यह महीना टी–20 विश्व कप वाला है‚ इसलिए सभी टीमों का फोकस इसकी तैयारियों पर है। भारत ने भी इसकी तैयारी के लिए पहले ऑस्ट्रेलिया और अब दक्षिण अफ्रीका के साथ टी–२० सीरीजों का आयोजन किया। खुशी की बात यह है कि इन दोनों दिग्गज टीमों के खिलाफ भारत सीरीज जीतने में सफल हो गया पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में पहले वनडे़ में २०८ रन बनाकर भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंदौर में आखिरी टी–२० हारने से भारतीय टीम में कुछ खामियां सामने आई हैं।
भारत को विश्व कप अभियान शुरू करने से पहले इन खामियों से पार पाना जरूरी है। सही है कि भारत ने इंदौर मैच में कई प्रमुख खिलाडि़़यों को नहीं उतारा था। इस मैच को जीतने से दक्षिण अफ्रीका का मनोबल ऊँचा होना स्वाभाविक है। भारत के लिहाज से यह जीत सही नहीं है क्योंकि वह विश्व कप में हमारे ही ग्रुप में है। भारतीय बल्लेबाजों ने आखिरी मैच में जैसा प्रदर्शन किया उसे देख कर जरूर लगता है कि उनमें शॉट सलेक्शन को लेकर थोड़े़ मानसिक सुधार की जरूरत है। भारतीय दल में विकेटकीपर के रूप में शामिल ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक ने ताबड़़तोड़़ बल्लेबाजी जरूर की पर टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने में विफल रहे। जब आउट हुए तब पूरी रंगत में खेल रहे थे‚ गेंदबाजों पर दबाव बनाते नजर आ रहे थे लेकिन महत्वपूर्ण मौके पर सही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करने के कारण उन्हें विकेट गंवाने पड़े़। पंत को केएल राहुल की जगह ओपनर के तौर पर उतारा गया था और कप्तान राहुल के पहले ही ओवर में आउट हो जाने से उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई थी। वह अपनी जिम्मेदारी के हिसाब से खेलते नजर भी आ रहे थे। उन्होंने पांचवें ओवर में गियर बदल कर एनगिड़ी की पहली पांच गेंदों पर दो छक्कों और दो चौकों से १९ रन ठोक लिए थे तब सतर्क हो जाना चाहिए था पर आखिरी गेंद पर जबर्दस्ती शॉट खेलने के प्रयास में कैच हो गए। दिनेश कार्तिक ने भी आक्रामक बल्लेबाजी की। केशव महाराज के ओवर १४ रन ठोकने के बाद आखिरी गेंद पर बेवजह रिवर्स स्वीप खेलने के प्रयास में बोल्ड़ हो गए।
कहा जाता है कि बल्लेबाज को जोश के साथ होश बनाए रखना भी जरूरी है पर पंत और कार्तिक में होश की कमी साफ नजर आई। उन्होंने आउट होने वाली गेंदों को ढंग से देखा होता तो शायद आउट नहीं होते और भारत का इंदौर के इस स्टेडि़यम में इस प्रारूप में कभी नहीं हारने का रिकॉर्ड़ नहीं टूटता। सही है कि टीम प्रबंधन ने कई मुख्य खिलाडि़़यों को सीरीज जीत लेने के कारण आराम दिया था। इस कारण उसके दिमाग में हार के कोई खास मायने नहीं होंगे पर इस हार से विश्व कप में अपने ग्रुप की टीम को हमने ऊँचे मनोबल के साथ उतरने का मौका दे दिया है। सही है कि इस मैच में विश्व कप में भाग लेने वाले पेसरों में सिर्फ हर्षल पटेल ही खेल रहे थे पर दोनों सीरीजों के दौरान डे़थ ओवर्स में हम उम्मीदों के अनुरूप गेंदबाजी करने में विफल रहे। बुमराह के आने पर सुधार की उम्मीद की जा रही थी पर पीठ की तकलीफ की वजह से वह टीम से बाहर हो गए हैं। हर्षल के आईपीएल में प्रदर्शन को देखते हुए लग रहा था कि वह इस जिम्मेदारी को संभाल लेंगे। वह गेंदबाजी में होशियारी के साथ गति में बदलाव करने वाले गेंदबाज माने जाते हैं। इसके अलावा वह स्लोअर बाउंसर और यॉर्कर पर भी अच्छी महारत रखने वाले माने जाते हैं। लेकिन चोट की समस्या से जूझने के बाद लौटने पर उनमें ये खूबियां नजर नहीं आ रहीं हैं। यही वजह है कि वह यॉर्कर फेंकने के प्रयास में फुलटॉस गेंद फेंककर मार खा रहे थे। इस कारण ही उन्होंने चार ओवरों में ४९ रन दे ड़ाले।
