शिव जी ने माता पार्वती जी को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था. मां गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था. बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया. 12 सालों तक निराहार रह करके तप किया. एक दिन नारद जी ने उन्हें आकर कहा कि पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं. नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए. उधर, भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं.
भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी. फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है. यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा. माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं.
यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की. संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया.
माता के कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया. उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे.
फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पंहुचे. इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया, तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए.
हरतालिका तीज 2024 मुहूर्त
शेष 15 मिनट के बाद हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाएगा. हरतालिका व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त आज केवल सुबह 8:33 मिनट तक है.
हरतालिका तीज 2024 दान
इस दिन बहुत सी चीजों का दान करना बहुत शुभ माना गया है. हरतालिका तीज पर सुहागिन महिलाएं के दान के साथ ही इस व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन दान में मेंहदी, बिंदी, चूड़ी, बिछिया, कुमकुम, कलश,काजल, कंघी, महावर, चंदन आदि श्रृंगार का सामान दान करना शुभ होता है.
कल से शुरू हो रहा है गणेश चतुर्थी का त्योहार
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. बप्पा को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है. इस दिन लोग भगवान गणेश की प्रतिमा को घरों, मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों में स्थापित करते हैं और श्रद्धा-भक्ति के साथ गणपति बप्पा की मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं. उन्हें मोदक, लड्डू और फूल अर्पित करते हैं. गणेश जी की पूजा में मंत्रोच्चार, गणपति स्तोत्र और भजन भी गाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने वालों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आती है और विघ्नों का नाश होता है.
गणेश चतुर्थी की तिथि सितम्बर 06, 2024 को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होगी जो अगले दिन सितम्बर 07, 2024 को शाम 05 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से लेकर दोपहर के 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. आपको मूर्ति स्थापना और पूजा के लिए 02 घण्टे 31 मिनट की अवधि मिलेगी.
गणेश विसर्जन मंगलवार, सितम्बर 17, 2024 को किया जाएगा. एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय – 03:01 पी एम से 08:16 पी एम तक है यानि इसके लिए 05 घण्टे 15 मिनट्स की अवधि रहेगी.
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय सुबह 09:30 ए एम से 08:45 पी एम तक जो 11 घण्टे 15 मिनट की अवधि है.
दस दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के अंत में अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ होता है. विसर्जन के समय भक्तगण नाचते-गाते और गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ… के जयकारे लगाते हुए गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं. यह परंपरा इस विश्वास के साथ की जाती है कि गणेश जी अगले साल पुनः भक्तों के जीवन में आकर उनका मार्गदर्शन करेंगे. लोगों के दिलों में एकजुटता, उत्साह और भक्ति का संदेश देता ये त्योहार खासतौर पर महाराष्ट्र में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है.