ट्विटर को कर्नाटक हाई कोर्ट से शुक्रवार को बड़ा झटका लगा. हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली ट्विटर की याचिका ख़ारिज कर दी और कोर्ट का वक़्त बर्बाद करने के लिए ट्विटर पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया. असल में सरकार ने 2021 से 2022 के बीच ट्विटर को 1474 अकाउंट्स बंद करने और 175 ट्वीट्स ब्लॉक करने का आदेश दिया था. इसके अलावा ट्विटर को 256 URL और एक हैश टैग को बंद करने का निर्देश भी दिया गया था. सरकार का कहना था कि इन एकाउंटस के जरिए माहौल को खराब करने की कोशिश हो रही है, देश की संप्रभुता और एकता को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए कानून के मुताबिक इन्हें हटाया जाए. लेकिन, ट्विटर ने सरकार के इस आदेश को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दे दी. ट्विटर ने कहा कि सरकार ने जो 256 URL हटाने को कहा है उनमें से 39 को हटाना, नागरिकों के मूल अधिकारों के ख़िलाफ़ है. हाई कोर्ट ने छह महीने तक सुनवाई की. अपने फैसले में अदालत ने कहा कि अगर कोई कंपनी भारत में कारोबार करती है, तो उसको यहां के नियम क़ायदे मानने होंगे. सरकार ने कानूनी दायरे में रहकर नियमों के मुताबिक ही ट्विटर को निर्देश दिए थे और ट्विटर को सरकार के निर्देश मानने चाहिए.
IT और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार न किसी की आवाज दबाती है, न किसी पर कोई दबाव बनाती है लेकिन किसी को माहौल खराब करने की इजाज़त भी नहीं दी जा सकती. इसलिए कंपनी कितनी भी बड़ी हो, उसे जिम्मेदारी निभानी होगी, कानूनों का पालन करना होगा. आपको याद होगा कुछ दिन पहले ट्विटर के फॉर्मर CEO, जैक डोर्सी ने कहा था कि भारत सरकार ने उन पर विरोधियों के ट्विटर अकाउंट बंद करने का दबाव डाला था. इस बात को लेकर सरकार की आलोचना हुई थी, लेकिन शुक्रवार का हाई कोर्ट का फैसला उन सब लोगों को जवाब है. हाईकोर्ट ने ट्विटर को इसलिए सजा सुनाई क्योंकि उसने भारत के कानून का पालन नहीं किया, समाज में माहौल खराब करने वाले मैटेरियल को अपने प्लेटफॉर्म से नहीं हटाया. ट्विटर ने सरकार के इस ऑर्डर को चैलेंज किया था लेकिन मामला उल्टा पड़ गया. सवाल सिर्फ इस बात का नहीं है कि वो भारत से पैसा कमाते हैं इसलिए rules, regulation follow करें , सवाल इस बात का है कि उनके काम से अगर देश में अशांति फैलती है… अगर लोगों की भावनाएं भड़कती हैं तो, इसकी जिम्मेदारी भी उन्हें उठानी पड़ेगी.