बुमराह की टीम में जगह मोहम्मद शमी या दीपक चाहर को मिल सकती है। शमी अब तक कोविड़ से फिट नहीं हो पाए हैं। चाहर ने पॉवर प्ले में तो अच्छी गेंदबाजी की है पर डे़थ ओवर्स में खर्चीले साबित हो रहे हैं। हमारे स्पिनरों ने सीरीज में ठीक–ठाक प्रदर्शन किया पर ऑस्ट्रेलियाई विकेट पर कितने कामयाब होते हैं‚ देखने वाली बात होगी। भारतीय टीम की कैचिंग और फील्डिं़ग में भी सुधार की जरूरत है। इंदौर मैच में शतक लगाकर अहम भूमिका निभाने वाले राइली रोसो का अश्विन की गेंद पर सिराज ने कैच पकड़़ लिया होता तो शायद दक्षिण अफ्रीका इतनी मजबूत स्थिति में नहीं होती। इसी तरह क्विंटन डि़कॉक पहले ही ओवर रनआउट हो सकते थे पर श्रेयस अय्यर न तो सीधे विकेट पर थ्रो कर सके और न ही पंत विकेट के पीछे सही पोजिशन पर थे। भारतीय पेस गेंदबाजों को नो बॉल से बचने का भी प्रयास करना चाहिए। सिराज के गेंद फेंकने के समय रोसो हिट विकेट हो गए पर इससे पहली गेंद नो बॉल होने से यह फ्री हिट वाली गेंद थी। पिछले एक साल में कैच छोड़़ने के रिकॉर्ड़ को देखें तो भारतीय आगे दिखती है। इसलिए इन खामियां पर पार पाना बेहद जरूरी है। ॥
यह महीना टी–20 विश्व कप वाला है‚ इसलिए सभी टीमों का फोकस इसकी तैयारियों पर है। भारत ने भी इसकी तैयारी के लिए पहले ऑस्ट्रेलिया और अब दक्षिण अफ्रीका के साथ टी–२० सीरीजों का आयोजन किया। खुशी की बात यह है कि इन दोनों दिग्गज टीमों के खिलाफ भारत सीरीज जीतने में सफल हो गया पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में पहले वनडे़ में २०८ रन बनाकर भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंदौर में आखिरी टी–२० हारने से भारतीय टीम में कुछ खामियां सामने आई हैं।
भारत को विश्व कप अभियान शुरू करने से पहले इन खामियों से पार पाना जरूरी है। सही है कि भारत ने इंदौर मैच में कई प्रमुख खिलाडि़़यों को नहीं उतारा था। इस मैच को जीतने से दक्षिण अफ्रीका का मनोबल ऊँचा होना स्वाभाविक है। भारत के लिहाज से यह जीत सही नहीं है क्योंकि वह विश्व कप में हमारे ही ग्रुप में है। भारतीय बल्लेबाजों ने आखिरी मैच में जैसा प्रदर्शन किया उसे देख कर जरूर लगता है कि उनमें शॉट सलेक्शन को लेकर थोड़े़ मानसिक सुधार की जरूरत है। भारतीय दल में विकेटकीपर के रूप में शामिल ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक ने ताबड़़तोड़़ बल्लेबाजी जरूर की पर टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने में विफल रहे। जब आउट हुए तब पूरी रंगत में खेल रहे थे‚ गेंदबाजों पर दबाव बनाते नजर आ रहे थे लेकिन महत्वपूर्ण मौके पर सही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करने के कारण उन्हें विकेट गंवाने पड़े़। पंत को केएल राहुल की जगह ओपनर के तौर पर उतारा गया था और कप्तान राहुल के पहले ही ओवर में आउट हो जाने से उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई थी। वह अपनी जिम्मेदारी के हिसाब से खेलते नजर भी आ रहे थे। उन्होंने पांचवें ओवर में गियर बदल कर एनगिड़ी की पहली पांच गेंदों पर दो छक्कों और दो चौकों से १९ रन ठोक लिए थे तब सतर्क हो जाना चाहिए था पर आखिरी गेंद पर जबर्दस्ती शॉट खेलने के प्रयास में कैच हो गए। दिनेश कार्तिक ने भी आक्रामक बल्लेबाजी की। केशव महाराज के ओवर १४ रन ठोकने के बाद आखिरी गेंद पर बेवजह रिवर्स स्वीप खेलने के प्रयास में बोल्ड़ हो गए।
