उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव 82 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. उम्र के आखिरी पड़ाव पर वे 82 साल के थे. सोमवार सुबह यानि आज ही नेताजी के देहांत की खबर से पूरे राजनैतिक जगत में शोक की लहर है. दरअसल मुलायम सिंह यादव लंबे समय से अस्पताल के बेड पर थे. बताया जा रहा है कि 2 अक्टूबर से ही उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ने लगी थी. लंबे समय से गुरुग्राम के मेदांता में भर्ती यूपी के जानेमाने नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने आज सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर दम तोड़ दिया. 22 अगस्त से अस्पताल में भर्ती मुलायम सिंह यादव वेटिंलेटर पर थे, जहां आखिरकार वे जिंदगी की जंग हार गए. जानकारी हो कि नेताजी काफी समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे, उनके शरीर पर दवाईयों का असर भी खत्म हो चला था, जिसके बाद से उनकी हालत स्थिर ही बनी हुई थी.
तीन बार यूपी के सीएम पद पर हुए थे काबिज
मुलायम सिंह यादव को नेताजी के नाम से जाना जाता था. वे राजनैतिक जगत में एक जानामाना नाम थे. इसके अलावा मुलायम सिंह यादव देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य उत्तरप्रदेश के सीएम बन कर भी जन- जन में लोकप्रिय नेता की छवि के साथ उभरे थे. उन्होंने अपने पूरे राजनैतिक कार्यकाल में उत्तरप्रदेश के सीएम का पद तीन बार संभाला था. साल 1939 में जन्में मुलायम सिंह यादव पहली बार 5 दिसम्बर 1989 को यूपी के सीएम पद पर काबिज हुए थे. इसके बाद वे दुबारा 5 दिसम्बर 1993 को यूपी के सीएम चुने गए. समाजवादी पार्टी और किसान नेता के रूप में उभरे मुलायम सिंह साल 29 अगस्त 2003 को तीसरी बार यूपी के सीएम चुने गए थे.
जनता के बीच लोकप्रिय नेता की रही छवि
मुलायम सिंह यादव जनता के बीच सामाजिक सद्भावना को स्थापित करने को लेकर जन- जन के प्रिय थे. समाजवादी पार्टी के नाम पर लोग नेताजी को ही जानते थे. हालांकि इसके बाद उनके बच्चे भी राजनीति में सक्रिय हुए लेकिन मुलायम सिंह यादव को जनता का प्यार हमेशा ही मिलता रहा. नेताजी के आखिरी समय में लाखों करोड़ों जनता की दुआएं उनके साथ थी लेकिन आखिरकार वे चल बसे.
आपकों बता दें मुलायाम सिंह राजनीति में आने से पहले शिक्षक भी रह चुके हैं. उन्होंने हाई स्कूल में हिंदी और इंटर में सामाजिक विज्ञान पढ़ाया, वो बच्चों के फेवरेट टीचर में से एक थे. बच्चों को पढ़ाने के दौरान ही वो सामाजिक कार्यों में भी रुचि लेने लगे थे. इसके बाद वो शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गए थे.
साल 1967 में वो पहली बार विधायक बने थे तब वो केवल 28 साल के थे. 1977 में मुलायम सिंह यादव को पहली बार यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया. वह 1989 से 1991 और इसके बाद 2007 तक वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. मुलायम सिंह यादव हर क्षेत्र में कुशल रहे हैं. आज हम आपसे मुलायम सिंह यादव के टीचर से लेकर राजनीति सफर के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं.
120 रुपए मिलता था वेतन
मुलायम सिंह ने शैक्षणिक करियर करहल क्षेत्र के जैन इंटर कॉलेज से शुरू किया था. उन्होंने 1959 में इंटर करने के बाद सहायक शिक्षक के रुप में नौकरी शुरू की थी. जैन इंटर कॉलेज में मुलायम सिंह को एक अच्छे टीचर के रुप में याद किया जाता रहा है. बच्चों उनको बेहद पसंद करते थे, वे बच्चों के ऊपर हाथ उठाने का सख्त विरोध करते थे. वे हमेशा से बच्चों को कुछ अलग पढ़ाने की कोशिश करते थे. उन्होंने कभी भी अपने शिक्षक के कार्यकाल के दौरान बच्चों को कभी कभी रटा-रटाया पाठ नहीं पढ़ाया. बता दें उन्हें उस दौर में मात्र 120 रुपए वेतन मिलता था. उनकी राजनीति में बेहद रुचि थी जिसके चलते उन्होंने 1984 में शिक्षक पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं 1992 में उन्होंने जनता दल से अलग होकर समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी.
