बिहार में एक पार्टी में दो भूमिहार, एक म्यान में दो तलवार के जैसे हो गए हैं। एक बार फिर से बिहार कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में घमासान मचा पड़ा है। आने वाले लोकसभा और बिहार विधान सभा चुनाव के इस खास समय में भी पार्टी के अंदर गुटबाजी दिख रही है। इसी दौरान हाल में लिए गए एक फैसले ने प्रदेश कांग्रेस में गर्माहट भर दी है। हुआ यह कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने एक महत्वपूर्ण फैसले के लिए प्रदेश कांग्रेस विधायकों की बैठक बुला ली। इस बैठक में अजित शर्मा को सीएलपी लीडर के पद से हटाकर शकील अहमद खान को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुन लिया गया। ये अलग बात थी कि 19 में 11 विधायक बैठक में आए ही नहीं। सिर्फ आठ विधायकों की उपस्थिति में विधायक दल के नेता अजित शर्मा को हटाकर शकील अहमद खां को नेता चुन लिया गया।
किस्सा एक म्यान में दो तलवार का
कुछ पार्टी वरिष्ठों की मानें तो उनका साफ कहना था कि यह तो होना ही था। एक कहावत है एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती है। दरअसल अखिलेश सिंह और अजित शर्मा दोनों ही एक जाति (भूमिहार) से हैं। दोनों के राजनीति धरातल भी अलग अलग है, इसलिए यह जो हुआ वह पहले से तय था। उधर अजित शर्मा का कहना है कि ‘नेता पद से क्यों हटाया गया गया, इस बात की कोई जानकारी नहीं। उन्हें विधानमंडल दल की बैठक की सूचना भी नहीं थी। अजित शर्मा के मुताबिक ‘मुझे विधायक दल के नेता पद से क्यों हटाया गया, इस बात की भी कोई जानकारी नहीं है। ढाई साल तक इस पद पर रहा। सभी के सभी 19 विधायक और चार एमएलसी को हमने एकजुट रखा।’
मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति
दरअसल कर्नाटक में जीत के बाद कांग्रेस में नई जान आ गई है। मुस्लिम वोट के आधार पर अन्य जाति के कांग्रेस समर्थक के सहारे सत्ता पलट की जा सकती है। बिहार में भी 16 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। कहा जाता है की प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने यह समीकरण आलाकमान को सुझा कर अजित शर्मा को अपने रास्ते से बड़े ही सलीके से हटा दिया।
आलाकमान से राहत की खबर
बहरहाल, प्रदेश कांग्रेस के भीतर मचे घमासान को ले कर केंद्रीय नेतृत्व चिंतित है। मिली जानकारी के अनुसार आलाकमान ने मिशन डैमेज कंट्रोल चलाया है। अजित शर्मा को यह आश्वासन मिला है कि बिहार में मंत्रिपरिषद विस्तार में उन्हें मंत्री बनाया जायेगा। इसके पहले भी जब महागठबंधन की सरकार बन रही थी, तब भी मंत्रिपरिषद में अजित शर्मा का स्थान पक्का माना जा रहा था। पर कांग्रेस ने मुस्लिम और दलित फॉर्म्यूले को आगे रख अजित शर्मा को मंत्रिपरिषद से बाहर रखाा।अब एक बार फिर कहा जा रहा है कि सवर्ण वोटरों का ख्याल रख कर अजित शर्मा मंत्री बनाए जा सकते हैं। हालंकि ,पार्टी के भीतर अभी से ही इस बात को ले कर भी भूचाल है। चर्चा यह है कि सवर्ण कोटे से मंत्री पद के दावे को ले कर मदन मोहन झा ने भी दावेदारी पेश की है। अब तो यह आलाकमान को ही तय करना है कि कांग्रेस से अगले मंत्री कौन होंगे।
क्या कहते हैं अखिलेश सिंह
कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजित शर्मा को हटाए जाने पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह कहते हैं कि यह फैसला आलाकमान का है। कांग्रेस आलाकमान का फैसला कांग्रेस में सर्वोपरी होता है। आलाकमान का जो फैसला आता है उसे अजित शर्मा समेत सभी विधायकों को मानना होता है।