अमेरिकी सेंट्रल बैंक के ब्याज दरों में कटौती करने के बाद से भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी है. खास बात यह है कि विदेश निवेशक अब भारतीय बाजार में जमकर पैसा लगा रहे हैं. शुक्रवार को तो एफआईआई ने खरीदारी का रिकार्ड ही बना डाला. पिछले कारोबारी सत्र में विदेशी निवेशकों ने भारत के शेयर बाजार में 3 साल की सबसे बड़ी खरीदारी की और एक ही दिन शेयर बाजार में 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए हैं. यह पिछले 3 वर्षों में एक दिन में सबसे बड़ी खरीदारी है. वहीं, ऐतिहासिक रूप से आठवीं सबसे अधिक खरीदारी है. एफआईआई ने एक दिन में सबसे बड़ी खरीदारी 6 मई, 2020 को की थी. उस दिन विदेशी निवेशकों ने 17,123 करोड़ रुपए शेयर बाजार में लगाए थे.
एफआईआई की ओर से इस खरीदारी की सबसे बड़ी वजह फेड द्वारा ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की कटौती है. अमेरिका में बॉन्ड यील्ड लगातार घट रही है, जिससे एफआईआई भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं. इस महीने 20 सितंबर तक कुल एफआईआई निवेश 33,699 करोड़ रुपए पर आ गया है. 2024 में अब तक भारत में कुल एफआईआई निवेश 76,585 करोड़ रुपए हो गया है.
क्यों लगाए दबाकर पैसे
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार का कहना है कि बाजार में तेजी का मुख्य कारण अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती ही है. साल 2025 के अंत तक फेड की दर में लगातार गिरावट आने की उम्मीद है और यह 3.4% हो जाएगी. एफआईआई की खरीदारी का रुझान आने वाले दिनों में भी जारी रहने की संभावना है.
विजयकुमार ने बताया “क्रेडिट-डिपॉजिट गैप में कमी की खबर के बाद बैंकिंग स्टॉक आकर्षक हो गए हैं. चूंकि बैंकिंग स्टॉक इस ओवरवैल्यूड मार्केट में उचित मूल्य पर हैं, इसलिए बैंकिंग स्टॉक में खरीदारी का रुझान जारी रह सकता है, जिससे इंडेक्स भी ऊपर उठ सकते हैं.”
बीडीओ इंडिया के मनोज पुरोहित ने कहा कि ग्लोबल मार्केट की अनिश्चितताओं के बावजूद भारत जैसे उभरते बाजारों को आकर्षक बनाने वाले प्राथमिक कारक संतुलित राजकोषीय घाटा, भारतीय मुद्रा पर ब्याज दरों में कटौती का प्रभाव, मजबूत मूल्यांकन और ब्याज दरों में कटौती के बिना मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने का आरबीआई का दृष्टिकोण हैं.
भारतीय बाजार हो गया है आकर्षक
एमके ग्लोबल के रिसर्च और स्ट्रैटेजिस्ट शेषाद्रि सेन ने कहा कि कई दिनों से इंतजार कर रहे निवेशक अब भारत को अधिक रचनात्मक रूप से देखने के इच्छुक हैं. सेन का कहना है कि वैल्यूएशन संबंधी चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं, लेकिन यह मान्यता है कि भारत की बेहतर मैक्रो स्टेबिलिटी और निरंतर आय वृद्धि इन समृद्ध अर्निंग मल्टील्स का समर्थन कर रही है.