ब्रिटेन में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार की तैयारियों के बीच पाकिस्तानी असामाजिक तत्वों ने हिंदू मंदिरों में तोड़़–फोड़़ की और भगवा ध्वज के साथ बेअदबी की। इस जघन्य अपराध की चाहे जितनी भी निंदा की जाए‚ कम है। यह घटना‚ पूर्वी इंग्लैंड़ के लेस्टर शहर की है। लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने भारतीय समुदाय के विरुद्ध हिंसा और हिंदू परिसरों में तोड़़–फोड़़ की कड़़ी निंदा की और दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। ब्रिटेन में भारतीय उपमहाद्वीप के देश भारत‚ पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों की संख्या काफी है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३७० को निरस्त कर जम्मू–कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के मुद्दे ने ब्रिटेन में रहने वाले पाकिस्तानी लोगों में भारत विरोधी भावना को काफी मजबूत किया है। अमेरिका और पश्चिमी देशों का सत्ता प्रतिष्ठान‚ सिविल सोसाइटी और मीडि़या का रुख भारत की राष्ट्रवादी सरकार के प्रति अनुकूल नहीं रहा है। अगस्त २०१९ में जब भारतीय संसद ने संविधान के अनुच्छेद ३७० को निरस्त किया था उसके बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्री ड़ोमिनिक रॉब ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए संसद में कहा था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३७० को हटाए जाने के बाद से कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच होनी चाहिए। अमेरिका और पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान भी भारत के विरुद्ध भी इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। जबकि यह भारत का आंतरिक मामला है और किसी भी देश को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं। इससे पहले भी कश्मीर के मुद्दे को लेकर ब्रिटेन में सक्रिय अलगाववादी और खालिस्तानी तत्वों ने भारतीय उच्चायोग पर विरोध प्रदर्शन किया था। लेस्टर की घटना के पीछे उन्हीं पाकिस्तान प्रायोजित प्रदर्शनकारियों का हाथ हो सकता है‚ जिन्होंने १५ अगस्त २०१९ को लंदन में भारतीय उच्चायोग में स्वतंत्रता दिवस समारोह को मनाने के लिए एकत्र हुए भारतीय और भारतीय मूल के लोगों पर हमला किया था। प्रदर्शनकारियों ने अंडे़ और पानी की बोतलों से प्रहार किया था। लेस्टर शहर की घटना के मूल में पिछले माह एशिया कप के दौरान भारत के हाथों पाकिस्तान की टीम की हार के बाद पैदा हुआ तनाव है। इसलिए इस पूरी घटना को सांप्रदायिक कोण से देखना उचित नहीं होगा। वास्तव में यह ब्रिटेन में सक्रिय कश्मीरी अलगाववादी‚ खालिस्तानी और भारत विरोधी पाकिस्तान समर्थकों की करतूत है‚ जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। ब्रिटेन की सरकार से इन तत्वों के विरुद्ध कड़़ी कार्रवाई की अपेक्षा है।
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