कर्नाटक विधानसभा का चुनाव पूरी तरह से सांप्रदायिक होता जा रहा है‚ जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत तो कतई नहीं है। कांग्रेस ने अपने घोेषणा–पत्र में संगठनों बजरंग दल और पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडि़या (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर चुनाव को ज्यादा आक्रामक कर दिया है। गौरतलब है कि बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों के खिलाफ राज्य में अशांति और नफरत बढ़ाने के कई मामले दर्ज हैं। कभी ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसक वारदात को अंजाम देना तो कभी धार्मिक भावनाओं को भड़़काने और शांति में खलल ड़ालने जैसे कई गंभीर आरोप उन पर लगे हैं। पीएफआई पर भी हिंसा करने और धार्मिक आधार पर हिंसा फैलाने और खून–खराबा करने जैसे कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। स्वाभाविक है‚ कांग्रेस ने बड़़ा दांव खेला है और एक तरह से देश की सबसे पुरानी पार्टी ने मुस्लिमों को बड़़ा संदेश दिया है कि कांग्रेस ही उनके बारे में सोच सकती है‚ और उनके हितों का ख्याल रख सकती है। वहीं‚ देश की सबसे बड़़ी पार्टी भाजपा दक्षिण के अपने इकलौते दुर्ग को बचाने की हर संभव कोशिश में है। कांग्रेस के घोषणा–पत्र ने उसकी राह थोड़़ी आसान कर दी है क्योंकि सांप्रदायिक मसले हमेशा से भाजपा को सूट करते हैं और वह ऐसे मुद्दों पर वोटों का ध्रुवीकरण आसानी से कर लेती है। बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के ऐलान से लाजिमी तौर पर भाजपा ने राहत महसूस की है। यही वजह है कि अब वह इसी मुद्दे को चुनाव में भुनाने की जी–तोड़़ कोशिश में जुट गई है। न केवल राज्य भाजपा‚ बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी प्रचार के दौरान इसी बात को दोहराया कि कांग्रेस ने पहले राम को बंद किया और अब हनुमान जी बोलने को भी बंद करना चाहती है। हालांकि कांग्रेस के घोषणा–पत्र में बजरंग दल के अलावा पीएफआई पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। चुनाव में रोजगार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़़ाई की बात अब गौण होती चली जाएगी। ऐसा हो भी रहा है। सारा खेल सिमट कर हिन्दू–मुस्लिम ध्रुवीकरण पर केंद्रित हो चुका है। चूंकि दक्षिण में कर्नाटक ही है‚ जहां भाजपा ने सबसे पहले कमल खिलाया था। भगवा पार्टी चाहती है कि किसी तरह यहां की सत्ता पर कब्जा बरकरार रखा जाए‚ जिससे देश भर में संदेश जाए कि भाजपा के प्रति जनता में भरोसा कायम है। यही वजह है कि वह इस मुद्दे पर बेहद आक्रामक तेवर दिखा रही है। देखना है‚ कांग्रेस के पास भाजपा की आक्रामकता की काट क्या हैॽ
सीएम पद के दावेदारों से लेकर प्रमुख उम्मीदवारों तक, जानें तेलंगाना चुनाव से जुड़ी 10 बड़ी बातें
तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों के लिए आज वोटिंग हो रही है। राज्य में कुल 2,290 प्रत्याशी चुनाव मैदान में...