भारत में हर बीतते दिन के साथ AI का इस्तेमाल भी काफी तेजी से बढ़ रहा है. यह टेक्नोलॉजी न सिर्फ इंसान की जिंदगी को आसान बना रही है, बल्कि उद्योगों में क्रांति ला रही है. फिर चाहे वह हेल्थकेयर हो, शिक्षा, व्यापार या फिर मनोरंजन का क्षेत्र हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हर क्षेत्र में अपनी जगह बना रहा है.
इस बीच नैसकॉम-ईवाई की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके अनुसार, हमारे देश का AI बाजार सालाना 25 से 35 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. नैसकॉम-ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का AI बाजार वर्तमान में 7-10 बिलियन डॉलर का है और यह साल 2027 तक बढ़कर 22 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
70 प्रतिशत कंपनियां अपने आईटी बजट का 20 फीसदी से ज्यादा डिजिटल और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर खर्च करती हैं. रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों की 500 कंपनियों का सर्वेक्षण किया गया.
इंटेल-आईडीसी रिपोर्ट के अनुसार, यह ग्रोथ उद्यम प्रौद्योगिकी खर्च में वृद्धि, भारत के बढ़ते एआई प्रतिभा आधार तथा एआई निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि सहित कई कारकों से प्रेरित है.
भारतीय कंपनियां बजट का 20% AI पर कर रही है खर्च
इस रिपोर्ट की मानें तो साल 2022 में भारत की लगभग 56% कंपनियां अपने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर आईटी बजट का 20 प्रतिशत हिस्सा खर्च कर रही थी. जबकि 2 साल बाद ही यानी 2024 में देश की 70 प्रतिशत भारतीय फर्म डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन पर आईटी बजट का 20% से खर्च कर रही हैं.
यह दर्शाता है कि भारतीय कंपनियां डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को लेकर कितनी गंभीर हैं. वे न सिर्फ अपनी सेवाओं और उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग कर रही हैं, बल्कि प्रतिस्पर्धा में आगे बने रहने के लिए भी इस पर भारी निवेश कर रही हैं. यह ट्रेंड बताता है कि भारत में डिजिटलाइजेशन का विस्तार तेजी से हो रहा है और कंपनियां इस बदलाव को अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.
साल 2027 तक हर जगह मौजूद होगा AI
आईडीसी के एसोसिएट उपाध्यक्ष शरत श्रीनिवास मूर्ति ने बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में AI के बढ़ते इस्तेमाल पर कहा कि भारत में एआई खर्च 2023 से 2027 के बीच 31.5 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ 7-10 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है. यानी साल 2027 तक भारत में हर जगह एआई मौजूद होगा.
उन्होंने कहा कि 2023 में 20.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का बड़ा खर्च एआई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजनिंग और संबंधित सॉफ्टवेयर द्वारा किया गया. श्रीनिवासमूर्ति ने कहा, कुल खर्च में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजनिंग सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहेगा.
भारत में किस फील्ड में सबसे ज्यादा हो रहा काम?
भारत में सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी फर्म में एआई पर काम किया जा रहा है. हाल ही में जारी किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार देश की 70 प्रतिशत टेक कंपनियां एआई प्रोजेक्ट्स को पायलट कर रही हैं.
वहीं दूसरे स्थान पर बैंकिंग और फाइनेंस है, जिसमें लगभग 55 फीसदी कंपनियां एआई पर काम कर रही हैं. इसके अलावा मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 50 फीसदी तो वहीं मीडिया और एंटरटेनमेंट में केवल 25 फीसदी कंपनियों में AI पर काम हो रहा है. इसके अलावा 38 प्रतिशत हेल्थ केयर फर्म्स अपने काम में एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं. भारत के 53 प्रतिशत बड़े फर्म का ऐसा मानना है कि एआई प्रोजेक्ट्स ने आईटी बजट को बढ़ा दिया है.
AI रेस में कौन कितना आगे?
- भारत में 70 फीसदी ऐसे फर्म हैं, जिनमें एआई प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है
- सिंगापुर इस मामले में दूसरे नंबर पर है. यहां 57 फीसदी कंपनियां ऐसी हैं जो इन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं.
- 53 फीसदी कंपनियों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका तीसरे नंबर पर है, जहां AI प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है.
- इसके अलावा जापान इस रेस में चौथे नंबर पर है, जहां 19 फीसदी कंपनियां AI प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं.
सरकारी योजनाएं हो रही मददगार
भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एआई मिशन, जिसकी अनुमानित लागत 10,372 करोड़ रुपये है, देश में तकनीकी विकास का एक महत्वपूर्ण कारण बन रहा है. इस मिशन का उद्देश्य न केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाना है, बल्कि विभिन्न उद्योगों में एआई के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर उन्हें अधिक सक्षम और प्रतिस्पर्धी बनाना भी है. इस निवेश से न केवल नई तकनीकों का विकास होगा, बल्कि देश में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. यह मिशन भारत के डिजिटल भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
क्या है ये AI मिशन
दरअस अभी तक भारत में एआई से जुड़े बड़े सिस्टम और सॉफ्टवेयर को विदेशों से मंगवाना पड़ता था. लेकिन अब केंद्र सरकार द्वारा शुरु की गई इंडिया एआई मिशन के तहत ऐसे सिस्टम को भारत में ही बनाने की कोशिश होगी. इससे भारतीय साइंटिस्ट और कंपनियों को नई चीजें सीखने-समझने में मदद मिलेगी.
