केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने रविवार को यह साफ कर दिया है कि वह अपने भतीजे चिराग पासवान के लिए हाजीपुर लोकसभा सीट नहीं छोड़ेंगे। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) प्रमुख दिवंगत रामविलास पासवान लंबे समय तक इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे थे, जिसपर चिराग पासवान दावा कर रहे हैं। रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी दो गुट में बंट गई जिसमें से एक गुट के नेता पारस और दूसरे गुट के नेता चिराग हैं।
पशुपति कुमार पारस ने कहा कि हम हर साल 28 नवंबर को लोजपा का स्थापना दिवस मनाते हैं। हम इस साल भी ऐसा करेंगे, लेकिन लेकिन समारोह पटना की जगह हाजीपुर में आयोजित किया जाएगा जो स्वर्गीय राम विलास पासवान की कर्मभूमि रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या स्थल में बदलाव उनके दिवंगत भाई के गढ़ में ताकत के परीक्षण के लिए है। इसपर पारस ने जवाब दिया कि यह एक बदलाव होगा। यह हर साल एक ही प्रकार के भोजन की एकसरता को दूर करने के लिए एक अलग व्यंजन आजमाने जैसा है।
एनडीए के एक मात्र सहयोगी
केंद्रीय मंत्री ने वर्ष 2021 में लोजपा में विभाजन की योजना बनाई थी और तब चिराग पार्टी अध्यक्ष थे। परास से यह भी पूछा गया कि वह वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए कितनी सीट चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के तीन घटक दल थे और उसने 39 सीट जीती थीं। अब केवल दो दल हैं। हम भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र स्थिर सहयोगी हैं।
चिराग की पार्टी दलदल है
पशुपति पारस ने कहा कि मौजूदा लोकसभा में हमारी पार्टी के कुल पांच सांसद हैं। हम इन सभी सीट पर चुनाव लड़ेंगे और बिहार में राजग को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करेंगे। पारस को जब यह बताया गया कि जमुई सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले चिराग दशकों से अपने दिवंगत पिता के प्रतिनिधित्व वाली सीट से अपनी मां रीना को मैदान में उतारकर हाजीपुर पर दावा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसपर पारस ने चिराग पर मजाकिया अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह किस पार्टी के टिकट के तहत सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी पार्टी नहीं, बल्कि दलदल है।