पूरी दुनिया में कोरोना की चर्चा लगभग न के बराबर है, लेकिन चीन में हंगामा मचा हुआ है। जनता सड़कों पर है और जो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, चीन जैसे देश में वैसा नहीं कभी-कभार दिखता है। वहां पुलिस पहले ही प्रदर्शन को कुचल देती है या फिर ऐसे प्रोटेस्ट की तस्वीरें चीन से बाहर ही नहीं आ पाती हैं। इस समय पश्चिम में शिनजियांग से लेकर मध्य चीन में झेनझाऊ और दक्षिण में चोंगकिंग और गुआंगडांग में जनता सड़कों पर उतर आई है। सैकड़ों मोबाइलों से सब कुछ रिकॉर्ड हो रहा है और पूरी दुनिया चीनी जनता का गुस्सा देख रही है। शंघाई में रविवार को ‘शी जिनपिंग गद्दी छोड़ो’ के नारे गूंजे। कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता छोड़ो… ऐसे नारे लगाने वाले चीन के अपने ही देश के नागरिक हैं। आमतौर पर चीन जैसे देश में प्रदर्शन होते हैं तो सरकार इसे पश्चिम की साजिश बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश करती है। लेकिन इस बार मामला गंभीर है। इसकी वजह में कोविड-19 ही है, जिसे फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए कड़े प्रतिबंधों के खिलाफ लोग भड़के हुए हैं।
चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ लोग सड़क पर उतर आए हैं। बीजिंग से शुरू हुए ये प्रदर्शन अब 9 बड़े शहरों तक पहुंच गए हैं। पुलिस ने इन्हें रोकने के लिए लाठी चार्ज से लेकर लोगों को गिरफ्तार कर रही है, लेकिन लोगों का गुस्सा खत्म नहीं हो रहा है। रविवार की रातभर लोग सड़कों पर प्रदर्शन करते रहे।
इस दौरान लोग नारेबाजी करते हुए लॉकडाउन हटाने और आजादी देने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा- हमें फ्रीडम ऑफ प्रेस, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, फ्रीडम ऑफ मूवमेंट चाहिए। हमें हमारी आजादी दे दो। लोग राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफा मांग भी कर रहे हैं।
पहले समझते हैं, ये प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं
चीन में लगातार कोरोना बढ़ रहा है। 27 नवंबर को कोरोना के 40 हजार मामले सामने आए हैं। ये अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। चीन में अब एक्टिव केस का आंकड़ा 3 लाख के पार हो गया है। इसके चलते शी जिनपिंग सरकार ने कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं।
सख्त लॉकडाउन से 66 लाख लोग घरों में कैद है। ये लोग खाने के सामान के लिए भी बाहर नहीं निकल सकते। रोज होने वाले कोविड टेस्ट से भी नाराजगी बढ़ रही। जो लोग सरकार के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
अब इस पूरे मामले को सिलसिलेवार समझते हैं…
1. पहले वो वजह, जिससे लोगों का गुस्सा भड़का
चीन में 10 महीनों से जीरो कोविड पॉलिसी लागू है। कई तरह की पाबंदियां हैं, लेकिन गुस्सा तब भड़क गया जब चीन के शिंजियांग में 25 नवंबर को एक बिल्डिंग की 15वीं मंजिल में आग लगी गई। इस हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई। लॉकडाउन की वजह से राहत समय पर नहीं पहुंच सकी। लोगों ने आरोप लगाया कि अफसरों ने लापरवाही की। इसके बाद बीजिंग में लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन शुरू हो गए।
2. नए लचीले नियम नहीं मान रहे अफसर
नए नियमों में लोगों को प्रतिबंधों से ढील दी गई है और अर्थव्यवस्था के लिए कम नुकसान पहुंचाने वाला बनाया गया है। लेकिन कोविड केस बढ़ने के कारण स्थानीय अधिकारी सख्त नियमों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। नियमों में छूट की बजाय अधिकारी पूर्व की तरह जीरो कोविड नीति की और ही लौट रहे हैं।
3. कितने शहरों में फैला प्रदर्शन
प्रदर्शन राजधानी बीजिंग से शुरू हुआ और लॉन्चो, चेंगदू, जिनान, चोंगकिंग, वुहान शिंजियांग, ग्वांगझु और वुहान तक पहुंच गया। यहां पिछले तीन दोनों से लगातार लोग सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
4. जिनपिंग गद्दी छोड़ो के नारे लगा रहे
लोग जिनपिंग गद्दी छोड़ो, कम्युनिस्ट पार्टी गद्दी छोड़ो, शिनजियांग को अनलॉक करो, चीन को अनलॉक करो, पीसीआर टेस्ट नहीं चाहिए, प्रेस की आजादी चाहिए जैसे नारे लगा रहे।
