मोदी कैबिनेट में बड़े बदलाव की खबर आई है. कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) को पद से हटा दिया है और अब इस मंत्रालय की जिम्मेदारी अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) को सौंप दी गई है.
खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सलाह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Dropadi Murmu) ने मंत्रिमंडल में बदलाव की मंजूरी दी है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, किरेन रिजिजू को कानून मंत्रालय से हटाकर भू-विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) सौंपा गया है.
इस बदलाव पर किरेन रिजिजू ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए कहा, आगामी चुनावों को देखते हुए पोर्टफोलियो में बदलाव किया गया है. अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट कामेंग जिले में जन्मे किरेन रिजिजू अरुणाचल पश्चिम लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद हैं.
कपिल सिब्बल ने ली चुटकी
वरिष्ठ अधिवक्ता व राजनीतिज्ञ कपिल सिब्बल ने इस बदलाव पर चुटकी ली है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, कानून नहीं अब पृथ्वी विज्ञान मंत्री. कानूनों के पीछे के विज्ञान को समझना आसान नहीं है. अब विज्ञान के नियमों से जूझने की कोशिश करेंगे. गुड लक फ्रेंड.
अर्जुन राम मेघवाल थोड़ी देर में पीएम मोदी के साथ साझा करेंगे मंच
वहीं, अर्जुन राम मेघवाल को उनके मौजूदा पोर्टफोलियो के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है. खबर है कि थोड़ी देर में प्रगति मैदान में होने वाले एक सरकारी कार्यक्रम में अर्जुन राम मेघवाल पीएम के साथ मंच पर मौजूद रहेंगे.
रिजिजू को रविशंकर प्रसाद की जगह जुलाई 2021 में कानून मंत्री नियुक्त किया गया था। 2019 में उन्हें खेल मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था।
रिजिजू जजों पर टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने कॉलेजियम को लेकर भी कहा था कि देश में कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। रिटायर्ड जजों पर भी बयान दिया था- कुछ रिटायर्ड जज एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं।
कांग्रेस बोली- सरकार ने छवि बचाने के लिए कानून मंत्री की बलि दी
कांग्रेस की अलका लांबा ने कहा, “रिजिजू के जजों की नियुक्तियों और अदालतों पर टिप्पणियों से मोदी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई थीं। सरकार ने अपनी छवि बचाने के लिए अपने कानून मंत्री की बलि देकर अच्छा किया।” मदुरै से कांग्रेस सांसद मनिक्कम टैगोर ने कहा- वे बहुत अच्छे खेल मंत्री थे, लेकिन कानून मंत्री के रूप में फेल रहे।
रिजिजू ने सोशल मीडिया पर पोर्टफोलियो बदला…
किरेन रिजिजू के न्यायपालिका पर दिए गए बयान…
1. कुछ रिटायर्ड जज करीब एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं
18 मार्च को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में किरण रिजिजू ने कहा था, “कुछ रिटायर्ड जज करीब एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं। ये लोग कोशिश करते हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए। देश के खिलाफ इस तरह के काम करने वालों को इसकी कीमत चुकानी होगी।
देश के बाहर और भीतर भारत विरोधी ताकतें एक ही भाषा का इस्तेमाल करती हैं कि लोकतंत्र खतरे में है। इंडिया में ह्यूमन राइट्स का अस्तित्व नहीं है। एंटी इंडिया ग्रुप जो कहता है, वही भाषा राहुल गांधी भी इस्तेमाल करते हैं। इससे भारत की छवि खराब होती है।”
2. SC में जनता का प्रतिनिधि जरूरी, लेकिन कुछ लोग खुद को संविधान से ऊपर मानते हैं
सरकार बनाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम विवाद में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक पूर्व जज का बयान शेयर किया है। जज आर एस सोढ़ी ने एक यू-ट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को हाइजैक कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट में जनता का चुना हुआ प्रतिनिधित्व हो तो जनता को ही न्याय मिलता है। पढ़ें पूरी खबर…
3. कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता, जनता ही मालिक
जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में ही नाराजगी जताई थी। केंद्र से कहा था कि हमें ऐसा स्टैंड लेने पर मजबूर न करें, जिससे परेशानी हो। इसके बाद रिजिजू ने प्रयागराज में एक सभा के दौरान कहा था- मैंने देखा कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने (कॉलेजियम पर) चेतावनी दी है। इस देश के मालिक यहां के लोग हैं, हम सिर्फ सेवक हैं। हमारी गाइड संविधान है। संविधान के अनुसार देश चलेगा। कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। पूरा बयान पढ़ने के लिए क्लिक करें…
90 रिटायर्ड अफसरों ने कहा था- रिजिजू के बयान सुप्रीम कोर्ट पर हमले जैसे
मार्च में 90 से ज्यादा रिटायर्ड अफसरों ने कानून मंत्री किरण रिजिजू के बयानों का विरोध करते हुए एक ओपन लेटर लिखा था। इन ब्यूरोक्रेट्स ने कहा था कि कानून मंत्री ने कई मौके पर जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम और न्यायिक स्वतंत्रता पर ऐसे बयान दिए, जो सुप्रीम कोर्ट पर हमला लगते हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले 350 से ज्यादा वकीलों ने भी किरेन के बयानों का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि इस तरह के बयान कानून मंत्री को शोभा नहीं देते।