भारत ने आज अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगा दी है। आज ISRO ने चंद्रमा के अपने तीसरे मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया है। ISRO का फैट ब्वाय कहा जाने वाला GSLV मार्क-3 रॉकेट चंद्रयान को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा। पहले पृथ्वी के आर्बिट और उसके बाद चंद्रमा के आर्बिट में चक्कर लगाते हुए, आज से ठीक 41 दिन बाद चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर लैंडिंग 24 से 25 अगस्त के बीच होगी। चंद्रयान-3 अपने साथ एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल लेकर चांद तक जा रहा है। इसका कुल वजन करीब 3,900 किलोग्राम है। श्रीहरिकोटा में चंद्रयान-3 मून मिशन की लॉन्चिंग के दौरान ISRO के चीफ एस सोमनाथ मॉनिटरिंग करते दिखे।
इसरो के महत्वाकांक्षी चंद्रयान प्रोजेक्ट को एलवीएम3एम4 रॉकेट शुक्रवार को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा. इस रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था. भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे ‘फैट बॉय’ भी कहते हैं. अगस्त के अंत में ‘चंद्रयान-3’ की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की योजना बनाई गई है.
अगर इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा. इसरो ने गुरुवार (13 जुलाई) को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘एलवीएम3एम4-चंद्रयान-3 मिशन: कल (शुक्रवार-14 जुलाई) को 14.35 बजे (अपराह्न दो बजकर 35 मिनट) पर किए जाने वाले प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हो गई है.
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ‘चंद्रयान-3’ कार्यक्रम के तहत इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल की मदद से चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ और चंद्र भूभाग पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करके नई सीमाएं पार करने जा रहा है.
चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है. शुक्रवार का मिशन एलवीएम3 की चौथी अभियानगत उड़ान है जिसका उद्देश्य ‘चंद्रयान-3’ को भू-समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करना है.
इसके पहले मंगलवार (11 जुलाई) को संपूर्ण प्रक्षेपण तैयारी और प्रक्रिया को देखने के लिए श्रीहरिकोटा में ‘प्रक्षेपण अभ्यास’ हुआ जो 24 घंटे से अधिक समय तक चला. इसके अगले दिन, वैज्ञानिकों ने मिशन तैयारी से संबंधित समीक्षा पूरी की.
चंद्रयान-3 मिशन से जुड़ी अहम जानकारी …
- चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले चंद्रमा लैंडर विक्रम को जीएसएलवी मार्क 3 हेवी लिफ्ट लॉन्च वाहन, जिसे बाहुबली रॉकेट कहा जाता है, पर रखा जाएगा. इसे लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (एलएम-3) नाम दिया गया है. जीएसएलवी 43.5 मीटर ऊंचा है. यानी इसकी ऊंचाई दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार से भी ज्यादा है. चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के 40 दिन बाद यानी 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरेगा.
- 2019 में किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण चंद्रयान-2 चांद की सतह पर नहीं उतर सका है. लेकिन इस बार ISRO चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर आश्वस्त है.
- ISRO के पूर्व प्रमुख के सिवन ने कहा कि हमें इस बात का पता चल चुका है कि पिछले मिशन में क्या दिक्कत हुई है. हमनें इस बार किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं छोड़ी है. हमें उम्मीद है कि हम तय समय पर चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर उतार पाने में जरूर सफल होंगे.
- पहली बार, भारत का चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जहां पानी के अंश पाए गए हैं. 2008 में भारत के पहले चंद्रमा मिशन के दौरान की गई खोज ने दुनिया को चौंका दिया था.
- विक्रम का मकसद सुरक्षित, सॉफ्ट लैंडिंग कराना है. इसके बाद लैंडर रोवर प्रज्ञान को छोड़ेगा, जो एक लूनर डे (पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर) तक चंद्रमा की सतह पर घूमेगा और वैज्ञानिक प्रयोग भी करेगा.
- इस मिशन के तहत वैज्ञानिकों को चंद्रमा की मिट्टी का विश्लेषण करने, चंद्रमा की सतह के चारों ओर घूमने, चंद्रमा से जुड़ी कुछ अहम जानकारियों का पता लगाने की उम्मीद है.
- ISRO का कहना है कि पिछले चंद्रमा मिशन के दौरान हुई चूक से सीख लेते हुए हमनें लैंडर पर इंजनों की संख्या पांच से घटाकर चार कर दी है और सॉफ्टवेयर को भी अपडेट किया है. हर चीज़ का सही से परीक्षण किया गया है.