कहा जाता है कि बल्लेबाज को जोश के साथ होश बनाए रखना भी जरूरी है पर पंत और कार्तिक में होश की कमी साफ नजर आई। उन्होंने आउट होने वाली गेंदों को ढंग से देखा होता तो शायद आउट नहीं होते और भारत का इंदौर के इस स्टेडि़यम में इस प्रारूप में कभी नहीं हारने का रिकॉर्ड़ नहीं टूटता। सही है कि टीम प्रबंधन ने कई मुख्य खिलाडि़़यों को सीरीज जीत लेने के कारण आराम दिया था। इस कारण उसके दिमाग में हार के कोई खास मायने नहीं होंगे पर इस हार से विश्व कप में अपने ग्रुप की टीम को हमने ऊँचे मनोबल के साथ उतरने का मौका दे दिया है। सही है कि इस मैच में विश्व कप में भाग लेने वाले पेसरों में सिर्फ हर्षल पटेल ही खेल रहे थे पर दोनों सीरीजों के दौरान डे़थ ओवर्स में हम उम्मीदों के अनुरूप गेंदबाजी करने में विफल रहे। बुमराह के आने पर सुधार की उम्मीद की जा रही थी पर पीठ की तकलीफ की वजह से वह टीम से बाहर हो गए हैं। हर्षल के आईपीएल में प्रदर्शन को देखते हुए लग रहा था कि वह इस जिम्मेदारी को संभाल लेंगे। वह गेंदबाजी में होशियारी के साथ गति में बदलाव करने वाले गेंदबाज माने जाते हैं। इसके अलावा वह स्लोअर बाउंसर और यॉर्कर पर भी अच्छी महारत रखने वाले माने जाते हैं। लेकिन चोट की समस्या से जूझने के बाद लौटने पर उनमें ये खूबियां नजर नहीं आ रहीं हैं। यही वजह है कि वह यॉर्कर फेंकने के प्रयास में फुलटॉस गेंद फेंककर मार खा रहे थे। इस कारण ही उन्होंने चार ओवरों में ४९ रन दे ड़ाले।
बुमराह की टीम में जगह मोहम्मद शमी या दीपक चाहर को मिल सकती है। शमी अब तक कोविड़ से फिट नहीं हो पाए हैं। चाहर ने पॉवर प्ले में तो अच्छी गेंदबाजी की है पर डे़थ ओवर्स में खर्चीले साबित हो रहे हैं। हमारे स्पिनरों ने सीरीज में ठीक–ठाक प्रदर्शन किया पर ऑस्ट्रेलियाई विकेट पर कितने कामयाब होते हैं‚ देखने वाली बात होगी। भारतीय टीम की कैचिंग और फील्डिं़ग में भी सुधार की जरूरत है। इंदौर मैच में शतक लगाकर अहम भूमिका निभाने वाले राइली रोसो का अश्विन की गेंद पर सिराज ने कैच पकड़़ लिया होता तो शायद दक्षिण अफ्रीका इतनी मजबूत स्थिति में नहीं होती। इसी तरह क्विंटन डि़कॉक पहले ही ओवर रनआउट हो सकते थे पर श्रेयस अय्यर न तो सीधे विकेट पर थ्रो कर सके और न ही पंत विकेट के पीछे सही पोजिशन पर थे। भारतीय पेस गेंदबाजों को नो बॉल से बचने का भी प्रयास करना चाहिए। सिराज के गेंद फेंकने के समय रोसो हिट विकेट हो गए पर इससे पहली गेंद नो बॉल होने से यह फ्री हिट वाली गेंद थी। पिछले एक साल में कैच छोड़़ने के रिकॉर्ड़ को देखें तो भारतीय आगे दिखती है। इसलिए इन खामियां पर पार पाना बेहद जरूरी है। ॥
यह महीना टी–20 विश्व कप वाला है‚ इसलिए सभी टीमों का फोकस इसकी तैयारियों पर है। भारत ने भी इसकी तैयारी के लिए पहले ऑस्ट्रेलिया और अब दक्षिण अफ्रीका के साथ टी–२० सीरीजों का आयोजन किया। खुशी की बात यह है कि इन दोनों दिग्गज टीमों के खिलाफ भारत सीरीज जीतने में सफल हो गया पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में पहले वनडे़ में २०८ रन बनाकर भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंदौर में आखिरी टी–२० हारने से भारतीय टीम में कुछ खामियां सामने आई हैं।
