विश्व ओजोन दिवस पर शनिवार को बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् की ओर से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पर्षद् मुख्यालय के सम्मेलन कक्ष में दो अतिथि वक्ताओं के व्याख्यान का आयोजन किया गया। इससे पहले बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् के सदस्य– सचिव एस. चन्द्रशेखर ने कार्यक्रम में उपस्थित तथा ऑनलाईन जुडे श्रोताओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ओजोन स्तर के महत्व को जानते हुए कहा जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने में इसकी अहम भूमिका है। इस वर्ष ओजोन स्तर के परिरक्षण दिवस पर दिया गया विषय वस्तु (थीम) है – ‘मॉ्ट्रिरयल प्रोटोकॉलः फिक्सिंग द ओजोन लेयर एंड़ रिड़्यूसिंग क्लाइमेट चेंज’।
मौके पर वक्ताओं ने कहा कि विश्व समुदाय के अतिरिक्त राज्य को भी जलवायु परिवर्तन की विभिषिका को देखना पड रहा है। अतिवृष्टि‚ अनावृष्टि‚ सूखा‚ बाढ़ आदि की मार झेल रहे हैं। वर्ष २०१९ में अति गर्मी के कारण कई लोग प्रभावित हुए हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकने के लिए ‘जल–जीवन–हरियाली मिशन’ की शुरूआत की गयी है। इस मिशन के लक्ष्य की प्राप्ति एवं सफलता के बाद ‘जल–जीवन–हरियाली’ के द्वितीय चरण की शुरुआत की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा जारी की जाने वाले कृषि रोड मैप द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कम करने की योजना है। पर्यावरण‚ वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् द्वारा यूएनईपी के साथ ‘जलवायु अनुकूल न्यून कार्बन योजना’ विषय पर अध्ययन किया जा रहा है।
कार्यक्रम में प्रथम अतिथि वक्ता कमल कुमार‚ अतिरिक्त निदेशक‚ केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड‚ परियोजना कार्यालय‚ आगरा ने ऑनलाईन जुडकर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि ओजोन स्तर के क्षय को रोकने के लिए हमें ओजोन क्षयकारी पदार्थों का उपयोग कर बनायी गयी सामग्रियों का उपयोग न करने का संकल्प लेना होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान‚ पटना की पर्यावरणीय व असैनिक अभियंात्रिकी की सहायक प्रायापक डॉ. प्राढ़ी राजीव ने कहा कि ओजोन स्तर पृथ्वी वासियों के लिए हितकारी है। ओजोन स्तर को क्षय से बचाने का प्रयास स्वयं के स्तर से हमें करना चाहिए। कार्यक्रम के समापन पर राज्य पर्षद् के वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार ने कार्यक्रम में ऑफलाईन/ऑनलाईन शामिल अतिथि वक्ताओं‚ श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय समुदाय के लिए “मॉ्ट्रिरयल प्रोटोकॉल’ सफलता की कहानी है।