देश में आज से 5जी सेवाएं (5G Services) शुरू हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narenra Modi) ने इसका शुभारंभ किया है। उन्होंने इसे नए युग की शुरुआत बताया है। टेलीकॉम सेक्टर (Telecom Sector) में यह बड़ा मील का पत्थर है। देश में मोबाइल टेलीफोन कम्यूनिकेशन का इतिहास करीब तीन दशक पुराना है। इसने देश में संचार क्रांति का रास्ता खोला। पहली बार 1995 में मोबाइल फोन से कॉल की गई। इसके पहले तक फिक्स्ड लाइन से ही बात होती थी। यानी तब तक देश में किसी ने चलते-फिरते बात नहीं की थी। उन दिनों सुखराम (Sukhram) केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री हुआ करते थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु (Jyoti Basu) को पहली मोबाइल कॉल मिलाई थी। हाथ में मोबाइल फोन लेकर बात करने की यह पहली घटना थी। वह 31 जुलाई का दिन था। नोकिया के सबसे शुरुआती मोबाइल फोनों से दोनों की बात हुई थी।
देश में मोबाइल टेलीफोन सेवा की शुरुआत होने के बाद इसने कई पड़ाव देखे। 2जी, 3जी और 4जी टेक्नोलॉजी के बाद 5जी तक का सफर रोमांचकारी था। जब देश में पहली मोबाइल कॉल हुई थी तब आज के दौर की किसी भी कंपनी का नेटवर्क नहीं था। बीके मोदी ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया के टेल्सट्रा के बीच ज्वाइंट वेंचर बना था। इसका नाम था मोदी टेल्सट्रा मोबाइल नेट सर्विस। इस नेटवर्क सर्विस के जरिये सुखराम ने ज्योति बसु को मोबाइल फोन से कॉल किया था।
सुखराम और ज्योति बसु के बीच हुई थी बात
3 जुलाई 1995 को सुखराम और बसु के बीच यह बातचीत नई दिल्ली के संचार भवन और कलकत्ता (अब कोलकाता) की राइटर्स बिल्डिंग से हुई थी। मोदी टेल्सट्रा मोबाइल नेट सर्विस दोनों के बीच संपर्क की लाइन बनी थी। उस सेलुलर कॉल के जरिये कलकत्ता में मोबाइल नेट सर्विस की सेवा शुरू हुई थी। यह उन 8 कंपनियों में थी जिसे देश में सेलुलर सेवा देने का लाइसेंस मिला था।
उन दिनों आउटगोइंग और इनकमिंग दोनों के लिए पैसा लगता था। एक मिनट की कॉल दरें 8.4 रुपये तक थीं। यह कॉस्ट पीक मोबाइल फोन ट्रैफिक आवर्स में 16.8 रुपये प्रति मिनट तक पहुंच जाती थी। यही मोदी-टेल्सट्रा जीवी नेटवर्क बाद में स्पाइस बन गई थी। तब नेटवर्क को स्थापित करने में ही उसने भारी-भरकम खर्च किया था। कंपनी को उम्मीद थी कि जल्द ही उसे ग्राहकों का शानदार रेस्पॉन्स मिलेगा। भविष्य में 10 लाख लोग उसकी सेवाओं को इस्तेमाल कर सकते हैं।
मोबाइल फोन नहीं थे किफायती
तब मोबाइल फोन भी किफायती नहीं थे। इनकी कीमत उसी समय करीब 40 हजार रुपये थी। यानी तीन दशक की महंगाई को शामिल कर लें तो आज के हिसाब से यह करीब 2 लाख रुपये बैठती है।
तब से टेलीकॉम सेक्टर ने लंबा सफर तय किया है। आज देश का वायरलेस मोबाइल टेलीफोनी मार्केट बेहद बड़ा हो चुका है। इस मार्केट में रिलायंस की जियो की एंट्री के बाद तो चीजें और बदल गईं। इसने पूरा फोकस कॉल रेट के बजाय डेटा पर कर दिया। आज भारत में डेटा की कॉस्ट 4 रुपये गीगाबाइट से भी कम है। यह बेहद कड़ी प्रतिस्पर्धा वाला सेक्टर बन चुका है। इस सेक्टर में मुख्य रूप से तीन कंपनियां हैं। इनमें जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया शामिल हैं। जिस तरह की स्थितियां हैं, उनमें वोडा भी हांफ रही है।
शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘इंडियन मोबाइल कांग्रेस’ 2022 (आईएमसी) में देश के कुछ चुनिंदा शहरों में 5जी इंटरनेट सेवाओं का उद्घाटन किया। इस मौके पर रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने प्रजेंटेशन भी दी। उन्होंने देश में इस टेक्नोलॉजी के संभावित फायदों के बारे बताया।