भारत को विश्व कप अभियान शुरू करने से पहले इन खामियों से पार पाना जरूरी है। सही है कि भारत ने इंदौर मैच में कई प्रमुख खिलाडि़़यों को नहीं उतारा था। इस मैच को जीतने से दक्षिण अफ्रीका का मनोबल ऊँचा होना स्वाभाविक है। भारत के लिहाज से यह जीत सही नहीं है क्योंकि वह विश्व कप में हमारे ही ग्रुप में है। भारतीय बल्लेबाजों ने आखिरी मैच में जैसा प्रदर्शन किया उसे देख कर जरूर लगता है कि उनमें शॉट सलेक्शन को लेकर थोड़े़ मानसिक सुधार की जरूरत है। भारतीय दल में विकेटकीपर के रूप में शामिल ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक ने ताबड़़तोड़़ बल्लेबाजी जरूर की पर टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने में विफल रहे। जब आउट हुए तब पूरी रंगत में खेल रहे थे‚ गेंदबाजों पर दबाव बनाते नजर आ रहे थे लेकिन महत्वपूर्ण मौके पर सही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करने के कारण उन्हें विकेट गंवाने पड़े़। पंत को केएल राहुल की जगह ओपनर के तौर पर उतारा गया था और कप्तान राहुल के पहले ही ओवर में आउट हो जाने से उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई थी। वह अपनी जिम्मेदारी के हिसाब से खेलते नजर भी आ रहे थे। उन्होंने पांचवें ओवर में गियर बदल कर एनगिड़ी की पहली पांच गेंदों पर दो छक्कों और दो चौकों से १९ रन ठोक लिए थे तब सतर्क हो जाना चाहिए था पर आखिरी गेंद पर जबर्दस्ती शॉट खेलने के प्रयास में कैच हो गए। दिनेश कार्तिक ने भी आक्रामक बल्लेबाजी की। केशव महाराज के ओवर १४ रन ठोकने के बाद आखिरी गेंद पर बेवजह रिवर्स स्वीप खेलने के प्रयास में बोल्ड़ हो गए।
कहा जाता है कि बल्लेबाज को जोश के साथ होश बनाए रखना भी जरूरी है पर पंत और कार्तिक में होश की कमी साफ नजर आई। उन्होंने आउट होने वाली गेंदों को ढंग से देखा होता तो शायद आउट नहीं होते और भारत का इंदौर के इस स्टेडि़यम में इस प्रारूप में कभी नहीं हारने का रिकॉर्ड़ नहीं टूटता। सही है कि टीम प्रबंधन ने कई मुख्य खिलाडि़़यों को सीरीज जीत लेने के कारण आराम दिया था। इस कारण उसके दिमाग में हार के कोई खास मायने नहीं होंगे पर इस हार से विश्व कप में अपने ग्रुप की टीम को हमने ऊँचे मनोबल के साथ उतरने का मौका दे दिया है। सही है कि इस मैच में विश्व कप में भाग लेने वाले पेसरों में सिर्फ हर्षल पटेल ही खेल रहे थे पर दोनों सीरीजों के दौरान डे़थ ओवर्स में हम उम्मीदों के अनुरूप गेंदबाजी करने में विफल रहे। बुमराह के आने पर सुधार की उम्मीद की जा रही थी पर पीठ की तकलीफ की वजह से वह टीम से बाहर हो गए हैं। हर्षल के आईपीएल में प्रदर्शन को देखते हुए लग रहा था कि वह इस जिम्मेदारी को संभाल लेंगे। वह गेंदबाजी में होशियारी के साथ गति में बदलाव करने वाले गेंदबाज माने जाते हैं। इसके अलावा वह स्लोअर बाउंसर और यॉर्कर पर भी अच्छी महारत रखने वाले माने जाते हैं। लेकिन चोट की समस्या से जूझने के बाद लौटने पर उनमें ये खूबियां नजर नहीं आ रहीं हैं। यही वजह है कि वह यॉर्कर फेंकने के प्रयास में फुलटॉस गेंद फेंककर मार खा रहे थे। इस कारण ही उन्होंने चार ओवरों में ४९ रन दे ड़ाले।
बुमराह की टीम में जगह मोहम्मद शमी या दीपक चाहर को मिल सकती है। शमी अब तक कोविड़ से फिट नहीं हो पाए हैं। चाहर ने पॉवर प्ले में तो अच्छी गेंदबाजी की है पर डे़थ ओवर्स में खर्चीले साबित हो रहे हैं। हमारे स्पिनरों ने सीरीज में ठीक–ठाक प्रदर्शन किया पर ऑस्ट्रेलियाई विकेट पर कितने कामयाब होते हैं‚ देखने वाली बात होगी। भारतीय टीम की कैचिंग और फील्डिं़ग में भी सुधार की जरूरत है। इंदौर मैच में शतक लगाकर अहम भूमिका निभाने वाले राइली रोसो का अश्विन की गेंद पर सिराज ने कैच पकड़़ लिया होता तो शायद दक्षिण अफ्रीका इतनी मजबूत स्थिति में नहीं होती। इसी तरह क्विंटन डि़कॉक पहले ही ओवर रनआउट हो सकते थे पर श्रेयस अय्यर न तो सीधे विकेट पर थ्रो कर सके और न ही पंत विकेट के पीछे सही पोजिशन पर थे। भारतीय पेस गेंदबाजों को नो बॉल से बचने का भी प्रयास करना चाहिए। सिराज के गेंद फेंकने के समय रोसो हिट विकेट हो गए पर इससे पहली गेंद नो बॉल होने से यह फ्री हिट वाली गेंद थी। पिछले एक साल में कैच छोड़़ने के रिकॉर्ड़ को देखें तो भारतीय आगे दिखती है। इसलिए इन खामियां पर पार पाना बेहद जरूरी है। ॥
