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भगवान वेंकटेश्वर ट्रस्ट के पास पैसे की कमी नहीं है तो फिर घी का रेट कम कराने की क्या जरूरत थी?

UB India News by UB India News
September 23, 2024
in अध्यात्म
0
भगवान वेंकटेश्वर ट्रस्ट के पास पैसे की कमी नहीं है तो फिर घी का रेट कम कराने की क्या जरूरत थी?
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ये बात तो सही है कि तिरुपति बालाजी दुनिया का सबसे वैभवशाली देवस्थान है। भगवान वेंकटेश्वर के ट्रस्ट के पास पैसे की कोई भी कमी नहीं है। तो फिर घी का रेट कम कराने की क्या जरूरत थी? कौन मानेगा कि भगवान को चढ़ाने वाले शुद्ध घी के लिए पैसे कम पड़ गए? अगर कोई एक बार कह देता कि शुद्ध घी के लिए धनराशि कम पड़ रही है तो एक दिन में करोड़ों रुपये का दान आ जाता।

तिरुपति बालाजी ट्रस्ट के पास 11 हजार 329 किलो सोना है, जिसकी कीमत करीब साढ़े 8 हजार करोड़ रुपये है। इस धनवान देवस्थान के पास 18 हजार 817 करोड़ रुपये का कैश बैलैंस है। हर साल 1200 करोड़ रुपये  की आय होती है। मंदिर के रखरखाव के लिए पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का सालाना बजट है। हर रोज भगवान वेंकटेश के प्रसाद के लिए साढ़े 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। अगर लड्डुओं का हिसाब लगाया भी जाए कि घी का रेट कम कराने से कितना फायदा हुआ, तो ये आंकड़ा 9-10 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं आएगा।

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क्या 9-10 करोड़ रुपये बचाने के लिए घटिया क्वॉलिटी की घी का इस्तेमाल किया गया? क्या दुनिया के सबसे अमीर देवस्थान में 10 करोड़ रुपये बचाने के लिए घी का सप्लायर बदला गया? और ऐसी घी खरीदी गई जिसमें गाय की चर्बी और फिश ऑयल मिला। इस पर कोई यकीन नहीं करेगा। सवाल ये है कि क्या घी के सप्लायर को बदलने के लिए रेट का बहाना ढूंढा गया? क्या घी का टेंडर देने में पैसा खाया गया? वो कौन हैं जिनकी वजह से भक्तों की भावनाएं आहत हुईं, लड्डू बनाने वाले घी में चर्बी मिलाई गई?

जिसने भी ये पाप किया है, उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पवन कल्याण ने अच्छा सुझाव दिया है। भारत के मंदिरों से जुड़ी सारी समस्याओं पर विचार करने के लिए सनातन धर्म रक्षा बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए।

आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू प्रसादम में पशु चर्बी के इस्तेमाल के मामले में देश भर में हंगामा मचा है। अब इस मामले पर आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है कि 1857 में सिपाही विद्रोह कैसे हुआ था। और अब हम देखते हैं कि इस लड्डू से हिंदुओं की भावनाएं कितनी गहरी आहत होती हैं। यह ऐसी चीज़ है, जिसे माफ़ नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा, “यह दुर्भावनापूर्ण है और यह उन लोगों के लालच की पराकाष्ठा है जो इस प्रक्रिया में शामिल हैं, इसलिए उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली जानी चाहिए और उन्हें जेल में डाल देना चाहिए। चाहे जो भी इस प्रक्रिया में दूर से भी शामिल हों। हमें सिर्फ लड्डू ही नहीं, बल्कि हर खाद्य उत्पाद की जांच करने की आवश्यकता है। बाज़ार में उपलब्ध घी के बारे में क्या? क्या कोई जांच रहा है कि वे इसमें क्या डाल रहे हैं? वे सभी जो भोजन में मिलावट करते हैं और उस पर शाकाहारी होने का ठप्पा लगाते हैं और उसमें किसी भी प्रकार की मांसाहारी सामग्री डालते हैं, उन्हें बहुत कड़ी सजा दी जानी चाहिए।”

“आध्यात्मिक गुरुओं की समिति बने”

उन्होंने आगे कहा, “मंदिर प्रबंधन के लिए हमें यह देखने की जरूरत है कि यह संतों, स्वामियों और आध्यात्मिक नेताओं की देखरेख में हो। हमें आध्यात्मिक गुरुओं की एक समिति बनाने की ज़रूरत है, उत्तर और दक्षिण दोनों को उन्हें देखरेख करनी चाहिए। सरकार की ओर से भी एक व्यक्ति हो, लेकिन उसे छोटी भूमिका निभानी होगी। लेकिन प्रमुख निर्णय, पर्यवेक्षण और सब कुछ एसजीपीसी (SGPC) जैसे धार्मिक बोर्डों द्वारा किया जाना चाहिए, जैसे मुस्लिम निकाय, ईसाई निकाय की तरह।”

