तारीख: 14 जुलाई, 2024 जगह: UP की राजधानी लखनऊ
लखनऊ में BJP की कोर कमेटी की बैठक थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा UP में पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह पूछ रहे थे। बैठक में सबसे पहले CM योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारा अति आत्मविश्वास UP में खराब प्रदर्शन की वजह बना। डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य ने जो वजह बताई, वो इसके उलट थी। उन्होंने कहा- चाहे केंद्र हो, या राज्य सरकार, कोई भी सरकार संगठन से बड़ी नहीं हो सकती।
केशव के ‘संगठन सर्वोपरि’ वाले बयान ने उनके और योगी सरकार के बीच एक लकीर खींच दी। इसके बाद चर्चा तेज हो गई कि योगी और केशव के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। केशव प्रसाद का CM योगी की मीटिंग में ना जाना भी मीडिया में ‘अंतर्कलह’ की तरह पेश किया गया।
डिप्टी CM केशव प्रसाद ने 29 जुलाई को विधान परिषद में सीनियर पुलिस अफसरों के साथ लॉ एंड ऑर्डर की बैठक की। सपा ने इसे लेकर भी सवाल खड़े किए। कहा कि गृह विभाग CM योगी के पास है, फिर बैठक डिप्टी CM क्यों कर रहे हैं। हालांकि, विधान परिषद में सदन का नेता होने की वजह से मौर्य पहले भी तीन बार ऐसी बैठकें कर चुके हैं।
खींचतान की आशंकाओं के बीच 30 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में पहुंचकर केशव मौर्य ने सबको चौंका दिया। BJP इसे अंतर्कलह की जगह आत्ममंथन बता रही है। हालांकि, तीन सवाल अब भी हैं।
1. क्या वाकई योगी-केशव में नाराजगी है।
2. क्या UP सरकार के मंत्रियों के बीच गुटबाजी शुरू हो चुकी है।
3. क्या BJP जल्द ही UP को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने वाली है।
इन सवालों के जवाब जानने से पहले, आपको अतीत के उस हिस्से में ले चलते हैं, जिससे योगी और केशव के बीच खींचतान की अटकलों को बल मिल रहा है।

2017 में BJP के मेनिफेस्टो में केशव की फोटो, लेकिन CM योगी बन गए
बात जनवरी 2017 की है। UP विधानसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर था। एक तरफ अखिलेश-राहुल की जोड़ी मिलकर प्रचार कर रही थी। दूसरी तरफ BJP के सामने बड़ा सवाल था कि चुनाव जीतने पर CM फेस कौन होगा? उस वक्त BJP के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य थे। लिहाजा, वही सूबे में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा थे।
BJP ने प्रचार किया कि चुनाव के बाद पार्टी CM के नाम का ऐलान करेगी। 28 जनवरी 2017 को जब BJP का मेनिफेस्टो आया तो फ्रंट पेज पर राजनाथ सिंह और केशव प्रसाद मौर्य की तस्वीर थी। उस वक्त तक योगी आदित्यनाथ की चर्चा भी नहीं थी।
25 फरवरी 2017 की सुबह योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के लिए निकलने की तैयारी कर रहे थे। तभी दिल्ली से उनके लिए एक फोन आया। कॉल पर दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय के अधिकारी बोल रहे थे। उस वक्त की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थीं।
UP विधानसभा चुनाव खत्म हुए, योगी दिल्ली निकल गए
UP विधानसभा चुनाव की वोटिंग खत्म होते ही 8 मार्च 2017 को योगी दिल्ली पहुंचे। उनका पासपोर्ट पहले ही विदेश मंत्रालय पहुंच चुका था, लेकिन 10 मार्च को पता चला कि उन्हें अब विदेश नहीं जाना है। योगी को उनका पासपोर्ट भी लौटा दिया गया। वो वापस UP लौट आए।
11 मार्च, 2017 को UP विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। BJP ने 403 सीटों में से 312 पर रिकॉर्ड जीत हासिल की। पार्टी ने 15 साल बाद UP में वापसी की थी। BJP के बड़े लीडर्स की दिल्ली दौड़ शुरू हो गई।