यह महीना टी–20 विश्व कप वाला है‚ इसलिए सभी टीमों का फोकस इसकी तैयारियों पर है। भारत ने भी इसकी तैयारी के लिए पहले ऑस्ट्रेलिया और अब दक्षिण अफ्रीका के साथ टी–२० सीरीजों का आयोजन किया। खुशी की बात यह है कि इन दोनों दिग्गज टीमों के खिलाफ भारत सीरीज जीतने में सफल हो गया पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में पहले वनडे़ में २०८ रन बनाकर भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंदौर में आखिरी टी–२० हारने से भारतीय टीम में कुछ खामियां सामने आई हैं।
भारत को विश्व कप अभियान शुरू करने से पहले इन खामियों से पार पाना जरूरी है। सही है कि भारत ने इंदौर मैच में कई प्रमुख खिलाडि़़यों को नहीं उतारा था। इस मैच को जीतने से दक्षिण अफ्रीका का मनोबल ऊँचा होना स्वाभाविक है। भारत के लिहाज से यह जीत सही नहीं है क्योंकि वह विश्व कप में हमारे ही ग्रुप में है। भारतीय बल्लेबाजों ने आखिरी मैच में जैसा प्रदर्शन किया उसे देख कर जरूर लगता है कि उनमें शॉट सलेक्शन को लेकर थोड़े़ मानसिक सुधार की जरूरत है। भारतीय दल में विकेटकीपर के रूप में शामिल ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक ने ताबड़़तोड़़ बल्लेबाजी जरूर की पर टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने में विफल रहे। जब आउट हुए तब पूरी रंगत में खेल रहे थे‚ गेंदबाजों पर दबाव बनाते नजर आ रहे थे लेकिन महत्वपूर्ण मौके पर सही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करने के कारण उन्हें विकेट गंवाने पड़े़। पंत को केएल राहुल की जगह ओपनर के तौर पर उतारा गया था और कप्तान राहुल के पहले ही ओवर में आउट हो जाने से उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई थी। वह अपनी जिम्मेदारी के हिसाब से खेलते नजर भी आ रहे थे। उन्होंने पांचवें ओवर में गियर बदल कर एनगिड़ी की पहली पांच गेंदों पर दो छक्कों और दो चौकों से १९ रन ठोक लिए थे तब सतर्क हो जाना चाहिए था पर आखिरी गेंद पर जबर्दस्ती शॉट खेलने के प्रयास में कैच हो गए। दिनेश कार्तिक ने भी आक्रामक बल्लेबाजी की। केशव महाराज के ओवर १४ रन ठोकने के बाद आखिरी गेंद पर बेवजह रिवर्स स्वीप खेलने के प्रयास में बोल्ड़ हो गए।
कहा जाता है कि बल्लेबाज को जोश के साथ होश बनाए रखना भी जरूरी है पर पंत और कार्तिक में होश की कमी साफ नजर आई। उन्होंने आउट होने वाली गेंदों को ढंग से देखा होता तो शायद आउट नहीं होते और भारत का इंदौर के इस स्टेडि़यम में इस प्रारूप में कभी नहीं हारने का रिकॉर्ड़ नहीं टूटता। सही है कि टीम प्रबंधन ने कई मुख्य खिलाडि़़यों को सीरीज जीत लेने के कारण आराम दिया था। इस कारण उसके दिमाग में हार के कोई खास मायने नहीं होंगे पर इस हार से विश्व कप में अपने ग्रुप की टीम को हमने ऊँचे मनोबल के साथ उतरने का मौका दे दिया है। सही है कि इस मैच में विश्व कप में भाग लेने वाले पेसरों में सिर्फ हर्षल पटेल ही खेल रहे थे पर दोनों सीरीजों के दौरान डे़थ ओवर्स में हम उम्मीदों के अनुरूप गेंदबाजी करने में विफल रहे। बुमराह के आने पर सुधार की उम्मीद की जा रही थी पर पीठ की तकलीफ की वजह से वह टीम से बाहर हो गए हैं। हर्षल के आईपीएल में प्रदर्शन को देखते हुए लग रहा था कि वह इस जिम्मेदारी को संभाल लेंगे। वह गेंदबाजी में होशियारी के साथ गति में बदलाव करने वाले गेंदबाज माने जाते हैं। इसके अलावा वह स्लोअर बाउंसर और यॉर्कर पर भी अच्छी महारत रखने वाले माने जाते हैं। लेकिन चोट की समस्या से जूझने के बाद लौटने पर उनमें ये खूबियां नजर नहीं आ रहीं हैं। यही वजह है कि वह यॉर्कर फेंकने के प्रयास में फुलटॉस गेंद फेंककर मार खा रहे थे। इस कारण ही उन्होंने चार ओवरों में ४९ रन दे ड़ाले।
