मध्य प्रदेश में बहुत जल्द होने जा रहे विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Elections 2023) के लिए सोमवार को जारी की गई प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टिकट की घोषणा नहीं कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) शायद उन पर शिकंजा कसना चाह रही है. दरअसल, 230 सीटों वाली विधानसभा के लिए अब तक घोषित 78 सीटों को देखकर साफ़ नज़र आता है कि BJP ने क्षेत्रीय वरिष्ठ पार्टी नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को संभालने, कमज़ोर सीटों पर मज़बूती हासिल करने के लिए अपने शीर्ष नेतृत्व को इस्तेमाल करने, और मुख्यमंत्री पद की दौड़ को खुला रखने की भरपूर कोशिश की है. सूबे में अब तक चुनाव प्रचार अभियान के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहे हैं.
राजनैतिक हलकों में हैरानी फैला देने वाले एक कदम के तहत BJP ने घोषणा की कि वह लोकसभा के सात सदस्यों को, जिनमें तीन केंद्रीय मंत्री हैं, चुनाव मैदान में उतार रही है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भोपाल यात्रा के कुछ ही घंटे बाद घोषित सूची में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी शामिल हैं. इन लोगों में से चार लोग अतीत में विधायक रह चुके हैं.
एक दशक बाद विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे कैलाश विजयवर्गीय पिछली बार 2013 में अपने पैतृक इंदौर जिले की महू सीट से दूसरी बार जीते थे. अब वह वह इंदौर-1 सीट से चुनाव लड़ेंगे. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दो दशक के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं, क्योंकि वह आखिरी बार 2003 में ग्वालियर से लगाीतार दूसरा बार चुनाव जीते थे.
नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते भी इस बार चुनाव मैदान में उतार दिए गए हैं. प्रत्याशी सूची से ऐसा महसूस होता है कि सत्तासीन पार्टी चुनाव मैदान में अपने ही वरिष्ठ क्षेत्रीय नेताओं के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश कर रही है, ताकि चुनिंदा इलाकों और जातियों के बीच उनके तजुर्बों और असर से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाया जा सके.
सात मौजूदा सांसदों को चुनाव मैदान में लाकर BJP न सिर्फ़ कमज़ोर सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि आसपास की सीटों पर भी इन दिग्गजों की लगातार मौजूदगी से असर पड़े.
इस बीच, मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुखिया और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि BJP ने “हार कबूल कर ली है…”
माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट X (अतीत में ट्विटर) पर कमलनाथ ने लिखा, “मध्य प्रदेश में हार स्वीकार कर चुकी BJP ने उम्मीद का आखिरी झूठा दांव आज खेला है… साढ़े 18 साल की BJP सरकार और 15 साल से ज़्यादा के शिवराजी विकास के दावों को नकारने वाली BJP प्रत्याशियों की सूची करोड़ों कार्यकर्ताओं की पार्टी होने का दावा करने वाली BJP की आंतरिक हार पर पक्की मुहर है…”
कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए दावा किया कि कांग्रेस के डर से BJP ने सूबे में अपने ‘डूबते जहाज़’ को बचाने के लिए शीर्ष केंद्रीय नेताओं को शामिल किया है. सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि शिवराज सिंह चौहान जानते हैं कि वह हारने वाले हैं, लेकिन वह अपने साथ अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बड़े नेताओं को भी डुबोना चाहते हैं.
चुनावी दौड़ में शामिल किए गए चार अन्य लोकसभा सांसद हैं – सतना सीट से चार बार सांसद रह चुके गणेश सिंह, जिन्हें उनकी मौजूदा सीट से ही मैदान में उतारा गया है – सीधी लोकसभा सीट से दूसरी बार की मौजूदा सांसद रीति पाठक, जिन्हें सिशी सीट से टिकट दिया गया है – चार बार जबलपुर से सांसद चह चुके राकेश सिंह, इस बार जबलपुर-पश्चिम से चुनाव लड़ेंगे – और होशंगाबाद सीट से तीसरी बार सांसद बने उदय प्रताप सिंह, इस बार नरसिंहपुर जिले की गादरवारा सीट से चुनाव मैदान में होंगे.