योगी भी 16 मार्च को संसदीय दल की बैठक में शामिल होने दिल्ली पहुंच गए। 18 मार्च की सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर BJP के CM पद के 2 कैंडिडेट उड़ान भरने को तैयार थे। पहले केशव प्रसाद मौर्य थे। उनके साथ प्रदेश प्रभारी ओम माथुर और संगठन मंत्री सुनील बंसल थे।
दूसरे कैंडिडेट योगी आदित्यनाथ थे। उनके पास अपना चार्टर्ड प्लेन था और साथ में एक सहयोगी भी था। योगी और केशव की मुलाकात हुई। योगी ने सभी नेताओं को चार्टर्ड प्लेन से साथ चलने को कहा। सभी लखनऊ एयरपोर्ट पहुंच गए।
लखनऊ एयरपोर्ट पर योगी और केशव एक साथ उतरे। केशव बाहर आए तो उनके स्वागत के लिए 500 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी थी। नारे लग रहे थे – ‘पूरा UP डोला था, केशव-केशव बोला था।’
दूसरी तरफ योगी अपने गिने-चुने समर्थकों के साथ चुपचाप गाड़ी में बैठे और वहीं से VVIP गेस्ट हाउस निकल गए। उसी दिन शाम 6 बजे विधायक दल की बैठक होने वाली थी।
फैसले की शाम…केशव की जगह योगी के नाम पर मुहर
18 मार्च की शाम विधायक दल की बैठक शुरू हुई। NDA के 325 विधायकों के साथ कई बड़े नेता लोकभवन पहुंचे। इनमें केशव प्रसाद मौर्य भी थे। विधायक दल की बैठक में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली एंट्री योगी आदित्यनाथ की थी, क्योंकि विधायकों की बैठक में एक सांसद पहुंचा था। मीटिंग खत्म हुई और फैसला लिया गया कि UP के अगले CM ‘महाराज’ यानी योगी आदित्यनाथ होंगे।
19 मार्च 2017 को योगी और केशव दोनों ने शपथ ली। फर्क सिर्फ इतना था कि योगी ने CM पद की शपथ ली और केशव ने डिप्टी CM पद की। इस घटनाक्रम के बाद से अब तक केशव डिप्टी CM बने हुए है। समय-समय पर ये भी खबरें आती रहती हैं कि योगी से उनकी नहीं बनती है। हालांकि, दोनों नेता ऐसी खबरों का लगातार खंडन करते रहे हैं।
मैं यहां नौकरी करने नहीं आया हूं…विधानसभा में क्या-क्या बोले CM योगी आदित्यनाथ?
उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस समय मानसून सत्र जारी है. इस क्रम में आज यानी गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन को संबोधित किया. इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि मैं यहां नौकरी करने नहीं आया हूं. मैं इसलिए आया हूं कि अगर कोई प्रदेश के अंदर व्यापारी, बहू-बेटी की सुरक्षा में सेंध लगाता है, अराजकता पैदा करता या फिर लोगों का जीना हराम करता है तो ऐसे लोगों को सब सिखा सकूं. उन्होंने कहा कि यह हमारी लड़ाई को सामान्य लड़ाई नहीं है, ये प्रतिष्ठा की भी लड़ाई नहीं है. क्योंकि प्रतिष्ठा तो मैं मठ में रह कर भी प्राप्त कर सकता था. लेकिन यह मेरे लिए मायने नहीं रखती.
सपा नेता का जिक्र आते ही क्यों आग बबूला हुए सीएम योगी
अयोध्या में 12 साल की बच्ची के साथ हुई रेप की घटना में सपा नेता मोईन खान का जिक्र आने पर मुख्यमंत्री योगी ने सख्ताई दिखाई. उन्होंने कहा कि यह कोई मामूली घटना नहीं है. इसको हल्के में नहीं छोड़ा जा सकता. उन्होंने कहा कि रेप केस में शामिल शख्स फैजाबाद के सांसद के साथ रहता है. बावजूद इसके समाजवादी पार्टी ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. सीएम योगी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि रेप केस जैसी घटनाओं में लिप्त लोगों को भी हल्के में लेने का काम किया जाता है.
योगी बोले- यूपी में कम हुए अपराध
उत्तर प्रदेश विधानसभा में CM योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर 2016 और 2024 के आंकड़ों की तुलना करूं तो डकैती के मामलों में 86.47% की कमी आई है, लूट के मामले में 78.17% की कमी आई है, हत्या के मामले में 43.21 % की कमी आई है, फिरौती और अपहरण के मामलों में 70% की कमी आई है. महिला संबंधित अपराधों में दहेज मृत्यु दर में 17.43% की कमी आई है, बलात्कार के मामलों में 25.30% की कमी आई है.