बुमराह की टीम में जगह मोहम्मद शमी या दीपक चाहर को मिल सकती है। शमी अब तक कोविड़ से फिट नहीं हो पाए हैं। चाहर ने पॉवर प्ले में तो अच्छी गेंदबाजी की है पर डे़थ ओवर्स में खर्चीले साबित हो रहे हैं। हमारे स्पिनरों ने सीरीज में ठीक–ठाक प्रदर्शन किया पर ऑस्ट्रेलियाई विकेट पर कितने कामयाब होते हैं‚ देखने वाली बात होगी। भारतीय टीम की कैचिंग और फील्डिं़ग में भी सुधार की जरूरत है। इंदौर मैच में शतक लगाकर अहम भूमिका निभाने वाले राइली रोसो का अश्विन की गेंद पर सिराज ने कैच पकड़़ लिया होता तो शायद दक्षिण अफ्रीका इतनी मजबूत स्थिति में नहीं होती। इसी तरह क्विंटन डि़कॉक पहले ही ओवर रनआउट हो सकते थे पर श्रेयस अय्यर न तो सीधे विकेट पर थ्रो कर सके और न ही पंत विकेट के पीछे सही पोजिशन पर थे। भारतीय पेस गेंदबाजों को नो बॉल से बचने का भी प्रयास करना चाहिए। सिराज के गेंद फेंकने के समय रोसो हिट विकेट हो गए पर इससे पहली गेंद नो बॉल होने से यह फ्री हिट वाली गेंद थी। पिछले एक साल में कैच छोड़़ने के रिकॉर्ड़ को देखें तो भारतीय आगे दिखती है। इसलिए इन खामियां पर पार पाना बेहद जरूरी है। ॥
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भारत को विश्व कप अभियान शुरू करने से पहले इन खामियों से पार पाना जरूरी है। सही है कि भारत ने इंदौर मैच में कई प्रमुख खिलाडि़़यों को नहीं उतारा था। इस मैच को जीतने से दक्षिण अफ्रीका का मनोबल ऊँचा होना स्वाभाविक है। भारत के लिहाज से यह जीत सही नहीं है क्योंकि वह विश्व कप में हमारे ही ग्रुप में है। भारतीय बल्लेबाजों ने आखिरी मैच में जैसा प्रदर्शन किया उसे देख कर जरूर लगता है कि उनमें शॉट सलेक्शन को लेकर थोड़े़ मानसिक सुधार की जरूरत है। भारतीय दल में विकेटकीपर के रूप में शामिल ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक ने ताबड़़तोड़़ बल्लेबाजी जरूर की पर टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने में विफल रहे। जब आउट हुए तब पूरी रंगत में खेल रहे थे‚ गेंदबाजों पर दबाव बनाते नजर आ रहे थे लेकिन महत्वपूर्ण मौके पर सही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करने के कारण उन्हें विकेट गंवाने पड़े़। पंत को केएल राहुल की जगह ओपनर के तौर पर उतारा गया था और कप्तान राहुल के पहले ही ओवर में आउट हो जाने से उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई थी। वह अपनी जिम्मेदारी के हिसाब से खेलते नजर भी आ रहे थे। उन्होंने पांचवें ओवर में गियर बदल कर एनगिड़ी की पहली पांच गेंदों पर दो छक्कों और दो चौकों से १९ रन ठोक लिए थे तब सतर्क हो जाना चाहिए था पर आखिरी गेंद पर जबर्दस्ती शॉट खेलने के प्रयास में कैच हो गए। दिनेश कार्तिक ने भी आक्रामक बल्लेबाजी की। केशव महाराज के ओवर १४ रन ठोकने के बाद आखिरी गेंद पर बेवजह रिवर्स स्वीप खेलने के प्रयास में बोल्ड़ हो गए।
