बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव राजनीति की नई कवायद शुरू कर रहे हैं। दोनों एक विचारधारा वाली पार्टी को एक बैनर के तले करने की मुहिम में जुटे हुए हैं। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाकर उन्होंने देश को ये संदेश भी दिया है।लेकिन इनकी यह कोशिश बिहार के सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी (पटना यूनिवर्सिटी) के छात्र संघ चुनाव में ही दम तोड़ दी है।
आमने-सामने राजद और जदयू
24 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स वाले पीयू के कैंपस में जेडीयू और आरजेडी दोनों वर्चस्व के मुकाबले में आमने-सामने हैं। सेंट्रल पैनल के पांचों पदों पर दोनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं। दोनों अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। इनका कहना है कि वे राज्य की सियासत कर रहे हैं हम कैंपस की लड़ाई लड़ रहे हैं।
पटना यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस की विभागाध्यक्ष रह चुकी शेफाली रॉय कहती हैं कि बिहार में चाहे वो स्टेट लेवल की पॉलिटिक्स हो या कैंपस के स्तर की सियासत। दोनों जगह से आइडियोलॉजी गायब है। यहां केवल अवसर का गठजोड़ है। दोनों दल राजनीति की नर्सरी में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं।
पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव से पहले मंगलवार की शाम अध्यक्ष पद के दो प्रत्याशी के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। GDS हॉस्टल के पास छात्र जदयू के प्रत्याशी आनंद मोहन की गाड़ी पर कुछ युवकों ने हमला किया। हमले में आनंद मोहन की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। उन्होंने बताया कि हमला करने वाले आरजेडी के लोग थे।
पहले समझिए कैंपस पॉलिटिक्स का पार्टी कनेक्शन
बिहार में तकरीबन सभी मेन स्ट्रीम पार्टियों का अपना एक स्टूडेंट्स विंग है। राजद का छात्र राजद, जेडीयू का छात्र जेडीयू, बीजेपी की तरफ से एबीवीपी को समर्थन दिया जाता है। कांग्रेस का एनएसयूआई। जाप का जन अधिकारी छात्र परिषद । इसके अलावा लेफ्ट की पार्टियों का AISA, AISF है। कैंपस की पॉलिटिक्स में डायरेक्ट कैंडिडेट की जगह पार्टी समर्थित कैंडिडेट चुनाव लड़ते हैं।
बड़े नेताओं की सहमति के बाद ही कैंडिडेट का होता है चयन
कैंडिडेट का चयन कौन करते हैं? इस सवाल पर छात्र राजद के साकेत कुमार कहते हैं कि उनके संघर्ष को सम्मान दिया गया है। छात्र राजद के अध्यक्ष गगन यादव की तरफ से उनकी नाम की घोषणा की गई। इसमें जरूर राज्य स्तर के सीनियर लीडर्स से सहमति ली गई होगी। यही प्रक्रिया जेडीयू में भी अपनाया गया है।
कोशिश तो थी सहमति बनाने की, लेकिन आखिरी समय में बात नहीं पाई
राज्य की तरह कैंपस के पॉलिटिक्स में भी गठजोड़ बनाने की कोशिश की गई थी। लेकिन, यहां बात नहीं बन पाई। पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके और फिलहाल छात्र जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कोशिश की गई थी। लेकिन, अंतिम स्टेज में चीजें गड़बड़ा गईं। आगे इस पर भी गंभीरता से विचार किया जाएगा।
क्या अलग-अलग लड़ने से वोटों का बिखराव होगा?
इस मसले पर छात्र जेडीयू के अध्यक्ष दिव्यांशु कुमार कहते हैं कि पटना यूनिवर्सिटी को ईस्ट का ऑक्सफॉर्ड कहा जाता है। वे कहते हैं कि यहां के काफी समझदार छात्र हैं यहां के। क्या मैसेज देना है। क्या प्रमोट करना है, पटना विश्वविद्यालय के छात्र इसके लिए योग्य हैं। वहीं छात्र राजद के प्रत्याशियों के लिए कैंपस में प्रचार कर रहे बोचहां से राजद उम्मीदवार अमर पासवान कहते हैं कि बिहार ने एक नया मैसेज दिया है। भविष्य में कैंपस में भी गठबंधन पर भी विचार किया जाएगा।
क्या कहते हैं दोनों दलों के समर्थित प्रत्याशी
सभी अपने-अपने मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं- साकेत
छात्र राजद के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी साकेत ने कहा कि अगर सभी पार्टी एक साथ मिल जाएंगे तब चुनाव की जरूरत ही नहीं होगी। महागठबंधन राज्य में है। हम कैंपस की पॉलिटिक्स कर रहे हैं। सभी को चुनाव लड़ने का मौका मिलना चाहिए।
हम छात्र हित की लड़ाई लड़ रहे हैं- आनंद
छात्र जेडीयू के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी आनंद मोहन ने कहा कि सभी छात्र हित के लिए अलग-अलग लड़ रहे हैं। ऊपर पार्टी के डिसिजन के हिसाब से जो चल रहा है वो जरूरत के हिसाब से सही हो रही है। आगे जो भी होगा सही होगा।
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में भले राजनीतिक दल प्रत्यक्ष रूप से चुनाव न लड़ते हों। लेकिन, उनके समर्थित उम्मीदवार जमकर चुनाव लड़ रहे हैं और उनको पूरा बैकअप मूल दल की तरफ से दिया जा रहा है। इसको लेकर विश्वविद्यालय में राजनीतिक दलों के तरफ से फील्डिंग भी सजाई जा रही है।
पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव से पहले मंगलवार की शाम अध्यक्ष पद के दो प्रत्याशी के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। GDS हॉस्टल के पास छात्र जदयू के प्रत्याशी आनंद मोहन की गाड़ी पर कुछ युवकों ने हमला किया। हमले में आनंद मोहन की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। उन्होंने बताया हमला करने वालों में कुछ लोगों को मैं जानता हूं। FIR में मैं उन सभी को नामजद करूंगा। घटना की सूचना पर मौके पर 7-8 पुलिस की गाड़ी पहुंची।
पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव 19 नवंबर को होना है। चुनाव में सभी पार्टियों के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी लगातार सभी कॉलेजेज में जाकर वोट के लिए अपील कर रहे हैं। वहीं कई प्रत्याशी वोट लेने के अलग तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। कोई पानीपुरी, बिरयानी और मोमोज से वोट मांग रहे तो कोई पैरों पर गिरकर। पटना में पहली बार ऐसा देखने को मिला है।