प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैज्ञानिक शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे देश को आत्मनिर्भर बनाने और रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए ज्ञान का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करें। इसके लिएउन्होंने अगले २५ वर्षों में विज्ञान को लेकर अपना दृष्टिकोण भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री मोदी तुकड़़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में १०८वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का वीडि़यो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने‚ क्वांटम प्रौद्योगिकी‚ डे़टा विज्ञान‚ नये टीकों के विकास जैसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने‚ नई बीमारियों के लिए निगरानी के प्रयासों को तेज करने और युवाओं को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। दरअसल‚ बीते कुछवर्षों से विज्ञान खासकर नव क्षेत्र उन्नयन और नवोन्मेषण पर सरकार के जोर देने का ही नतीजा है कि भारत विज्ञान के क्षेत्रमें शीर्ष देशों में शामिल हो गया है। २०१५ में भारत जहां १३० देशों के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में ८१वे नंबर पर था वहीं सात साल में विज्ञान के क्षेत्रमें ऐसे कई बड़े इनोवेशन हुए जिनके कारण भारत अब ४१वे नंबर पर आ गया है। बेशक‚ बड़े़ इनोवेशन हुए हैं लेकिन प्रयोगशाला में मिले नतीजों का लाभ जमीनी स्तर तक पहंुचाना अभी भी सबसे बड़़ी चुनौती है। ग्लोबल से लोकल स्तर तक विज्ञान में हुए शोधों का लाभ आम जन तक पहंुचना जरूरी है। रिसर्च का फायदा रियल लाइफ में मिलेगा तभी विज्ञान रोजमर्रा की जिंदगी में अनगिनत फायदों का जरिया बन सकता है। जीवन को सहज और आसान बना सकता है। विज्ञान से लाभान्वित होने की अपेक्षा और आकांक्षा बेवजह नहीं है। दरअसल‚ भारत ने विज्ञान के क्षेत्रमें तेजी से कदम बढ़ाए हैं। न केवल ग्लोबल इनोवेशन इंडे़क्स में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है‚ बल्कि उद्यमशीलता का ऐसा नायाब प्रदर्शन किया है कि आज वह स्टार्टअप की व्यवस्था में विश्व के शीर्ष तीन देशों में शामिल है। प्रौद्योगिकी के लिहाज से भारत खासे मजबूत आधार वाला देश है‚ और प्रयास करे तो अगले २५ वर्षों में विज्ञान के क्षेत्रमें नई इबारत लिख सकता सकता है। विकसित देशों में भारतीय मेधा ने अपने ज्ञान का लोहा मनवाया है। मजबूत प्रौद्योगिकी और ड़ाटा आधार के बल पर कोई भी देश बढ़ सकता है‚ और इस दृष्टि से भारत लाभ की स्थिति में है। जरूरत है तो इस बात की कि इस ओर ध्यान केंद्रित किया जाए।
भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों का इतिहास
भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से बहुत गहरे और विविध रहे हैं. इन रिश्तों की नींव सदियों पहले...