भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष व सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना दे रहे पहलवान सर्वोच्च अदालत पहुंच गए। ये बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। ये पहलवान रविवार की पूरी रात सड़़क पर सोए और आम जनता से जंतर मंतर पहंुचने की अपील की। मध्य जनवरी में रेसलर विनेश फोगाट‚ साक्षी मलिक‚ बजरंग पूनिया आदि ने फेड़रेशन के अध्यक्ष सिंह पर कैंपों के दौरान शारीरिक शोषण के आरोप लगाए थे। विनेश ने रोते हुए बताया था कि नियमों के विरुद्ध जाकर सिंह खिलाडि़़यों के साथ ही होटल में भी रुकते थे। सिंह ने आरोपों का तुरत–फुरत खंड़न किया। उन्होंने कहा‚ यदि यह आरोप सही निकला तो मैं फांसी पर लटक जाउगा। उसी वक्त इन खिलाडि़़यों से खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बात भी थी पर आंदोलनकारियों ने न्याय ना मिलने तक किसी भी प्रतियोगिताओं में भाग लेने से मना कर दिया था। भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी ऊषा ने मैरी कॉम की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए। साथ ही खेल मंत्रालय ने भी एक अन्य कमेटी को जांच सौंपी। मगर रविवार को फोगाट‚ मलिक‚ पूनिया आदि फिर धरने पर बैठ गए। इस बार उन्होंने सभी राजनैतिक पार्टियों को इसमें शामिल होने के लिए न्योता है। साथ ही हरियाणा की खाप पंचायतों से बिना शर्त समर्थन भी मांगा है। सत्ता पक्ष पर पक्षपात का आरोप इसलिए भी लग रहा है क्योंकि सिंह भाजपा के सांसद हैं। जो आरोपों का खंड़न करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित ही नहीं कह रहे बल्कि इन खिलाडि़यों पर चुक जाने जैसी टिप्पणी भी कर रहे हैं। ऐसे दौर में जब सरकार विशाखा गाइड़लाइंस लागू करने को प्रतिबद्ध है और ‘बेटी बचाओ’ का नारा बुलंद कर रही है; इनकी बात सुनने में कोताही करती नजर आ रही है। कमोबेश ये वही खिलाड़़ी हैं‚ जिन्होंने दिन–रात पसीना बहा कर देश को गौरवान्वित कराया। काम की जगह पर होने वाले शोषण से ्त्रिरयों को मुक्त कराने जैसा ही कदम है यह। यदि इसके पीछे आंदोलनकारियों की मंशा में खोट साबित होती है तो उसे भी देश के सामने लाना जरूरी है। क्योंकि अपने यहां लड़़कियों के खेल में शामिल होने पर परिवार हिचकता है। मंत्रालय व उच्च अधिकारियों को ख्याल रखना होगा कि इस तरह की घटनाएं प्रतिभावान खिलाडि़़यों की संभावनाओं के प्रति रुûकावटें खड़़ी करने वाली ना साबित हों।
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