बिहार विधान परिषद की पांच सीटों पर हुए चुनाव में सत्ताधारी महागठबंधन को जहां झटका लगा है, वहीं भाजपा को लाभ हुआ है। इसके आलावा बिहार में राजनीति जमीन तलाश रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के समर्थित एक उम्मीदवार विजयी हुआ है। शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में हुए इस चुनाव में भाजपा को जहां दो सीटें मिली हैं वहीं कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जदयू के डॉ संजीव कुमार और सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से डॉ वीरेंद्र नारायण यादव जीत हासिल कर अपनी सीटें बचाने में सफल रहे। सबसे बड़ा उलटफेर सारण शिक्षक निर्वाचन सीट के उपचुनाव में देखने को मिला जहां महागठबंधन समर्थित सीपीएम उम्मीदवार आनंद पुष्कर को हार का सामना करना पड़ा। यहां प्रशांत किशोर की जन सुराज समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद ने जीत हासिल कर ली।
विधान परिषद की शिक्षक और स्नातक की 5 सीटों के लिए 31 मार्च को हुए चुनाव के नतीजों के साथ ही भाजपा परिषद में सबसे बड़ा दल बन गया है। सदन में भाजपा सदस्यों की संख्या 25 हो गई है जबकि जदयू के 23 सदस्य ही हैं।
इस चुनाव में सबसे रोचक और कड़ा मुकाबला गया स्नातक सीट पर हुआ। इस सीट में मगध-शाहाबाद के 8 जिले समाहित हैं और इनमें 43 एमएलए में 40 महागठबंधन के हैं।
फिर भी भाजपा ने जदयू से गया शिक्षक सीट छीनी तो गया स्नातक सीटिंग सीट पर भाजपा के अवधेश नारायण सिंह ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के छोटे पुत्र डॉ पुनीत को हरा दिया।
अवधेश नारायण सिंह को 24290 तो पुनीत कुमार को 22624 वोट मिले। कुल 61130 वोट पड़े थे। 53999 वैध। 7131 वोट अवैध हुए।
जीत के लिए 50% से 1 वोट ज्यादा चाहिए थे जो अवधेश नारायण सिंह को आठवें राउंड तक नहीं मिले। अंत में फैसला सर्वाधिक वोट के आधार पर हुआ।
पार्टियों के बीच जनसुराज की धमक और जीत-हार का गणित
सारण शिक्षक
जीते: अफाक अहमद
शिक्षक नेता केदार पांडेय के पुत्र पुष्कर आनंद पिता की तरह क्षेत्र में सक्रिय नहीं हो पाये। फायदा जन सुराज समर्थित अफाक अहमद को मिला। एमएलसी सच्चिदानंद राय का भी साथ जीत का कारण बना।
सारण स्नातक
जीते: डॉ. वीएन यादव
जदयू के डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने भाजपा के महाचंद्र सिंह को हराकर जीत दर्ज की। वीरेंद्र की यह लगातार दूसरी जीत है। उन्होंने पिछले 36 सालों से विधान पार्षद रहे महाचंद्र सिंह को दूसरी बार हराया।
गया शिक्षक
जीते: जीवन कुमार
जदयू उम्मीदवार संजीव श्याम सिंह के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी थी। राजद-जदयू के बीच तालमेल का भी अभाव था। भाजपा उम्मीदवार जीवन कुमार के खड़ा होने से संजीव की स्थिति प्रतिकूल हो गई।
गया स्नातक
जीते: अवधेश न. सिंह
राजद विधायक सुधाकर सिंह के भाई होने के कारण पुनीत सिंह को जदयू वोटरों का सपोर्ट नहीं मिला। अवधेश नारायण को एंटी इंकंबेंसी के बावजूद जदयू नेतृत्व से अच्छे संबंध होने का फायदा मिला।
कोसी शिक्षक
जीते: संजीव कु. सिंह
लगातार चौथी बार जीते डॉ. संजीव का दबदबा कायम रहा। सारे प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। शिक्षकों की समस्याओं को संजीदगी से उठाने व समाधान के प्रयास के कारण वे शिक्षकों में लोकप्रिय रहे।
विधान परिषद कुल सदस्य-75
महागठबंधन:- जदयू-23, राजद-14, कांग्रेस-4, सीपीआई-1, हम(से)-1 =43
एनडीए:- भाजपा-24, रालोजपा-1 = 25
निर्दलीय:-6, उपेन्द्र कुशवाहा के इस्तीफा देने से एक सीट खाली है।
मगध-शाहबाद में महागठबंधन के वोटबैंक पर पड़ेगा असर
समझिए दलों के लिए जीत के मायने क्या
भाजपा के लिए – परिषद में कद बढ़ा। इससे विपक्ष की ताकत बढ़ी। अब और तीखे तेवर से सरकार पर हमला कर सकेगी।
जदयू के लिए –पार्टी को नुकसान हुआ। मगध क्षेत्र में असर आगामी चुनावों में दिखेगा।
राजद के लिए –गया स्नातक सीट जिन 8 जिलों में फैली है। 43 विधायकों में 40 महागठबंधन के हैं। असर पार्टी पर पड़ेगा।
सीपीआई के लिए – दो दशक से सारण से लगातार जीते रही पार्टी के लिए यह हार उसके प्रभाव को और घटाएगा। अब प्रदेश में मात्र एक सीट ही उसके पास है।