आजकल कई युवा ऐसे हैं जो एआई का इस्तेमाल करके नए-नए काम की चीजें बनाना चाहते हैं. इस मिशन के तहत सरकार ऐसे युवाओं को फंडिंग देकर उनकी मदद करेगी. इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
मिशन एआई के तहत इस तरह के स्टार्ट-अप्स की मदद करने के लिए शुरुआत में ही उन्हें फंडिंग दी जाएगी. इससे न सिर्फ इन कंपनियों की तरक्की होगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. साथ ही सरकार एक ऐसा ढांचा तैयार करेगी जिसके माध्यम से नॉन-पर्सनल डेटा को एकत्र करके उपयोग में लाया जा सके.
इस मिशन के तहत अगले 5 साल का सरकार का जान लीजिये प्लान
केंद्र सरकार ने एआई मिशन के तहत 10 हजार से ज्यादा GPU यानी ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाने का प्लान किया है. ये GPU उस खास तरह के कंप्यूटर को कहतें है जो एआई को चलाने में मदद करेंगे. इसके अलावा सरकार हिंदी और अन्य भाषाओं पर आधारित डेटासेट्स के साथ 100 अरब से ज्यादा पैरामीटर वाले फाउंडेशनल मॉडल्स भी विकसित करेगी. ये मॉडल स्वास्थ्य, कृषि और गवर्नेंस जैसे जरूरी क्षेत्रों में इस्तेमाल होंगे.
इतना ही नहीं इस मिशन को पूरा करने के लिए 50 से ज्यादा मंत्रालयों में एआई क्यूरेशन यूनिट्स भी बनाई जाएंगी. एक एआई मार्केटप्लेस भी बनेगा, जहां एआई सर्विस और प्री-ट्रेंड मॉडल्स उपलब्ध होंगे. सरकार अलग-अलग विभागों में भी AI के लिए खास कमरे बनाएगी. इन कमरों में अधिकारी सीख सकेंगे कि AI का इस्तेमाल अपने काम को आसान बनाने के लिए कैसे करें. सरकार एक ऐसा ऑनलाइन बाजार भी बनाएगी जहां एआई से जुड़े उपकरण और पहले से सीख चुके मॉडल मिलेंगे. इससे जो लोग AI का इस्तेमाल करके नई चीजें बनाना चाहते हैं उन्हें काफी मदद मिलेगी.
वैश्विक स्तर पर कहां है भारत
दुनिया भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसमें सबसे आगे अमेरिका और चीन हैं. ये दोनों देश AI में सबसे ज्यादा निवेश कर रहे हैं और इस तकनीक का व्यापक रूप से इस्तेमाल भी कर रहे हैं. अमेरिका में सिलिकॉन वैली जैसे टेक्नोलॉजी हब और चीन में सरकारी नीतियों ने AI को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
भारत भी AI के उपयोग में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन वह अभी भी इन देशों से पीछे है. भारत का AI बाजार तेजी से बढ़ रहा है, और भारत सरकार द्वारा किए गए 10,372 करोड़ रुपये के AI मिशन जैसे प्रयास इसे और भी गति दे रहे हैं.
2023 के एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत AI विकास के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है, जिसमें अमेरिकी और चीनी कंपनियों की तुलना में निवेश और विकास के अवसर कम हैं, लेकिन तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में AI का उपयोग मुख्य रूप से हेल्थकेयर, वित्त, शिक्षा, और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में हो रहा है, और इसके साथ ही भारत AI के वैश्विक विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ओर बढ़ रहा है.
क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI एक ऐसी तकनीक है, जो कंप्यूटर और मशीनों को इंसानों की तरह सोचने, समझने, और निर्णय लेने की क्षमता देता है. AI का मतलब है कि मशीनें खुद-ब-खुद सीख सकती हैं, समस्याओं का हल ढूंढ सकती हैं, और नई चीजों को समझ सकती हैं. इसमें मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल होता है.
आसान भाषा में कहें तो AI एक ऐसी प्रणाली है जो इंसानों की तरह सोचने और व्यवहार करने की कोशिश करती है. उदाहरण के लिए, वॉइस असिस्टेंट (जैसे Siri या Google Assistant) को ही ले लीजिये. ये दोनों ही इंसानों के आवाज़ को समझकर जवाब देती है, या फिर सेल्फ-ड्राइविंग कारें, जो अपने आस-पास के माहौल को देखकर खुद चलती हैं, ये सब AI के उदाहरण हैं.