आखिर ‘नेता जी’ को कैसे मिली धरतीपुत्र की उपाधी, ये थीं मुख्य वजह
ज़मीन-जनता की समझ और मिट्टी से जुड़ा एक युग आज समाप्त हो गया. लोहिया जी की पाठशाला के सबसे सफल विद्यार्थी आज दुनिया को अलविदा करकर चले गए. मुलायम सिंह यादव को नेता जी के साथ धरतीपुत्र का तमगा भी मिला हुआ था. देशभर में उन्हे लोग धरतीपुत्र के नाम से जानते थे. इसका कारण ये नहीं था कि वे 8 बार विधायक और 7 बार सांसद रहे. बल्की धरतीपुत्र के पीछे की बहुत ही रोचक कहानी है. अब जब धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव इस दुनिया में नहीं रहे. तब उनके जीवन की सारी कहानियां एक-एक कर निकल कर आ रही हैं. आइये जानते हैं नेता जी को आखिर धरतीपुत्र की उपाधी कहां से मिली.
4 वर्ष की आयु में की थी पहली रैली अटेंड
22 नवंबर 1939 को जन्में मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में विरोधियों को कई बार हार का सामना कराया था. लोहियावादी नेता मुलायम सिंह पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के पैरोकार के रूप में जाने जाते रहे हैं. आपको बता दें कि नेताजी महज 4 वर्ष की आयु में रैली में शामिल हुए थे. जब उनकी उम्र महज 14 वर्ष की थी तत्कालीन केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार के खिलाफ रैली निकाली थी. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर नहर रेट आंदोलन में हिस्सा लिया. यही नहीं इस आंदोलन का प्रतिनिधित्व करते हुए मुलायमय सिंह यादव को जेल भी जाना पड़ा था.
सक्रिय राजनीति में हुए शामिल
आपको बता दें कि वर्ष 1954 में नेता जी ने सक्रिय राजनीति में एंट्री की थी. मुलायम सिंह यादव पहलवान थे. उन्होने अखाड़े में भी बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाई थी. इसके बाद 1967 में 28 वर्षीय मुलायम सिंह को अपनी सीट उपहार में देते हुए जसवंत नगर से इलेक्शन लड़वाया और मुलायम ने जीत हासिल कर सबसे कम उम्र वाले विधायक बन गए. नाथू सिंह ने ही मुलायम की मुलाकात डॉ राममनोहर लोहिया से करवायी थ. 1967 में जब छुआछूत जातीय व्यवस्था चरम पर थी उसी समय इस व्यवस्था का जमकर विरोध भी मुलायम सिंह यादव ने किया था.
ऐसे मिली धरतीपुत्र की उपाधी
जानकारी के मुताबिक मुलायम धरतीपुत्र की उपाधी अपने गुरू से मिली थी. जब उन्होने जसवंतनगर सीट पर 1968, 1974 और 1977 में हुए मध्यावधि चुनाव में सामने वाले उम्मीद्वार को धूल चटा दी थी. उसी वक्त सर्वहारा के हितों के लिए मुलायम सिंह ने आवाज उठाई. जब उन्हे नाथु सिंह ने धरतीपुत्र के नाम से नवाजा था. उसी वक्त से राजनीति में उनके नाम के आगे धरतीपुत्र भी जुड़ गया था. मुलायम सिंह की समाजवादी विचारधार और जनता में पकड़ मजबूत होने के चलते वे एक नहीं बल्की तीन बार यूपी की सत्ता पर काबिज हुए, इसके अलावा भारत के रक्षामंत्री का भी सफल कार्यकाल मुलायम सिंह यादव ने पूरा किया था.