प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन सरकार के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज़ ने वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के परिसर में C-295 विमानों के निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का आज उद्घाटन किया. एयरबस के सहयोग से स्थापित टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड की इस फाइनल असेंबली लाइन में 40 एयरबस सी-295 विमान बनाए जाएंगे. टाटा की इस ‘जहाज फैक्टरी’ से पहला सी-295 विमान दो साल बाद यानी साल 2026 में बनकर बाहर आ जाएगा. टाटा-एयरबस की C295 परियोजना का वडोदरा में उद्घाटन भारत के एयरोस्पेस सेक्टर में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. यह कदम भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूती देने के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता को भी दर्शाती है.
यह परियोजना भारत में पहली निजी एयरोस्पेस असेंबली लाइन है, जो न केवल विनिर्माण बल्कि असेंबली, परीक्षण और डिलीवरी के पूरे चक्र को भारत में ही संचालित करेगी. विमान निर्माण में इस्तेमाल होने वाले 18,000 से अधिक पुर्जों का उत्पादन भारत में ही होगा. यह भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और संसाधनों की शक्ति को प्रदर्शित करता है. वडोदरा की यह असेंबली लाइन केवल एक निर्माण इकाई नहीं है, बल्कि यह स्थानीय उद्योगों के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी. प्रयागराज में एक स्टिक होल्डिंग डिपो और आगरा में एक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना, भारत के विमानन पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
एयरबस-टाटा की जुगलबंदी भारत को दिलाएगी नई पहचान
एयरबस-टाटा की यह जुगलबंदी डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग में भारत को पूरे विश्व में एक नई पहचान दिलाएगी. वडोदरा की फाइनल असेंबली लाइन में 40 एयरबर सी-295 विमानों का निर्माण होगा. साल 2021 में भारत ने एयरबस से 56 सी-295 विमानों को खरीदने का सौदा 2.5 बिलियन डॉलर में किया था. एयरबस और टाटा वडोदरा संयंत्र में 40 विमान बनाएंगे, जबकि एयरबस स्पेन से सीधे 16 विमान उपलब्ध कराएगी.
वडोदरा एफएएल में विनिर्माण से लेकर संयोजन, परीक्षण और योग्यता, तथा विमान के संपूर्ण जीवन चक्र की डिलीवरी और रखरखाव तक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का पूर्ण विकास शामिल होगा. यानी यहां सही अर्थों में विमान बनेंगे, असेंबल नहीं होंगे.
हेलीकॉप्टर भी बनाएगी एयरबस और टाटा
एयरबस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स भारत में सी-295 विमानों के निर्माण के अलावा सिविल हेलीकॉप्टर का निर्माण भी करेंगी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पिछली भारत यात्रा के दौरान इस समझौते की घोषणा हुई थी. एयरबस हेलीकॉप्टर्स भारत में H125 हेलीकॉप्टरों के लिए फाइनल असेंबली लाइन (FAL) स्थापित करने के लिए टाटा समूह के साथ साझेदारी करेगी. भारत में बनने वाले इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल भारत तो करेगा ही साथ ही इन्हें पड़ोसी देशों को निर्यात भी किया जाएगा.
टाटा और एयरबस के अलावा हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और फ्रांसीसी कंपनी सफ़रान (Safran) राफेल इंजिन के लिए एमआरो बनाने को एक ज्वाइंट वेंचर बनाने जा रहे हैं. यह ज्वाइंट वेंचर इंडियन मल्टी रोल हेलिकॉप्टर के लिए भी इंजिन बनाएगा और भारत में स्कॉर्पियन पनडुब्बी का निर्माण भी करेगा.
2026 तक एयरोस्पेस बाजार को 63 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य
केंद्र ने साल 2026 तक एयरोस्पेस क्षेत्र को 63 बिलियन डॉलर के बाजार में बदलने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने में वडोदरा की एयरबस-टाटा फेसिलिटी बहुत काम आएगी. यह भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का जीता-जागता उदाहरण होगी, जिससे दूसरी बड़ी कंपनियां भी भारत आने को प्रोत्साहित होंगी. एयरोस्पेस क्षेत्र की नामी कंपनियों को भारत लाने को सरकार प्रयासरत है. इसमें उसे सफलता भी मिली है.
एयरबस के साथ ही बोइंग भी भारत में 100 मिलियन डॉलर का निवेश करने की घोषणा कर चुकी है. कंपनी चैन्नई में इंजिनियरिंग सर्विसेज और सपोर्ट सेंटर स्थापित करने पर 3000 करोड़ रुपये निवेश करेगी. इसके अलावा बोइंग हैदराबाद में टाटा के साथ मिलकर, टाटा-बोइंग एयरोस्पेस लिमिटेड में एएच-16 अपाचे हेलीकॉप्टर्स के लिए फ्यूजलेग और अन्य पुर्जे बनाएगी.
स्वीडन की कंपनी साब एबी (Saab AB) भी भारत में कार्ल-गुस्टॉफ रॉकेट सिस्टम के निर्माण के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. इसी तरह टाटा एडवांस सिस्टम्स अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन के साथ मिलकर हैदराबाद में सी-130जे सुपर हर्क्युलस एयर लिफ्टर और एस-76 हेलीकॉप्टर्स के कल-पुर्जे भी बनाएगी. रूसी कंपनी रोजोबोर्नएक्सपोर्ट और भारतीय कंपनी एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड यूपी के कोर्वा में एके-203 असॉल्ट राइफल बना रही हैं.