आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विज्ञान–कथा फिल्मों के इतर हमारे दैनिक जीवन में प्रमुखता से शामिल हो चुका है। 1950 के दशक में एआई के उद्भव के बाद‚ हमने हर दशक में कृत्रिम बुद्धिमता की क्षमता में अविश्वसनीय वृद्धि देखा है। आज स्मार्टफोन या अन्य उपकरणों के उपयोग के दौरान एआई–आधारित सहायकों‚ जैसे कि कोरटाना‚ सिरी और एलेक्सा जैसे एआई उपकरण हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। आज एआई के उपयोग से ल्यूकेमिया और एमायोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) जैसी बीमारियों की भविष्यवाणी की जा रही है। एआई कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुदेश दे रहा है। फेसबुक‚ यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म आपकी ब्राउजिंग की निगरानी कर आपके पसंदीदा मुद्दों पर आलेख‚ वीडियो इत्यादि प्रस्तुत कर रहे हैं। नवम्बर २०२२ में चैट जीपीटी के अनावरण के बाद से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव और दुष्प्रभाव की चर्चा जोरों पर है। कई विशेषज्ञों की राय में एआई बेरोजगारी बढ़ाएगा।
हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में एआई का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है–चाहें बैंकिंग हो या स्वास्थ्य हो‚ खेती हो या विनिर्माण–हर जगह प्रौद्योगिकी और मशीनों की बुद्धिमत्ता का उपयोग करके दक्षता बढ़ाने का प्रयास चल रहा है। प्रसिद्ध अनुसंधान संस्था टीमलीज डिजिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार‚ वर्ष २०२५ तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में एआई की मदद से ५०० अरब डॉलर की वृद्धि की संभावना है जो वर्ष २०३५ तक ९५० अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार‚ महामारी के बाद एआई अधिक प्रचलित हो गया है‚ जहां व्यवसाय स्वचालन और डिजिटल परिवर्तन अधिकांश व्यवसायों के लिये आवश्यक बन गया है। धीरे–धीरे छोटे शहरों से भी प्रीमियम एआई–आधारित उत्पादों की मांग बढ़ रही है। निश्चित तौर पर एआई में नवाचार‚ बेहतर उत्पादकता‚ लागत अनुकूलन और विकास के अवसर पैदा कर अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की क्षमता है। हमारा देश एआई कौशल और आवश्यक ढांचे के विकास में निवेश कर इसका सकारात्मक लाभ प्राप्त करने के लिए तैयार है। अभी तक अधिकांश एआई विकास और निवेश पश्चिम के देशों में देखा गया है‚ लेकिन टीमलीज के अनुसार‚ भारतीय एआई सॉफ्टवेयर क्षेत्र में २०२५ के अंत तक सालाना १८ प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि होने की संभावना है। आज एआई की मदद से उन्नत क्षेत्रों के अलावा परंपरागत क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण काम हो रहे हैं। एआईद्वारा संचालित ३डी मॉडलिंग और स्कैनिंग तकनीक का उपयोग कर‚ पुरातत्ववेत्ता समृद्ध ऐतिहासिक धरोहरों‚ कलाकृतियों और प्राचीन खंडहरों की विस्तृत और सटीक डिजिटल प्रतिकृतियां बना सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग अभी भी भारत में शुरु आती चरण में है‚ लेकिन जटिल समस्याओं के समाधान और उद्योगों में स्वचालन के लिए एआई का उपयोग बढ़ने लगा है। एआई में कई उभरती हुई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं‚ जिनमें स्व–सुधार एल्गोरिदम‚ मशीन लर्निंग‚ बिग डेटा और पैटर्न पहचान शामिल है। एआई अभी भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है‚ जिसमें नवाचार की असीमित संभावनाएं हैं। भविष्य में हम एआई का चौंकाने वाला अनुप्रयोग देखते रहेंगे। भारत ने अपनी एआई यात्रा की शुरुआत सामाजिक सशक्तिकरण और समावेशन को आधार में रख कर किया है। एआई सदियों पुरानी सामाजिक और सामरिक समस्याओं का समाधान निकाल सकता है। जहां अमेरिका और चीन जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं एआई महाशक्ति बनने के लिए प्रतिस्पर्धा में लगी हैं‚ भारत सरकार ‘एआई फॉर ऑल’ कार्यक्रम के साथ समावेश और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों ने पिछले कुछ वर्षो में एआई संचालित उपकरणों का उत्पादन किया है जो अनिगनत लोगों के जीवन को सकारात्मक तौर पर प्रभावित कर रहा है। एआई के दुष्प्रभावों की बढ़ती चर्चा को देखकर चैट जीपीटी की निर्माता कंपनी ओपन एआई के सीईओ सैम अल्टमैन को पिछले सप्ताह एक अमेरीकी संसदीय पैनल ने चर्चा के लिए बुलाया। संसदीय पैनल और अल्टमैन ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता से समाज को होने वाले खतरों और चेतावनियों पर विचार–विमर्श किया गया।
एआई के विकास से नौकरियों के जाने के डर में वास्तविकता कम और आशंका ज्यादा है। हर बार नए तकनीक के उद्भव के पश्चात एक वर्ग उसके नकारात्मक प्रभाव की चर्चा शुरू कर देता है। एआई की मदद से नीरस और कम उत्पादकता वाले काम आसानी से हो सकेंगे। प्रत्यक्ष तौर पर एआई काम की गुणवत्ता को बढ़ाएगा। वास्तव में एआई कई बुनियादी कार्यों में कारगर होगा‚ लेकिन नौकरियों में दक्ष कर्मचारियों की आवश्यकता बनी रहेगी। एआई के बढ़ते उपयोग से बेहतर गुणवत्ता वाली नौकरियां सृजित होंगी‚ जिससे अनिगनत लोगों को फायदा होगा। एआई के उपयोग से भारत की अर्थव्यवस्था और कंपनियों के संचालन में कई सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार प्रौद्योगिकी के विस्तार के साथ ही भारतीय आईटी सेवा क्षेत्र में एआई समाधान वाली परियोजनाओं में वृद्धि होगी।