मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए हैं। इधर, बिहार में ‘खेला’ शब्द हर तरफ से खेल में है। सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड के साथ भारतीय जनता पार्टी भी बहुमत हासिल करने को आश्वस्त है। जदयू-भाजपा के मंत्रियों के साथ हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर के प्रमुख जीतन राम मांझी भी अब दुहरा रहे हैं कि 12 फरवरी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई सरकार बहुमत हासिल कर लेगी। सत्तासीन मंत्री कह रहे कि बहुमत हासिल करना अगर खेला है, तो वह खेल जीत लेंगे। लेकिन, असल खेल लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल करने वाली है।
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने आज चौंकाने वाला एलान कर दिया. उन्होंने अपने खिलाफ आये अविश्वास प्रस्ताव की कोई जानकारी नहीं की बात कहते हुए कहा है कि वे कुर्सी नहीं छोडेंगे. यानि 12 फरवरी को जब नीतीश कुमार विश्वास मत पेश करेंगे तो उस दौरान राजद के अवध बिहारी चौधरी कुर्सी पर जबरन बने रहेंगे. जाहिर है बड़े संकट के आसार नजर आने लगे हैं.
बिहार में 28 जनवरी को नीतीश कुमार के नेतृत्व में नयी सरकार बनी. उसी दिन बीजेपी, जेडीयू औऱ हम पार्टी के विधायकों ने विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दे दिया. अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा के सचिव को सौंपा गया. विधानसभा को संचालित करने के लिए बनी नियमावली के मुताबिक अगर अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है तो उसके 14 दिन बाद सदन में उस पर चर्चा होगी.
अविश्वास प्रस्ताव लाने के 14 दिन बाद सदन की कार्यवाही के दौरान कम से कम 37 विधायक खड़े होकर कहेंगे कि अध्यक्ष के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया है. इसके बाद अध्यक्ष अपना आसन छोड़ देंगे और उपाध्यक्ष उस आसन पर बैठेंगे. फिर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी. अगर सदन में मौजूद विधायकों के बहुमत ने अध्यक्ष के खिलाफ वोटिंग कर दी तो उन्हें अपनी कुर्सी छोड़ देनी पड़ेगी.
आज अवध बिहारी चौधरी ने फंसा दिया पेंच
लेकिन इस पूरी प्रक्रिया पर आज विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने पेंच फंसा दिया. विधानसभा पहुंचे अवध बिहारी चौधरी ने मीडिया से बात की. उन्होंने-मैं अध्यक्ष की कुर्सी पर बना रहूंगा. मुझे आज जानकारी मिली है कि मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. विधानसभा की नियमावली के मुताबिक मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा आज के 14 दिन बाद होगी. जब चर्चा होगी जब देखेंगे. इस दौरान मैं आसन पर कायम रहूंगा.
स्पीकर की बातों को समझिये
विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी कह रहे हैं कि 7 फरवरी को उन्हें अविश्वास प्रस्ताव की जानकारी मिली है और अगले 14 दिन यानि 21 फरवरी तक वे आसन पर रहेंगे. 12 फरवरी को सदन में सरकार को बहुमत साबित करना है. 13 फरवरी को बजट पेश करना है. 21 फरवरी से पहले सदन में सरकार को तीन परीक्षाओं को पास करना है. 12 फरवरी को विश्वास मत हासिल करना, राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को पारित कराना और बजट को पास कराना. अगर किसी एक परीक्षा में सरकार फेल हुई तो वह गयी.
स्पीकर अवध बिहारी चौधरी कह रहे हैं कि सरकार की इन तीनों परीक्षाओं के दौरान सदन के सर्वशक्तिमान पद पर वही कायम रहेंगे. सदन के अंदर सारे फैसले लेने का अधिकार उन्हें होगा. वे कुर्सी नहीं छोडेंगे. परीक्षा नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की होगी औऱ अध्यक्ष की कुर्सी पर राजद के अवध बिहारी चौधरी होंगे. फिर सदन में क्या होगा, ये बताने की जरूरत नहीं है.
खेला होने के आसार
अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 28 जनवरी को लाया गया था. ये प्रस्ताव विधानसभा के सचिव को सौंपा गया था. इसका रिकार्ड है. लेकिन अध्यक्ष ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. जाहिर है विधानसभा अध्यक्ष खेला करने की तैयारी में हैं. ऐसे में 12 फरवरी को जब विधानमंडल का सत्र शुरू होगा तो सदन के भीतर संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. सदन के भीतर भारी टकराव भी हो सकता है. अगर अवध बिहारी चौधरी आसन से नहीं हटे तो सरकार उन्हें जबरदस्ती हटा भी नहीं सकती. फिर सदन में जो होगा उसे देखना दिलचस्प होगा.
14 दिन का ग्रहण खत्म नहीं करने देगा राजद
अब जानें कि राजद का असल खेल क्या है? दरअसल, 12 को सरकार के बहुमत परीक्षण की तारीख पक्की है। बिहार विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत ही इसी से होने वाली है। बजट सत्र की तैयारी भी चल रही है। सरकार को भी पता है कि अवध बिहारी चौधरी अध्यक्ष रहेंगे तो बहुमत की प्रक्रिया के दौरान सत्तासीन विधायकों पर कार्रवाई में वह आगे-आगे कर सकते हैं। इसके अलावा वह गिनती कराने की जगह शोरगुल के आधार पर वोटों का जोर भी मापने की कोशिश करा सकते हैं। इसी कारण, सरकार ने सबसे पहले उन्हें ही हटाने की तैयारी के तहत अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। आज सात फरवरी है और बहुमत हासिल करने के लिए पांच दिन ही बचे हैं। इसमें, अवध बिहारी चौधरी ने अब आकर कहा है कि उन्हें जानकारी मिली है कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना है। मतलब, आया नहीं है। अब इस हिसाब से वह सदन की कार्यवाही के पहले दिन, यानी 12 फरवरी, मतलब सरकार के बहुमत परीक्षण के दिन अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। अगर उनकी यह मर्जी चली तो 12 फरवरी से फिर 14 दिन का ग्रहण लगा रहेगा। विधानसभा अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के 14 दिन बाद ही हटाया जा सकता है।
राज्यपाल के पाले में जा सकती है गेंद
विधानसभा अध्यक्ष के इस दांव से निपटने के लिए एनडीए राज्यपाल के पास जा सकती है. राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं. वे विधानसभा अध्यक्ष को सलाह दे सकते हैं लेकिन अध्यक्ष के लिए उसे मानना जरूरी नहीं है. इससे नया टकराव शुरू हो सकता है.
उपाध्यक्ष ने कहा-कुर्सी छोड़नी पड़ेगी
उधर विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने कहा कि अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. 28 जनवरी को ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. वे कहीं औऱ के इशारे पर बोल रहे हैं लेकिन उनकी कुछ चलने वाली नहीं है. 12 फरवरी को विधानसभा की कार्रवाई शुरू होगी तो अध्यक्ष को आसन छोड़ना होगा. उसके बाद उपाध्यक्ष सदन की कार्यवाही चलायेंगे और अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी. उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने कहा कि विधायकों का बहुमत विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के पक्ष में है. इसलिए किसी की कुछ चलने वाला नहीं है.