सीएम चंद्रबाबू नायडू ने लगाया आरोप

दरअसल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को पिछली वाईएसआर कांग्रेस की सरकार पर आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल के दौरान प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल हुआ। चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जगन प्रशासन ने तिरुपति प्रसाद में घी के बजाय जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया। उन्हें शर्म आनी चाहिए जो करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सके।

तिरुपति प्रसाद विवाद को लेकर 11 दिन के उपवास पर डिप्टी CM पवन कल्याण

आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल वाली रिपोर्ट आने बाद से मचा सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस मामले में राज्य के उपमुख्यमंत्री और अभिनेता पवन कल्याण ने प्रायश्चित करने का फैसला किया है. वह आज से 11 दिन का प्रायश्चित उपवास शुरू करेंगे. 11 दिनों के प्रायश्चित दीक्षा यानी उपवास पर जाने से पहले पवन कल्याण ने एक मैसेज भी लिखा.

पवन कल्याण ने लिखा, “हे, बालाजी भगवन! क्षमा करें प्रभु. तिरुमाला लड्डू प्रसाद जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है… पिछले शासकों की अनियंत्रित प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप अपवित्र हो गया था. पशु मेदों के अवशेषों से दूषित हो गया था. ऐसे पाप क्रूर मन वाले ही करते हैं. इस पाप को प्रारम्भ में न पहचान पाना हिंदू जाति पर कलंक की मानिंद है. जैसे ही मुझे पता चला कि लड्डू प्रसाद में जानवरों के अवशेष हैं, मेरा मन विचलित हो गया. मुझे स्वयं में दोषित भाव महसूस हो रहा है. मैं जन कल्याण के लिए लड़ रहा हूं. दुख इस बात का हुआ कि शुरुआत में ऐसी समस्या मेरे ध्यान में नहीं आई.”

सनातन धर्म में आस्था रखने वालों से की ये अपील

उन्होंने आगे लिखा, “सनातन धर्म में आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कलियुग के देवता बालाजी के साथ हुए इस भयानक अपचार का प्रायश्चित करना चाहिए. इसी भावना के अंतर्गत मैंने प्रायश्चित आरंभ करने का निर्णय लिया है. रविवार (22 सितंबर, 2024 ) की सुबह मैं गुंटूर जिले स्थित नंबूर के श्री दशावतार वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में दीक्षा धारण करूंगा. 11 दिनों तक दीक्षा जारी रखने के बाद, मैं तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करूंगा. ‘ईश्वर… मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे पिछली सरकारों की ओर से आपके खिलाफ किए गए पापों के प्रक्षालन करने की शक्ति प्रदान करें.”

‘ऐसे अपराधों में वे लिप्त होते हैं, जिनका ईश्वर में विश्वास नहीं होता’

पवन कल्याण ने अपने मैसेज में आगे कहा, “केवल वे ही लोग ऐसे अपराधों में लिप्त होते हैं, जिनका ईश्वर में विश्वास नहीं होता है और पाप कर्म का कोई डर नहीं होता है. मेरा दुख यह है कि बोर्ड के सदस्य और कर्मचारी जो तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम प्रणाली का हिस्सा हैं, वे भी वहां की गलतियों का पता नहीं लगा पाते हैं. अगर उन्हें पता चलता भी है, तो वे इसके बारे में बात नहीं करते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि वे उस समय के राक्षसी प्रवृत्ति वाले शासकों से डरते थे.”

‘पिछले शासकों के व्यवहार ने हिंदुओं को आहत किया’

डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि साक्षात वैकुंठ धाम माने जाने वाले तिरुमाला की पवित्रता, शिक्षाशास्त्र और धार्मिक कर्तव्यों की निंदा करने वाले पिछले शासकों के व्यवहार ने हिंदू धर्म का पालन करने वाले सभी लोगों को आहत किया है. वहीं, इस बात पर भी मन अत्यंत व्याकुल है कि लड्डू प्रसाद बनाने में जानवरों के अवशेष वाले घी का इस्तेमाल किया गया था. धर्म की पुनर्स्थापना की दिशा में कदम उठाने का समय आसन्न हुआ है. धर्मो रक्षति रक्षितः”

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