बिहार विधानसभा के बजट सत्र के 11वें दिन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के विधायकों ने विरोध जताया। विधायकों के पाला बदलने और स्कूल की टाइमिंग में बदलाव नहीं होने पर विपक्ष के विधायकों ने हंगामा किया। माले विधायक वेल में आए गए। लेफ्ट के महबूब आलम ने कहा कि सरकार ने कहा था कि शिक्षक सुबह 9:45 बजे स्कूल आएंगे और शाम 4:15 बजे जाएंगे। लेकिन ये आदेश अभी तक लागू नहीं हो पाया। सरकार का आदेश फर्जी है। विपक्ष के हंगामे के बीच प्रश्नकाल जारी रहा।
हंगामे के बीच विपक्ष के विधायकों ने स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए वॉक आउट किया। इस दौरान राजद विधायक ललित यादव स्पीकर से उलझ गए। स्पीकर की तरफ उंगली दिखाकर वो ऊंची आवाज़ में कुछ बोल रहे थे। इस पर स्पीकर ने कहा कि आप असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
इस दौरान सम्राट चौधरी ने कहा कि बैठ जाइए। आपके सवालों का भी जवाब दिया जा रहा है। वहीं विजय सिन्हा ने कहा कि ये सदन की गरिमा गिरा रहे हैं। स्पीकर जिस तरीके से पारदर्शिता से सदन चला रहे हैं, इसके बाद इस तरह का आरोप ये गलत है। प्रश्नकाल के बाद विपक्ष के विधायक सदन में वापस आ गए।
इधर आरजेडी के बागी विधायक पर कार्रवाई को लेकर राजद के मुख्य सचेतक अख्तरुल ईमान शाहीन मैं विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई को लेकर पत्र दिया है। दल बदल कानून के तहत उन पर कार्रवाई करने की विधानसभा अध्यक्ष से मांग की है। अख्तरुल ईमान शाहीन ने कहा है कि नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव के आदेश पर हमने अपने विधायकों पर कार्रवाई करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र दिया है। चेतन आनंद, नीलम देवी, प्रहलाद यादव, संगीता कुमारी पर कार्रवाई की जाए।
विपक्ष के हंगामे पर सम्राट चौधरी ने कहा कि अगर स्कूल की टाइमिंग में बदलाव नहीं हुआ है तो 12.30 बजे सीएम के साथ बैठक है। इस पर बात कर तत्काल मुख्यमंत्री के आदेश को लागू करवाया जाएगा।
बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 समेत 10 विधेयक होंगे पेश
बता दें कि आज सरकार विधानसभा में 10 से ज्यादा विधेयक पेश करेगी। इनमें से सबसे अहम है बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024। यह कानून 1981 के कानून की जगह लेगा। जानकारी के मुताबिक, बिहार सरकार राज्य में बालू, दारू, जमीन और साइबर माफिया के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के मूड में है।
इस नए कानून के जरिए राज्य में आर्थिक और साइबर अपराध के बढ़ने, नई तकनीक (डिजिटल साधनों) से होने वाले क्राइम पर नकेल कसने की तैयारी है। नए कानून में गैंगस्टरों और साइबर अपराधियों को रोकने के लिए पुलिस की शक्ति बढ़ाई गई है।
नए अपराध नियंत्रण विधेयक में इंस्पेक्टर स्तर तक के अधिकारी को तलाशी लेने और सामान जब्त करने की शक्ति दी गई है। ऐसे में पुलिस की ताकत बढ़ेगी। NDA की सरकार बनते ही डिप्टी CM सम्राट चौधरी ने कहा था कि माफियाओं को खत्म करने का ग्रीन सिग्नल दे दिया गया है। अब कानून में संशोधन लाया जा रहा है।
आरजेडी करेगी विरोध- भाई वीरेंद्र
RJD के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि नीतीश सरकार आज जो अपराध और भ्रष्टाचार पर कानून सदन में लेकर आ रही है उसका जमकर विरोध होगा। भाई वीरेंद्र ने कहा कि सरकार का विरोध करने वाले को जेल में डालने और जिला बदर करने की सरकार ने योजना बनाई है। जिलाधिकारी को जो पावर दिया गया है वो निश्चित तौर पर यह गलत है। भाई वीरेंद्र ने कहा कि जिस तरीके से छात्र आंदोलन हुआ था।उसी तरीके से इस कानून के खिलाफ सभी लोगों को एक साथ आंदोलन करना होगा।
नए कानून के बाद क्रिमिनल का छूटना मुश्किल
पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन को कार्रवाई करने की व्यापक शक्ति दी गई है। पहले वाले कानून में ऐसे प्रावधान नहीं थे। लिहाजा, अपराधी कानून के फंदे से आसानी से छूटने में कामयाब हो जाते थे।
महाराष्ट्र और गुजरात में पहले से आर्थिक और साइबर अपराधियों से निपटने के लिए कड़े कानून हैं, लेकिन अपराध की बदलती शैली, तरीकों में हुए बदलाव को देखते हुए बिहार में अपराधियों पर नियंत्रण बड़ी चुनौती बनी हुई थी।
नए कानून में DM को CCA लगाने का अधिकार
अधिनियम में नए तरह के अपराधों में शामिल गैंगस्टरों पर भी CCA लगेगा। इन पर DM पहली बार 6 महीने के लिए CCA लगाएंगे। उसके बाद CCA की अवधि 6 माह बढ़ाई जा सकेगी। सरकार सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट पर ऐसा करेगी। बोर्ड में 3 हाई कोर्ट के जज या ऐसी ही अर्हता वाले नियुक्त होंगे।
30 दिनों का वीडियो सुरक्षित रखना होगा
अपराध नियंत्रण के लिए सार्वजनिक जगहों पर CCTV कैमरा और सिक्योरिटी डिवाइस की व्यवस्था के लिए बिहार लोक सुरक्षा (उपाय) प्रवर्तन विधेयक, 2024 भी बुधवार को पास हुआ।
इसके तहत राज्य के प्रतिष्ठानों, धार्मिक-शैक्षणिक संस्थानों, अपार्टमेंट, अस्पताल, बैंक, स्टेशन, बस स्टैण्ड पर CCTV कैमरा लगाने या निजी CCTV के 30 दिनों तक के वीडियो फुटेज लेने की शक्ति सरकार को होगी। इसके लिए CCTV लगाने वाले मना नहीं कर सकते।
जानिए, ऐसे कड़े कानून की जरूरत क्यों पड़ी
1981 के कानून से साइबर अपराध के साथ गैंग बनाकर बालू, शराब, जमीन से जुड़े अपराध को नियंत्रित करना संभव नहीं हो रहा था। नए कानून में संगठित अपराध को रोकने, जिला बदर करने की व्यवस्था है।
1957 के खान-खनिज अधिनियम, बिहार उत्पाद एवं निषेध अधिनियम, IT अधिनियम और जमीन पर अवैध कब्जेदारों से निपटने की शक्ति नहीं थी, लेकिन नए कानून में बालू, शराब, जमीन माफियाओं से निपटने का इंतजाम है।