लोकसभा चुनाव 2024 (लोकसभा चुनाव 2024 ) को लेकर शुक्रवार को पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ. पहले चरण के लिए देश की 21 राज्यों की 102 सीटों पर लगभग 63.7 प्रतिशत वोट डाले गए हैं. पिछले 47 सालों में हुए 12 लोकसभा चुनावों के आंकड़ों को देखने के बाद एक बात जो सामने आती है वो है कि चुनाव आयोग (Election Commission) के तमाम प्रयासों के बाद भी देश के आम चुनावों में मतदान का आंकड़ा 60 से 70 प्रतिशत के आसपास ही रहा है. पिछले 12 चुनावों में सबसे कम मतदान 1991 में देखने को मिला जब 55.9 प्रतिशत मतदान हुए थे वहीं सबसे अधिक मतदान 2019 में हुआ था जब 67.4 प्रतिशत वोट पड़े थे. आइए जानते हैं कि कम मतदान और अधिक मतदान का चुनाव परिणाम पर क्या असर रहा है.
लोकसभा चुनाव 2024 (लोकसभा चुनाव 2024 ) को लेकर शुक्रवार को पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ. पहले चरण के लिए देश की 21 राज्यों की 102 सीटों पर लगभग 63.7 प्रतिशत वोट डाले गए हैं. पिछले 47 सालों में हुए 12 लोकसभा चुनावों के आंकड़ों को देखने के बाद एक बात जो सामने आती है वो है कि चुनाव आयोग (Election Commission) के तमाम प्रयासों के बाद भी देश के आम चुनावों में मतदान का आंकड़ा 60 से 70 प्रतिशत के आसपास ही रहा है. पिछले 12 चुनावों में सबसे कम मतदान 1991 में देखने को मिला जब 55.9 प्रतिशत मतदान हुए थे वहीं सबसे अधिक मतदान 2019 में हुआ था जब 67.4 प्रतिशत वोट पड़े थे. आइए जानते हैं कि कम मतदान और अधिक मतदान का चुनाव परिणाम पर क्या असर रहा है.
60 प्रतिशत से अधिक मतदान होने पर किसे मिली जीत?
पिछले 12 चुनावों में से 1977, 1984,1989, 1998,1999,2014 और 2019 के चुनावों में 60 प्रतिशत से अधिक वोट पड़े हैं. इन चुनावों के परिणाम को अगर देखें तो 1977,1989, 1998 और 2014 के चुनावों में सत्ता में परिवर्तन देखने को मिली. वहीं तीन चुनाव 1989,1999 और 2019 के चुनावों में 60 प्रतिशत से अधिक वोटिंग के बाद भी सत्ताधारी दलों की वापसी हुई.
कम मतदान प्रतिशत वाले चुनावों का हाल
जिन चुनावों में 60 प्रतिशत से कम वोट पड़े उन चुनावों के परिणाम पर अगर नजर डाले तो 1980 के चुनाव में 56.9 प्रतिशत वोट पड़े थे और केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो गया था. जनता पार्टी की सरकार हार गयी थी और कांग्रेस की वापसी हो गयी थी. 1991 के चुनाव में 55.9 प्रतिशत वोट पड़े थे और केंद्र में एक बार फिर कांग्रेस की वापसी हो गयी थी. 1996 के चुनाव में 57.9 प्रतिशत वोट पड़े थे खंडित जनादेश मिलने के बाद संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी थी. 2004 और 2009 के चुनावों में भी कम वोट परसेंट रहे थे इन चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
पिछले तीन चुनाव से लगातार बढ़ रहे थे वोट परसेंट
पिछले तीन चुनावों से वोट परसेंट में बढ़ोतरी देखने को मिल रही थी. साल 2009 के चुनाव नें 2004 की तुलना में वोट परसेंट में बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी. वहीं 2014 के चुनाव में 2009 की तुलना में बंपर वोटिंग हुई थी. इस चुनाव में लगभग 8 प्रतिशत अधिक वोट पड़े थे. वहीं 2019 के चुनाव में 2014 की तुलना में 1.6 प्रतिशत अधिक वोट पड़े थे.
वोट प्रतिशत में गिरावट के क्या कारण हो सकते हैं?
वोट प्रतिशत में गिरावट न सिर्फ उत्तर भारत के राज्यों में दर्ज किए गए हैं बल्कि यह गिरावट दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के राज्यों में भी देखने को मिले हैं. उत्तर भारत में जहां भीषण गर्मी को भी इसका एक अहम कारण माना जा सकता है लेकिन पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों में भी मत प्रतिशत में गिरावट देखने को मिली है.पूरे देश में एक ट्रेंड देखा गया है कि लगभग सभी राज्यों में 7 से 12 प्रतिशत तक मतों में गिरावट दर्ज की गयी है.
छिटपुट घटनाओं के बीच देश में शांतिपूर्ण हुआ मतदान
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर शुक्रवार को शाम सात बजे तक 64 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. इस दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं सामने आईं, वहीं छत्तीसगढ़ में एक ग्रेनेड लांचर के गोले में दुर्घटनावश विस्फोट होने से सीआरपीएफ के एक जवान की मौत हो गई. निर्वाचन आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि मतदान का आंकड़ा अभी केवल अनुमान आधारित है और मतदान शांतिपूर्ण एवं निर्बाध तरीके से हुआ.