कहा जाता है कि बल्लेबाज को जोश के साथ होश बनाए रखना भी जरूरी है पर पंत और कार्तिक में होश की कमी साफ नजर आई। उन्होंने आउट होने वाली गेंदों को ढंग से देखा होता तो शायद आउट नहीं होते और भारत का इंदौर के इस स्टेडि़यम में इस प्रारूप में कभी नहीं हारने का रिकॉर्ड़ नहीं टूटता। सही है कि टीम प्रबंधन ने कई मुख्य खिलाडि़़यों को सीरीज जीत लेने के कारण आराम दिया था। इस कारण उसके दिमाग में हार के कोई खास मायने नहीं होंगे पर इस हार से विश्व कप में अपने ग्रुप की टीम को हमने ऊँचे मनोबल के साथ उतरने का मौका दे दिया है। सही है कि इस मैच में विश्व कप में भाग लेने वाले पेसरों में सिर्फ हर्षल पटेल ही खेल रहे थे पर दोनों सीरीजों के दौरान डे़थ ओवर्स में हम उम्मीदों के अनुरूप गेंदबाजी करने में विफल रहे। बुमराह के आने पर सुधार की उम्मीद की जा रही थी पर पीठ की तकलीफ की वजह से वह टीम से बाहर हो गए हैं। हर्षल के आईपीएल में प्रदर्शन को देखते हुए लग रहा था कि वह इस जिम्मेदारी को संभाल लेंगे। वह गेंदबाजी में होशियारी के साथ गति में बदलाव करने वाले गेंदबाज माने जाते हैं। इसके अलावा वह स्लोअर बाउंसर और यॉर्कर पर भी अच्छी महारत रखने वाले माने जाते हैं। लेकिन चोट की समस्या से जूझने के बाद लौटने पर उनमें ये खूबियां नजर नहीं आ रहीं हैं। यही वजह है कि वह यॉर्कर फेंकने के प्रयास में फुलटॉस गेंद फेंककर मार खा रहे थे। इस कारण ही उन्होंने चार ओवरों में ४९ रन दे ड़ाले।
बुमराह की टीम में जगह मोहम्मद शमी या दीपक चाहर को मिल सकती है। शमी अब तक कोविड़ से फिट नहीं हो पाए हैं। चाहर ने पॉवर प्ले में तो अच्छी गेंदबाजी की है पर डे़थ ओवर्स में खर्चीले साबित हो रहे हैं। हमारे स्पिनरों ने सीरीज में ठीक–ठाक प्रदर्शन किया पर ऑस्ट्रेलियाई विकेट पर कितने कामयाब होते हैं‚ देखने वाली बात होगी। भारतीय टीम की कैचिंग और फील्डिं़ग में भी सुधार की जरूरत है। इंदौर मैच में शतक लगाकर अहम भूमिका निभाने वाले राइली रोसो का अश्विन की गेंद पर सिराज ने कैच पकड़़ लिया होता तो शायद दक्षिण अफ्रीका इतनी मजबूत स्थिति में नहीं होती। इसी तरह क्विंटन डि़कॉक पहले ही ओवर रनआउट हो सकते थे पर श्रेयस अय्यर न तो सीधे विकेट पर थ्रो कर सके और न ही पंत विकेट के पीछे सही पोजिशन पर थे। भारतीय पेस गेंदबाजों को नो बॉल से बचने का भी प्रयास करना चाहिए। सिराज के गेंद फेंकने के समय रोसो हिट विकेट हो गए पर इससे पहली गेंद नो बॉल होने से यह फ्री हिट वाली गेंद थी। पिछले एक साल में कैच छोड़़ने के रिकॉर्ड़ को देखें तो भारतीय आगे दिखती है। इसलिए इन खामियां पर पार पाना बेहद जरूरी है। ॥
यह महीना टी–20 विश्व कप वाला है‚ इसलिए सभी टीमों का फोकस इसकी तैयारियों पर है। भारत ने भी इसकी तैयारी के लिए पहले ऑस्ट्रेलिया और अब दक्षिण अफ्रीका के साथ टी–२० सीरीजों का आयोजन किया। खुशी की बात यह है कि इन दोनों दिग्गज टीमों के खिलाफ भारत सीरीज जीतने में सफल हो गया पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में पहले वनडे़ में २०८ रन बनाकर भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंदौर में आखिरी टी–२० हारने से भारतीय टीम में कुछ खामियां सामने आई हैं।
भारत को विश्व कप अभियान शुरू करने से पहले इन खामियों से पार पाना जरूरी है। सही है कि भारत ने इंदौर मैच में कई प्रमुख खिलाडि़़यों को नहीं उतारा था। इस मैच को जीतने से दक्षिण अफ्रीका का मनोबल ऊँचा होना स्वाभाविक है। भारत के लिहाज से यह जीत सही नहीं है क्योंकि वह विश्व कप में हमारे ही ग्रुप में है। भारतीय बल्लेबाजों ने आखिरी मैच में जैसा प्रदर्शन किया उसे देख कर जरूर लगता है कि उनमें शॉट सलेक्शन को लेकर थोड़े़ मानसिक सुधार की जरूरत है। भारतीय दल में विकेटकीपर के रूप में शामिल ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक ने ताबड़़तोड़़ बल्लेबाजी जरूर की पर टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने में विफल रहे। जब आउट हुए तब पूरी रंगत में खेल रहे थे‚ गेंदबाजों पर दबाव बनाते नजर आ रहे थे लेकिन महत्वपूर्ण मौके पर सही दिमाग का इस्तेमाल नहीं करने के कारण उन्हें विकेट गंवाने पड़े़। पंत को केएल राहुल की जगह ओपनर के तौर पर उतारा गया था और कप्तान राहुल के पहले ही ओवर में आउट हो जाने से उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई थी। वह अपनी जिम्मेदारी के हिसाब से खेलते नजर भी आ रहे थे। उन्होंने पांचवें ओवर में गियर बदल कर एनगिड़ी की पहली पांच गेंदों पर दो छक्कों और दो चौकों से १९ रन ठोक लिए थे तब सतर्क हो जाना चाहिए था पर आखिरी गेंद पर जबर्दस्ती शॉट खेलने के प्रयास में कैच हो गए। दिनेश कार्तिक ने भी आक्रामक बल्लेबाजी की। केशव महाराज के ओवर १४ रन ठोकने के बाद आखिरी गेंद पर बेवजह रिवर्स स्वीप खेलने के प्रयास में बोल्ड़ हो गए।
कहा जाता है कि बल्लेबाज को जोश के साथ होश बनाए रखना भी जरूरी है पर पंत और कार्तिक में होश की कमी साफ नजर आई। उन्होंने आउट होने वाली गेंदों को ढंग से देखा होता तो शायद आउट नहीं होते और भारत का इंदौर के इस स्टेडि़यम में इस प्रारूप में कभी नहीं हारने का रिकॉर्ड़ नहीं टूटता। सही है कि टीम प्रबंधन ने कई मुख्य खिलाडि़़यों को सीरीज जीत लेने के कारण आराम दिया था। इस कारण उसके दिमाग में हार के कोई खास मायने नहीं होंगे पर इस हार से विश्व कप में अपने ग्रुप की टीम को हमने ऊँचे मनोबल के साथ उतरने का मौका दे दिया है। सही है कि इस मैच में विश्व कप में भाग लेने वाले पेसरों में सिर्फ हर्षल पटेल ही खेल रहे थे पर दोनों सीरीजों के दौरान डे़थ ओवर्स में हम उम्मीदों के अनुरूप गेंदबाजी करने में विफल रहे। बुमराह के आने पर सुधार की उम्मीद की जा रही थी पर पीठ की तकलीफ की वजह से वह टीम से बाहर हो गए हैं। हर्षल के आईपीएल में प्रदर्शन को देखते हुए लग रहा था कि वह इस जिम्मेदारी को संभाल लेंगे। वह गेंदबाजी में होशियारी के साथ गति में बदलाव करने वाले गेंदबाज माने जाते हैं। इसके अलावा वह स्लोअर बाउंसर और यॉर्कर पर भी अच्छी महारत रखने वाले माने जाते हैं। लेकिन चोट की समस्या से जूझने के बाद लौटने पर उनमें ये खूबियां नजर नहीं आ रहीं हैं। यही वजह है कि वह यॉर्कर फेंकने के प्रयास में फुलटॉस गेंद फेंककर मार खा रहे थे। इस कारण ही उन्होंने चार ओवरों में ४९ रन दे ड़ाले।
बुमराह की टीम में जगह मोहम्मद शमी या दीपक चाहर को मिल सकती है। शमी अब तक कोविड़ से फिट नहीं हो पाए हैं। चाहर ने पॉवर प्ले में तो अच्छी गेंदबाजी की है पर डे़थ ओवर्स में खर्चीले साबित हो रहे हैं। हमारे स्पिनरों ने सीरीज में ठीक–ठाक प्रदर्शन किया पर ऑस्ट्रेलियाई विकेट पर कितने कामयाब होते हैं‚ देखने वाली बात होगी। भारतीय टीम की कैचिंग और फील्डिं़ग में भी सुधार की जरूरत है। इंदौर मैच में शतक लगाकर अहम भूमिका निभाने वाले राइली रोसो का अश्विन की गेंद पर सिराज ने कैच पकड़़ लिया होता तो शायद दक्षिण अफ्रीका इतनी मजबूत स्थिति में नहीं होती। इसी तरह क्विंटन डि़कॉक पहले ही ओवर रनआउट हो सकते थे पर श्रेयस अय्यर न तो सीधे विकेट पर थ्रो कर सके और न ही पंत विकेट के पीछे सही पोजिशन पर थे। भारतीय पेस गेंदबाजों को नो बॉल से बचने का भी प्रयास करना चाहिए। सिराज के गेंद फेंकने के समय रोसो हिट विकेट हो गए पर इससे पहली गेंद नो बॉल होने से यह फ्री हिट वाली गेंद थी। पिछले एक साल में कैच छोड़़ने के रिकॉर्ड़ को देखें तो भारतीय आगे दिखती है। इसलिए इन खामियां पर पार पाना बेहद जरूरी है। ॥