5. लोग ब्लैंक व्हाइट पेपर क्यों दिखा रहे
प्रदर्शनकारी असंतोष जताते हुए खाली सफेद कागज (ब्लैंक व्हाइट पेपर) लेकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं। बीजिंग में भी स्टूडेंट्स ब्लैंक व्हाइट पेपर लेकर साइलेंट प्रोटेस्ट करते दिखे। ये एक तरह से सेंसरशिप या गिरफ्तारी से बचने के तौर पर किया जाने वाला विरोध है।
चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई में कोरोना से हाहाकार मच हुआ है। शंघाई चीन के साथ दुनिया के अन्य देशों के आर्थिक कारोबार के लिए भी काफी महत्व रखता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक रफ्तार पर असर पड़ रहा है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, चीन की GDP में 20% योगदान देने वाला क्षेत्र इस वक्त भी लॉकडाउन या सख्त पाबंदियों से गुजर रहा है। उसके केंद्रीय बैंक भी अगले साल चीन की ग्रोथ को 4.3% से घटाकर 4% आंक रहे हैं।
लंदन में भी प्रदर्शन
चीन की जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ लंदन में भी प्रदर्शन देखे गए। यहां चीनी दूतावास के बाहर 27 सितंबर को सैकड़ों लोग जुटे। लोग 25 नवंबर को शिंजियांग की इमारत में आग लगने से मारे गए 10 लोगों की मौत का भी विरोध कर रहे थे। चीन में अधिकतर लोग सख्त कोरोना प्रतिबंधों को इन मौतों की वजह बता रहे हैं। हालांकि, चीनी प्रशासन इस आरोप को ख़ारिज कर रहा है।
चीन में एक तरफ कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लोग जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग इसके विरोध में नारेबाजी करते हुए राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफा मांग रहे हैं।
ये प्रदर्शन 25 नवंबर को शिंजियांग के एक अपार्टमेंट में लगी आग के बाद उग्र हो गया। दरअसल, जीरो कोविड पॉलिसी के तहत लगाए गए लॉकडाउन के चलते दमकलकर्मी वक्त रहते आग बुझाने यहां नहीं पहुंच पाए। इससे 10 लोगों की मौत हो गई थी।
लोग बोले- डिक्टेटरशिप नहीं, डेमोक्रेसी चाहिए
सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में देखा जा सकता है कि लोग सड़कों पर बैनर लेकर खड़े हैं। बैनर पर लिखा है- नीड ह्यूमन राइट, नीड फ्रीडम यानी हमें मानव अधिकार और आजादी चाहिए।
एक अन्य वीडियो में लोगों को शी जिनपिंग से इस्तीफा मांगते सुना गया। प्रदर्शनकारियों ने कहा- स्टेप डाउन शी एंड कम्युनिस्ट पार्टी। यानी शी और उनकी कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता से हट जाएं। हमें कोरोना टेस्ट की जरूरत नहीं है। हमें आजादी चाहिए। हमें डिक्टेटरशिप की बजाय डेमोक्रेसी चाहिए।
यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन
बीजिंग में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां एक यूनिवर्सिटी के करीब 100 स्टूडेंट्स सरकार के विरोध में प्रोटेस्ट करने लगे। स्टूडेंट्स ने दीवारों पर ‘नो टू लॉकडाउन, यस टू फ्रीडम। नो टू कोविड टेस्ट, यस टू फूड’ लिखा। एक वीडियो में कुछ सिक्योरिटी गार्ड इस स्लोगन को अपनी जैकेट से छिपाते नजर आए। लाल रंग से लिखे गए इस स्लोगन पर बाद में ब्लैक पेंट कर दिया गया।
एक वीडियो में यूनिवर्सिटी स्टाफ को स्टूडेंट्स को धमकी देते सुना गया। एक अधिकारी कह रहा था- आज जो प्रदर्शन किए हैं, उसका अंजाम भुगतना होगा। इसके जवाब में स्टूडेंट्स ने कहा- आपको भी अंजाम भुगतने होंगे। आपके साथ पूरा देश इसका अंजाम भुगतेगा।
आईफोन प्लांट में हिंसा
झेंग्झौ में कोरोना पाबंदियों को लेकर आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी के प्लांट में सैकड़ों कर्मचारी सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गए। प्लांट में एक महीने से कड़ी पाबंदियां हैं। कर्मचारियों ने खाने, दवा और सैलरी को लेकर प्रदर्शन किया।
लगातार बढ़ रहा कोरोना
चीन में लगातार चौथे दिन 27 नवंबर को कोरोना के 40 हजार मामले सामने आए हैं। 24 नवंबर को 31,454 नए केस मिले थे। 26 अक्टूबर को 35,183 नए मामले सामने आए थे। चीन में अब एक्टिव केस का आंकड़ा 3 लाख के पार हो गया है।