यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को सिर के बल खड़ा कर दिया है। भारत इस जंग के फोकस में आ चुका है। पूरी दुनिया को उम्मीद है कि अब सिर्फ वही इस युद्ध को रुकवा सकता है। शतरंज का खेल बन चुके इस युद्ध में भारत ने अब तक बहुत फूंक-फूंककर कदम बढ़ाए हैं। लेकिन, यूक्रेन ने इस बिसात पर भारत को अब सीधे खड़ा कर दिया है। जेलेंस्की की मंत्री का भारत दौरा यूं ही नहीं हुआ है। इसके गहरे मायने हैं। यूक्रेन की प्रथम उप विदेश मंत्री एमिन जापारोवा (Emine Dzhaparova) ने इसे भारत में कदम रखते ही जाहिर भी कर दिया। इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजर गड़ी रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को कीव आने का न्योता और जेलेंस्की को जी-20 में बुलाने की अपील कर जापारोवा ने यूक्रेन का रुख साफ कर दिया है। उन्होंने जेलेंस्की का संदेश भी पहुंचा दिया है। सिर्फ यूक्रेन के लिए समर्थन बंटोरना इसका मतलब कतई नहीं है। यूक्रेन चाहता है कि भारत अब किसी तरह जंग रुकवाए। वह भारत को एक अहम मुल्क के तौर पर देख रहा है जो मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है। दरअसल, भारत इकलौता देश है जो रूस और पश्चिमी देशों दोनों से खुलकर बात करता आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही पक्षों से कह चुके हैं कि यह युद्ध का समय नहीं है। हालांकि, यह भी सच है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने सबसे भरोसेमंद दोस्त रूस को भी कभी अकेला नहीं छोड़ा है। भारत ने दुनिया से रूस का पक्ष भी सुनने की अपील की है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने भारत के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने की इच्छा जताई है। यूक्रेन की प्रथम उप विदेश मंत्री एमिन जापारोवा के हाथों यह चिट्ठी भिजवाई गई। जापारोवा की तीन दिवसीय यात्रा बुधवार को समाप्त हो गई। पिछले साल 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस ने आक्रमण किया था। उसके बाद यूक्रेन से किसी नेता की यह पहली भारत यात्रा थी। यूक्रेन की मंत्री ने दो-टूक कहा है कि विश्वगुरु के तौर पर भारत युद्ध में ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सकता है। युद्ध को रुकवाने की दिशा में किसी भी तरह के प्रयास की यूक्रेन सराहना करेगा।
क्या चाहता है यूक्रेन?
यूक्रेन को पता है कि आज की तारीख में भारत ही रूसी राष्ट्रपति के साथ बातचीत करने की स्थिति में है। यह रूस के दोस्तों को घेरने की कवायद भी है। यूक्रेनी मंत्री जब यह कहती हैं कि उनका देश वाकई भारत के करीब आना चाहता है तो उससे यह मैसेज साफ हो जाता है। यूक्रेन की इच्छा है कि राजनीतिक स्तर पर संबंधों को बढ़ाया जाए। खासतौर से प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के स्तर पर वह इन रिश्तों को मजबूती देना चाहता है। जापारोवा का प्रधानमंत्री मोदी के विजन की तारीफ करना इसकी बानगी है। इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि जेलेंस्की की टॉप मंत्री के दौरे पर मॉस्को की नजर नहीं है। पश्चिमी देशों के साथ रूस भी गिद्ध की तरह इस दौरे को देख रहा है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह है कि रूस के आक्रमण को लेकर भारत का रुख न्यूट्रल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि भारत और रूस के रिश्ते ‘कभी नहीं टूटने वाले’ हैं।
जी-20 में जेलेंस्की को बुलाने की अपील
यूक्रेन भी हर वो चाल चल रहा है जिससे भारत को असमंजस में डाला जाए। जापारोवा ने भारत को विश्वगुरु बताकर अपील की कि वह राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी जी-20 समिट में बुलाए। हालांकि, भारत की ओर से अभी इस तरह का कोई भरोसा नहीं दिया गया है। न ही उसने यह भी भरोसा जताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कीव का दौरा करेंगे। यह और बात है कि जापारोवा ने इच्छा जताई कि उनका देश मोदी की मेजबानी करने के लिए बेहद उत्सुक है। यह प्रस्ताव वाकई में बेहद दिलचस्प साबित हो सकता है। यह पूरी दुनिया की नजरों को खींचकर राजधानी में ला सकता है।
भारत ने बना ली है खास पोजिशन
भारत ने यूक्रेन युद्ध में एक खास तरह की पोजिशन बना ली है। वह रूस और पश्चिमी देशों दोनों का दोस्त बनकर उभरा है। दोनों पक्ष मानते हैं कि भारत जंग में मुख्य मध्यस्थ बनने की ताकत रखता है। पश्चिम देश जहां रूस पर बंदिशों के लिए लगातार दबाव बनाते जा रहे हैं। वहीं, भारत ने पश्चिमी देशों को मुश्किल में डाल रखा है। रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत का स्टैंड पश्चिम के लिए चुनौती बन गया है। वे ‘हमारे साथ या हमारे खिलाफ’ की पॉलिसी पर आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। पुतिन की आलोचना किए बिना भारत ने रूस की चिंताओं को भी सुनने की जरूरत बताई है। वहीं, यूक्रेन को 7,725 किलो की मानवीय सहायता भेजी है। भारत यह भी कहता रहा है कि युद्ध किसी के पक्ष में नहीं है। इसे हर हाल में रुकना चाहिए।