पटना के एएन कॉलेज सभागार में रविवार को पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का पहला स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर और वशिष्ठ अतिथि के तौर पर बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री अपने संबोधन के दौरान एक बार में से हिंदू धर्म में जाति की संस्कृति पर टिप्पणी की और इसे देश के प्रगति में बाधा बता दिया। इस दौरान राज्यपाल ने अपने संबोधन के दौरान शिक्षा मंत्री को आईना दिखाते हुए कहा कि हिंदू संस्कृति समृद्ध संस्कृति रही है और कुछ विकृतियां आ गई है जैसे जातीय व्यवस्था लेकिन समझना होगा संस्कृति और विकृति में क्या अंतर है।
“जातीय व्यवस्था है सबसे बड़ी बाधा”
शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि सभी व्यक्ति जाति धर्म से ऊपर उठकर अपने कार्य में अपना शत प्रतिशत योगदान करें तो हमारा भारत देश जो कभी विश्व गुरु हुआ करता था वह एक बार फिर से विश्व गुरु बन सकता है। भारत को विश्व गुरु बनने में जो सबसे बड़ी बाधा है वह हमारी जातीय व्यवस्था है। दुनिया में कहीं भी जात पात की संस्कृति नहीं है लेकिन जो भी देश भारत से टूटकर अलग हुए हैं, जैसे मॉरीशस, फिजी जैसे देशों में हमारे देश से हिंदू लोग गए हैं और वहां पर भी जाति की संस्कृति देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि वह सचिवालय में जातियों के कारण संचिकाओं को रुकते हुए देखे हैं और आज भी जाति व्यवस्था से काफी लोग पीड़ित हैं। आगे उन्होंने कहा कि वह युवाओं और सभी लोगों से यह अपील करना चाहेंगे कि वह जात-पात से ऊपर उठकर कार्य करें तभी हमारा देश आगे बढ़ेगा और महान बनेगा।

राज्यपाल ने दिया शिक्षा मंत्री को जवाब
वही अपनी संबोधन के दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि शिक्षा मंत्री नहीं जाती कि संस्कृति पर बात कही है। इस पर वह आज अधिक नहीं करना चाहेंगे क्यों की यह कार्यक्रम शिक्षा के विषय पर है, लेकिन वह इतना जरूर कहेंगे कि हमारी संस्कृति काफी समृद्ध संस्कृति रही है। समय के साथ साथ हमारी संस्कृति में कुछ विकृतियां आ गई है। जैसे कि जाति व्यवस्था लेकिन हमने यह समझना होगा कि संस्कृति और विकृति में क्या अंतर है। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हमें पहल करनी होगी। राज्यपाल ने स्वामी विवेकानंद की अमेरिका यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि एक बार स्वामी विवेकानंद के लोगों ने पूछा कि हिंदू संस्कृति बेहतर है तो हम भी हिंदू संस्कृति को अपना लेते हैं। इसके बाद स्वामी विवेकानंद ने उन्हें यह उत्तर दिया कि आप जिस धर्म में है उसी का ईमानदारी से पालन करें यही हमारी हिंदू संस्कृति कहती है।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस के मौके पर राज्यपाल ने कहां की विश्वविद्यालय के ललित कला में अव्वल विद्यार्थियों को सम्मानित करना उनके लिए एक सुखद अनुभव है। आगे उन्होंने कहा कि मैं पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति आर के सिंह को निमंत्रण देना चाहूंगा कि वह विश्वविद्यालय के ललित कला में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं का प्रोग्राम राजभवन में भी आयोजित करवाएं। वह चाहते हैं कि विश्वविद्यालय के छात्र जो विभिन्न कला में बेहतर कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें आगे बढ़ाया जाए। ताकि वह पूरे उत्साह से देश और दुनिया में अपने कला का परिचय दे सकें।
राज्यपाल ने सुनाया किस्सा
अपने संबोधन की के दौरान राज्यपाल ने राजनेताओं को लेकर एक मजाकिया टिप्पणी की उन्होंने कहा कि मैं जब हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल हुआ करता था उस समय का है किस्सा मुझे याद है। उनके साथ एक एक एडीसी थे जो आईपीएस होते हैं। राज्यपाल ने कहा कि एक कार्यक्रम में जाने के दौरान एडीसी ने उनसे पूछा कि, क्या मैं आपसे एक सवाल पूछूं ? उन्होंने कहा कि पूछिए। एडीसी ने उनसे पूछा कि एक अच्छा राजनेता कैसे बनते हैं। वह आश्चर्यचकित हो गए कि राजनेता भी कोई अच्छा होता है क्या ? राज्यपाल के इतना कहना था पूरा सभागार ठहाकों और तालियों से गूंज उठा। इसके बाद राज्यपाल ने तुरंत मंचासीन पर बैठे विशिष्ट अतिथि के तौर पर शिक्षा मंत्री से मजाकिया अंदाज में ही उसके लिए माफी मांग ली।
इसके बाद उन्होंने कहा कि मैंने इस सवाल का जवाब एडीसी को दिया, और कहा कि कोई भी राजनेता अच्छा नहीं होता है, कोई भी अच्छा वकील नहीं होता, कोई भी अच्छा पुलिस वाला नहीं होता। आगे उन्होंने कहा की उन्होंने कहा कि अच्छा बनने के लिए जरूरी है कि एक अच्छा इंसान बने और जो अच्छा इंसान बनेगा जिसके विचार उच्च रहेंगे वह चाहे राजनेता, पुलिसवाला हो,कोई अन्य पद पर हो वह अच्छा रहेगा।