यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध‚ कोरोना महामारी और वैश्विक स्तर पर भू–राजनैतिक संकट की स्थिति बनी होने के कारण इधन और कई उत्पादों की वैश्विक स्तर पर किल्लत २०२३ में भी बनी रहेगी और अधिकांश देश महंगाई से परेशान रहेंगे। हालांकि प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी क्योंकि भारत महत्वपूर्ण आर्थिक मानकों में उम्दा प्रदर्शन कर रहा है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर ६.३ प्रतिशत रही जबकि पहली तिमाही में यह १३.५ प्रतिशत थी। पिछले वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में यह ४.१ प्रतिशत थी और दिसम्बर तिमाही में ५.४ प्रतिशत रही थी‚ जबकि वित्त वर्ष २०२१–२२ के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर ८.७ प्रतिशत थी। इस तरह‚ वित्त वर्ष २०२१–२२ की तीसरी तिमाही से चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर में मामूली कमी दर्ज की गई लेकिन समग्र रूप से वित्त वर्ष २०२१–२२ के दौरान जीडीपी में ८.७ प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष २०२१–२२ की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष २०२२–२३ की पहली तिमाही के दौरान भी जीड़ीपी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है‚ लेकिन चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही से दूसरी तिमाही में जीडीपी में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है। फिर भी‚ पूरे वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर के ७.०० प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है‚ जो दुनिया के विकसित देशों से बेहतर है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान सभी उम्र वर्ग में शहरी बेरोजगारी की दर ७.६ प्रतिशत रही जो अप्रैल में ९.२२‚ मई में ८.२१ और जून में ७.३ प्रतिशत रही। इस तरह‚ शहरी बेरोजगारी दर में लगातार तीसरे महीने गिरावट दर्ज की गई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि से तुलना की जाए तो ये आंकड़े सकारात्मक हैं। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में शहरी बेरोजगारी दर १२.७ प्रतिशत रही थी‚ जो कोरोना महामारी के दौर की तुलना में बेहतर है। अप्रैल से जून‚ २०२० के दौरान तो शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर २०.९ प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थी। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर अगस्त में ७.६८ प्रतिशत थी‚ जो सितम्बर में घटकर ५.८४ प्रतिशत रह गई। हालांकि‚ सीएमआईई द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार समग्र बेरोजगारी दर सितम्बर के ६.४ प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर में ७.८ प्रतिशत हो गई है‚ जिसमें शहरी क्षेत्रों के मुकाबले गांवों में हालात ज्यादा खराब हैं। यह आर्थिक गतिविधियों और विकास दर में गिरावट आने की वजह से है। उपभोक्ता मूल्य पर आधारित महंगाई दर (सीपीआई) नवम्बर में घटकर ५.८८ प्रतिशत रह गई‚ जबकि अक्टूबर में यह ६.७७ और सितम्बर में ७.४१ प्रतिशत थी। नवम्बर में पहली बार खुदरा महंगाई दर ११ महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गई। यह रिजर्व बैंक द्वारा तय महंगाई दर की ऊपरी सीमा ६.०० प्रतिशत से नीचे है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई भी नवम्बर महीने में घटकर ५.८५ प्रतिशत रह गई जो २१ महीनों का सबसे निचला स्तर है।
अमेरिका में नवम्बर में महंगाई दर ७.१ प्रतिशत रही जबकि अक्टूबर में ७.२ प्रतिशत रही थी। वहीं‚ सितम्बर में यह ८.२ प्रतिशत थी। जनवरी के बाद से महंगाई दर में यह सबसे कम बढ़ोतरी है। अमेरिका में महंगाई की ऊपरी सहनशीलता सीमा २ प्रतिशत है। वहां बेरोजगारी दर नवम्बर में ३.७ प्रतिशत रही जो सितम्बर में ३.५ प्रतिशत थी। अमेरिका में बेरोजगारी दर में अभी और भी तेजी आने के आसार हैं। अमेरिका के केंद्रीय बैंक‚ फेडरल रिजर्व के अनुसार यह बढ़कर ४.४ प्रतिशत के स्तर पर पहंुच सकती है। यूरोपीय संघ के सांख्यिकी कार्यालय यूरो स्टेट के मुताबिक नवम्बर में यूरोपीय संघ में महंगाई दर १०.९ प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई‚ जो सितम्बर से दहाई अंक में बनी हुई है‚ जबकि अगस्त में यह ९.१ प्रतिशत थी। यूरो स्टेट के अनुसार अक्टूबर में यूरोपीय संघ में बेरोजगारी दर ११.७ प्रतिशत दर्ज की गई‚ जो अगस्त और सितम्बर में ११.६ प्रतिशत थी। ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में वहां उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति ११.१ प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई‚ जो १९८१ के बाद सबसे >ंची दर है। वहीं‚ सितम्बर में ब्रिटेन में बेरोजगारी दर ४.१ से बढ़कर ४.५ प्रतिशत हो गई है।
देश में सितम्बर में जीएसटी संग्रह २६ प्रतिशत बढ़कर १.४८ लाख करोड़ रुपये रहा जबकि अक्टूबर में यह १.५० लाख करोड़ के स्तर को पार कर गया था। नवम्बर में भी जीएसटी संग्रह १.४६ लाख करोड़ रुपये रहा। यह लगातार नौवां महीना है‚ जब जीएसटी संग्रह १.४० लाख करोड़ रु पये से अधिक रहा। शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह नवम्बर तक ८.७७ लाख करोड़ रु पये पर पहुंच गया‚ जबकि १० नवम्बर तक कॉरपोरेट सकल कर संग्रह १०.५४ लाख करोड़ रुपये रहा‚ जो पिछले साल की समान अवधि से ३०.६९ प्रतिशत अधिक है। सकल आयकर संग्रह और कॉरपोरेट कर संग्रह में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में क्रमशः ४०.६४ और २२.०३ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व बैंक के अनुसार १८ नवम्बर को समाप्त पखवाड़े में भारतीय बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष ऋण १३३.२९ लाख करोड़ रुपये था‚ जबकि पिछले साल १९ नवम्बर को समाप्त पखवाड़े में यह ११३.९६ लाख करोड़ रुपये था। इस तरह‚ १ साल के अंदर ऋण वितरण में १६.९६ प्रतिशत की वृद्धि हुई है‚ जो दर्शाता है कि बाजार में उधारी का उठाव बना हुआ है‚ और आर्थिक गतिविधियों में निरंतर तेजी आ रही है।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में निर्यात अक्टूबर‚ २०२२ में ४२.३३ प्रतिशत बढ़कर ३५.४७ अरब डॉलर पर पहुंच गया‚ जबकि वित्त वर्ष २०२२–२३ की पहली छमाही यानी अप्रैल से सितम्बर में निर्यात १६.९६ प्रतिशत की वृद्धि के साथ २३१.८८ अरब डॉलर रहा। ११ नवम्बर‚ २०२२ को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार १४.७२ अरब डॉलर बढ़कर ५४४.७१५ अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। पड़ताल से साफ है‚ दुनिया के विकसित देश मंदी की गिरफ्त में आने के कगार पर हैं‚ लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। भारत जीडीपी‚ बेरोजगारी और महंगाई के साथ–साथ अर्थव्यवस्था के कई अन्य पैमानों पर भी दुनिया के विकसित देशों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।