भारत को पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व और हिंद महासागर में चीन से चुनौतियां मिल रही हैं। इन सब के बीच अंतरिम बजट 2024-25 पेश किया। सरकार ने डिफेंस पर खर्च के लिए 6.2 लाख करोड़ रुपए दिए हैं। ये पिछले साल के मुकाबले केवल 0.27 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है। सरकार ने पिछले साल डिफेंस बजट के लिए 5.93 लाख करोड़ रुपए दिए थे। वित्त वर्ष 20024-25 के कुल बजट में डिफेंस पर 8% खर्च हो रहा है।
डिफेंस बजट के 3 पार्ट होते हैं। रेवेन्यू, कैपिटल ऐक्सपैंडीचर और पेंशन…
1. रेवेन्यू : इससे सैलरी बांटी जाती है
सरकार ने तीनों सेनाओं की सैलरी के लिए इस साल 2.82 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। पिछले साल के मुकाबले 12652 करोड़ रुपए ज्यादा दिए गए हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में रेवेन्यू बजट के लिए 2.77 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे।
2. कैपिटल ऐक्सपैंडीचर : इससे सेना के लिए हथियार और दूसरा जरूरी सामान खरीदा जाता है
हथियारों की खरीददारी के लिए 1.62 करोड़ रुपए दिए गए हैं। ये पिछले साल के मुकाबले केवल10231 करोड़ रुपए ज्यादा है। वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने हथियारों की खरीद के लिए 1.52 करोड़ दिए थे।
सेना की ताकत के लिहाज से यह सबसे अहम पार्ट होता है। इससे हथियार, गोले-बारूद, फाइटर प्लेन जैसी चीजें खरीदी जाती हैं।
वित्त मंत्री ने साल 2023-24 के लिए कैपिटल बजट में 1.62 लाख करोड़ रुपए अलॉट किए थे। जबकि रक्षा मंत्रालय ने सरकार से हथियार खरीदने के लिए 1.76 लाख करोड़ रुपए की मांग की थी।
3. पेंशन: रिटायर्ड सैन्य कर्मियों को पेंशन देने के लिए
इस साल पेंशन के लिए सरकार ने 1,41,205 करोड़ रुपए दिए हैं। डिफेंस बजट में पेंशन के लिए पिछले साल 1.38 लाख करोड़ रुपए दिया गया था। इस साल पेंशन के लिए 3 हजार करोड़ रुपए ज्यादा दिया गया है। वहीं 2022 में यह आंकड़ा 1.19 लाख करोड़ रुपए था।
इस साल पेंशन के लिए सबसे ज्यादा आर्मी को 127636 करोड़ फिर एयरफोर्स को 13813 करोड़ और नेवी को सबसे कम 7731 करोड़ दिया है। एयरफोर्स की हिस्सेदारी 13813 देश में तीनों सेनाओं से रिटायर्ड सैनिकों की संख्या करीब 26 लाख है।
पिछले 3 सालों में डिफेंस बजट GDP के 2.4% से घटकर 1.97% हुआ
- रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल मनोहर बहादुर के मुताबिक भारत के डिफेंस बजट में पिछले 3 सालों में कुछ ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। देखा जाए तो ये कम ही हुआ है।
- 2020 में सरकार डिफेंस पर GDP का 2% से ज्यादा हिस्सा खर्च कर रही थी। जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 1.9% हो गया।
- रिसर्च और डेवलपमेंट के मामले में भी हालात कुछ खास नहीं हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 के मुताबिक भारत रिसर्च और डेवलेपमेंट पर कुल GDP का महज 0.7% हिस्सा खर्च कर रहा है।
- रिसर्च एंड डेवलपमेंट के मामले में भारत दुनिया में 53वें स्थान पर है। जबकि चीन ने रिसर्च के लिए 2022 में अपनी GDP का 2.54% यानी 34 लाख करोड़ रुपए खर्च किए थे।
संसदीय कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक देश को आने वाले सालों में रक्षा क्षेत्र में रिसर्च पर बजट दोगुना करने की जरूरत है। फिलहाल डिफेंस रिसर्च का जितना बजट है, वह सिर्फ देश को आत्मनिर्भर बनाने या उसकी रक्षा करने के लिए ही काफी है।
जब तक देश हथियारों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहेगा वो स्वतंत्र रूप से फैसले नहीं ले सकता है, उसे सुरक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ेगा। इससे देश ग्लोबल लीडर नहीं बन सकता।
जंग के खतरे बढ़ रहे पर हथियारों पर खर्च घटा
दुनिया में फिलहाल 2 जगह जंग चल रही है। गाजा में इजराइल और हमास 4 महीने से लड़ रहे हैं। वहीं, यूरोप में रूस-यूक्रेन के बीच लगभग 2 साल से जंग छिड़ी है। इससे दुनिया ने एक बड़ा सबक सीखा है। वो यह कि अगर कोई देश छोटा है तो मतलब ये नहीं कि वो जल्दी घुटने टेक देगा। डिफेंस एक्सपर्ट एयर वाइस मार्शल मनोहर बहादुर के मुताबिक इससे भारत के लिए भी चिंता बढ़ी है।
यूरोपियन डिफेंस एंड सिक्योरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सिर्फ 30-60 दिनों तक ही जंग लड़ सकता है। हथियार खरीदने के लिहाज से पिछले साल के डिफेंस बजट में काफी कमी देखी गई थी। ज्यादा फोकस सैलरी पर रखा गया था।
2022 में हथियारों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए अलॉट किए गए थे, इसमें करीब 6.5% की बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि, इससे पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2022-23 में हथियार खरीदने के बजट में 12% और उसके पहले 2021-22 में 19% की बढ़ोतरी हुई थी।
2023 में सेना को क्या मिला और क्या कमी रह गई…
कामयाबी
- हमारा देश अभी 85 देशों में अपने हथियार सप्लाई कर रहा है। भारत के डिफेंस निर्यात में 2016 के मुकाबले 10 गुना इजाफा हुआ है।
- 2023 में भारत ने हथियारों में इस्तेमाल होने वाले 928 उपकरणों की एक सूची तैयार की है, जिन्हें भारत में ही बनाया जाएगा।
- नेवी के लिए 26 राफेल विमान खरीदने की मंजूरी मिली। 31 MQ- 9B रीपर ड्रोन खरीदने को लेकर अमेरिका से डील हुई।
- भारत और अमेरिका के बीच मिलकर लड़ाकू बख्तरबंद वाहन स्ट्राइकर बनाने पर सहमति बनी।
- अमेरिका की GE एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच फाइटर प्लेन के इंजन बनाने का समझौता हुआ।
कमी
- भारत अब भी हथियार इम्पोर्ट करने के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है। 2018 से 2022 में दुनिया में हथियारों की खरीदारी में भारत की हिस्सेदारी 11% रही।
- भारतीय वायुसेना को 114 फाइटर जेट्स की जरूरत है।
- भारतीय नेवी के पास 132 युद्धपोत और जहाज हैं। जबकि उसे 175 युद्धपोतों की जरूरत है।
- सेना को 11,266 यंग ऑफिसर्स की जरूरत है।