बिहार में बैंक लूट की घटनाएं रोज हो रही हैं। पुलिस प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद अपराधियों का मनोबल टूटने के बजाय बढ़ता जा रहा है। दिनदहाड़े बैंकों को निशाना बनाया जा रहा है। प्रदेश में लगातार दो दिन बैंक लूट की दो वारदात हुई हैं। एक दिन पूर्व पूर्वी चंपारण के चकिया में आइसीआइसीआइ बैंक शाखा से लुटेरों ने करीब 48 लाख नकद लूट लिए। लूट के दौरान ग्राहकों को भी नहीं छोड़ा। वहीं, दूसरे दिन गुरुवार को सोनपुर में पंजाब नेशनल बैंक में घुसे लुटेरों ने लूट के दौरान दो गार्ड की गोली मारकर हत्या कर दी। इन दो वारदातों ने पुलिस महकमे के सामने बड़ी चुनौती पेश की है। गौर करने वाली बात है कि इस तरह की लूट की संख्या उत्तर बिहार में सर्वाधिक है। समस्तीपुर पुलिस ने एक माह पूर्व ग्रामीण बैंक में हुई लूट का उद्भेदन किया, जिसमें लुटेरे व करीब बीस लाख नकद बरामद किया गया है। पुलिस मुख्यालय का दावा है कि वह कुख्यातों को दबोचने के लिए लगातार मानीटरिंग कर रहा है। इसमें बैंकों की लापरवाही भी सामने आ रही है। आइसीआइसीआइ बैंक की जिस शाखा से बुधवार को 48 लाख की लूट हुई थी, वहां एक गार्ड भी नहीं था। सोनपुर के बैंक में अपराधी आए। कुछ देर बैठे रहे। फिर गोली मारकर लूट लिया। दो हथियारबंद गार्ड थे, लेकिन अपराधी उनसे नहीं डरे। यही दुस्साहस खतरनाक है। स्थानीय पुलिस को सीसीटीवी फुटेज व मोबाइल सर्विलांस से जल्द से जल्द लुटेरों को दबोचना होगा। साथ ही, उत्तर बिहार के साथ प्रदेश की सभी बैंक शाखाओं में भी सतर्कता के लिए चौकसी की व्यवस्था करनी होगी। बैंक शाखाओं के आसपास गश्ती बढ़ाई जाए। पदभार संभालने के बाद डीजीपी ने गश्ती बढ़ाने को प्राथमिकता दी थी, उसका असर नहीं दिख रहा। पुलिस की सख्ती जरूरी है।
चुनाव सर्वेक्षण: हकीकत, भ्रम और वोटर की भूमिका
देश में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव ने मीडिया और जनता को एक नई दिशा में सोचने और मतदान...