मोरक्को में शुक्रवार देर रात आए भूकंप में अब तक 2,012 लोगों की मौत हो चुकी है। BBC के मुताबिक, 2,059 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इनमें से 1404 की हालत गंभीर है। किंग मोहम्मद VI ने 3 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। उन्होंने पीड़ितों को खाना, आवास और दूसरी मदद देने का आदेश दिया है।
मोरक्को जियोलॉजिकल सेंटर के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता 7.2 थी। हालांकि, US जियोलॉजिकल सर्वे ने इसकी तीव्रता 6.8 बताई है। साथ ही कहा कि ये इस इलाके में 120 साल में आया सबसे ताकतवर भूकंप है। UN यानी संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक भूकंप की वजह से 3 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
मोरक्को के स्टेट टेलीविजन ने बताया कि भूकंप की वजह से कई इमारतें ढह गईं हैं। भूकंप का एपिसेंटर एटलस पर्वत के पास इघिल नाम का गांव बताया गया, जो माराकेश शहर से 70 किलोमीटर की दूरी पर है। भूकंप की गहराई जमीन से 18.5 किलोमीटर नीचे थी। पुर्तगाल और अल्जीरिया तक भूकंप के झटके महसूस किए गए।
तस्वीरों में देखें भूकंप की तबाही…



UNESCO की विश्व धरोहर स्थल को भी पहुंचा नुकसान
माराकेश में पर्यटकों का ध्यान खींचने वाली और UNESCO की विश्व धरोहर लाल दीवारों के कुछ हिस्से भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। स्थानीय टीवी चैनल के मुताबिक इस भूकंप में शहर की कुतुबिय्या मस्जिद का मीनारा ढह गया है। यह मस्जिद यूनेस्को की हेरीटेज साइट थी। जिसकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं।

भारत, ब्रिटेन, अमेरिका मदद करेंगे
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोरक्को में आए भूकंप पर दुख जताया। उन्होंने कहा- हम इस दुख की घड़ी में मोरक्को के साथ हैं। हम हर संभव मदद देने को तैयार हैं। अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी मोरक्को को हर संभव मदद देने की बात कही। फरवरी 2023 में इससे भी ज्यादा खतरनाक भूकंप को झेल चुके तुर्किये ने भी कई एक हजार टेंट्स और 200 से ज्यादा एड वर्कर भेजने का वादा किया है।
वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप के 12 घंटों तक मोरक्को के लीडर किंग मोहम्मद VI की तरफ से कोई बयान नहीं आया था। 2 हजार से ज्यादा मौतों के बावजूद उन्होंने लोगों को संबोधित न कर सिर्फ एक स्टेटमेंट जारी कर दिया गया। इसमें लोगों की मदद करने के निर्देश दिए गए। वो ज्यादातर समय देश से बाहर ही रहते हैं।
भूकंप के एपिसेंटर के पास ग्रामीण इलाका होने की वजह से ज्यादातर घर मिट्टी और पुराने तरीकों से बने थे। जो भूकंप की वजह से पूरी तरह ढह गए। अलजजीरा के मुताबिक ताफेघाघेट इलाके में कोई इमारत ऐसी नहीं है जो भूकंप की वजह से न ढही हो। इमारतों के गिरने की वजह से लोग अफरातफरी में भागते दिखे।




जाने भूकंप कैसे आता है?
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। इससे जमीन में फॉल्ट लाइन्स बनती हैं।
अब तीन तरह की फॉल्ट लाइन्स के बारे में जानें…
1. रिवर्स फॉल्ट- भूकंप के दौरान जमीन का एक हिस्सा ऊपर की तरफ उठता है।
2. नॉर्मल फॉल्ट- इस फॉल्ट में जमीन का एक हिस्सा नीचे की तरफ जाता है।
3. स्ट्राइक स्लिप फॉल्ट- टेक्टोनिक प्लेट्स में घर्षण होने की वजह से जमीन का एक हिस्सा आगे या पीछे की तरफ खिसकता है।
2011 में जापान में आए भूकंप से धरती खिसक गई थी
11 मार्च 2011 को जापान में 9.1 तीव्रता का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप आया था। इस भूकंप ने न सिर्फ लोगों की जान ली, बल्कि धरती की धुरी को 4 से 10 इंच तक खिसका दिया था। साथ ही पृथ्वी की रोजाना चक्कर लगाने की रफ्तार में भी वृद्धि हुई।
उस वक्त USGS के सीस्मोलॉजिस्ट पाल अर्ले ने कहा था कि इस भूकंप ने जापान के सबसे बड़े द्वीप होन्शू को अपनी जगह से करीब 8 फीट पूर्व की तरफ खिसका दिया है। इस दौरान पहले 24 घंटे में 160 से ज्यादा भूकंप के झटके आए थे। इनमें से 141 की तीव्रता 5 या इससे ज्यादा थी। जापान में आए इस भूकंप और सुनामी ने 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली थी।
जापान भूकंप के सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र में है। यह पैसेफिक रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आता है। रिंग ऑफ फायर ऐसा इलाका है जहां कई कॉन्टिनेंटल के साथ ही ओशियनिक टैक्टोनिक प्लेट्स भी हैं। ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है, सुनामी उठती है और ज्वालामुखी फटते हैं।