवोकेट हरि शंकर जैन ने वक्फ अधिनियम 1995 को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि यह अधिनियम गैर-मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण है।
आरोप है कि अधिनियम के कुछ प्रावधान मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को सरकारी भूमि और हिंदू धार्मिक संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा करने की अनुमति देते हैं। यह मुसलमानों को अनुचित लाभ पहुंचाता है और हिंदुओं के धार्मिक और संपत्ति अधिकारों को खतरे में डालता है।
संसद से 4 अप्रैल को पारित हुए वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की। तब से इसका लगातार विरोध हो रहा है।
इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर कर कोई भी आदेश पारित करने से पहले मामले की सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया था। दरअसल, कविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।केंद्र सरकार ने हाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ( AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद अन्य प्रमुख याचिकाकर्ता हैं।
7 अप्रैल को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका
7 अप्रैल को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल को याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आश्वासन दिया था। एआईएमपीएलबी ने 6 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। अधिवक्ता लजफीर अहमद के मार्फत दायर ओवैसी की याचिका में कहा गया है कि वक्फ को दिये गए संरक्षण को कम करना मुसलमानों के प्रति भेदभाव है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का उल्लंघन है।
उधर, वक्फ कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक नया अभियान शुरू किया है जिसका नाम वक्फ बचाव अभियान दिया गया है। इस अभियान का पहला चरण कुल 87 दिनों तक चलेगा। यह 11 अप्रैल से शुरू हो चुका है और 7 जुलाई तक चलेगा। इसे साथ ही वक्फ कानून के विरोध में एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर लिए जाएंगे। इसके बाद अगली रणनीति तय की जाएगी।
वक्फ संशोधन बिल से जुड़ी अहम बातें
- देश आजाद होने के बाद 1950 में वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनाने की जरूरत महसूस हुई।
- 1954 में वक्फ एक्ट के नाम केंद्र सरकार ने कानून बनाया और सेंट्रल वक्फ काउंसिल का प्रावधान किया
- 1955 में इस कानून में बदलाव करते हुए हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की शुरुआत हुई।
- फिलहाल देश में करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं। ये वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और रखरखाव करते हैं।
- कुछ प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए वक्फ बोर्ड अलग हैं
- 1954 के इसी कानून में केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन बिल के जरिए बदलाव किया है।
वक्फ संशोधन बिल की टाइमलाइन
- वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 को लोकसभा में 8 अगस्त, 2024 को पेश किया गया था।
- वक्फ (संशोधन) बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को 8 अगस्त, 2024 को भेजा गया था
- संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट 30 जनवरी, 2025 को प्रस्तुत की गई।
- वक्फ (संशोधन) बिल को लोकसभा में 2 अप्रैल, 2025 को पारित किया गया।
- वक्फ (संशोधन) बिल को राज्यसभा में 3 अप्रैल, 2025 को पारित किया गया।