- ISRO पूर्व प्रमुख के सिवन ने कहा कि इस बार हमें उम्मीद है कि हमने चंद्रयान-2 से सबक लेते हुए छोटी-बड़ी कई कमियों को दूर किया है. इसलिए हमारा विश्वास है कि इस बार हम चांद की सतह पर सफलता से उतरेंगे.
- बता दें कि चंद्रयान-1, चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन था जिसे अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया और वह अगस्त 2009 तक चालू रहा.
- जबकि 2019 में, चंद्रयान -2 का लैंडर नियोजित प्रक्षेपवक्र से भटक गया और उसे हैंड लैंडिंग का सामना करना पड़ा. हालांकि, ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है और डेटा भेज रहा है.
चंद्रयान-3 के बारे में पूछे जा रहे सवालों के उत्तर
- चंद्रयान-3 क्या काम करेगा?
चंद्रयान-3 का रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद अपना काम शुरू करेगा। ये रोवर इसरो में बैठे वैज्ञानिकं को चांद की सतह से जुड़ी जानकारियां भेजेगा। रोवर चांद की सतह की बनावट से लेकर पानी की मौजूदगी के बारे में बताएगा। - चंद्रयान-3 मिशन की कॉस्ट क्या है?
चंद्रयान-3 मिशन की पूरी कॉस्ट करीब 75 मिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 615 करोड़ रुपये है। - चंद्रयान-3 लॉन्चिंग देखने की टिकट की कीमत क्या होगी?
चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग देखने के लिए लॉन्च व्यू गैलरी बनाई गई है। इसमें 10 हजार लोग बैठ सकते हैं। ये सभी सीटें महज साढ़े 3 घंटे में ही बुक हो गई थीं। यहां दर्शक चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग बड़े आराम से देख सकते हैं। अंतरक्षि हमेशा से लोगों को आकर्षित करता है। वैसे भी चंद्रयान-3 को देश गर्व से जोड़कर देखा जा रहा है। लॉन्चिंग के लिए रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुकी है। इस लॉन्चिंग को देखने के लिए इसरो ने नहीं कहीं किसी प्रकार के टिकट का जिक्र नहीं किया है। हां, लेकिन इसके लिए रजिस्ट्रेशन जरूर कराया गया है। - चंद्रयान-3 का ट्रैवल टाइम क्या होगा?
14 जुलाई को 2.35 मिनट पर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग होगी। इसके लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी। चंद्रयान को लॉन्च वीइकल मार्क-III से लॉन्च किया जाएगा। - चंद्रयान-3 चांद की सतह पर कब पहुंचेगा?
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई को होगी। इसके बाद लैंडर के 23-24 अगस्त के बीच चांद की सतह पर पहुंचने की उम्मीद है। यानी कुल 42 दिन में चंद्रयान-3 चांद की सतह पर पहुंचेगा। लॉन्चिंग के बाद पहले चांद की कक्षा में पहुंचेगा फिर उसकी परिक्रमा करते हुए लैंड करेगा। - चंद्रयान के बारे में क्या-क्या जानकारी है?
चंद्रयान-3 मिशन के तीन अहम हिस्से हैं। प्रपल्शन, लैंडर और रोवर। इसका कुल खर्च 600 करोड़ रुपये ज्यादा आया है। इस मिशन में इसरो के अलग-अलग विभाग के सैकड़ों वैज्ञानिक जुटे हैं। - चंद्रयान-3 के रॉकेट लॉन्चर के बारे में क्या-क्या जानकारी?
चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाला रॉकेट 43.5 मीटर लंबा है। ‘फैट ब्वॉय’ के नाम से मशहूर LVM3-M4 के जरिए ही अपना चंद्रयान अंतरिक्ष में जाएगा। - चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद क्या होगा?
वैज्ञानिकों ने बताया कि लॉन्चिंग के ठीक 16 मिनट बाद रॉकेट चंद्रयान-3 को करीब 179 किलोमीटर ऊपर इजेक्ट कर देगा। इसके बाद अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में 5-6 बार घूमेगा। फिर धीरे-धीरे इसे चांद की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद प्रपल्शन मॉड्यूल लैंडर के साथ तेज गति से चांद की कक्षा में जाने की एक महीने लंबी यात्रा शुरू कर देगा। इसके बाद यह चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर तक जाएगा। - चंद्रयान-3 कितनी दूरी तय करेगा?
चंद्रयान-3 खुद से करीब 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। - चंद्रयान-3 चांद की किस जगह पर उतरेगा?
चंद्रयान-3 को चांद के साउथ पोल पर उतारा जाएगा। क्योंकि चांद का साउथ पोल नॉर्थ पोल से ज्यादा बड़ा है। यहां पानी के होने की संभावना है। यहीं पर शैडो एरिया भी दिखता है।