ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार 19 सितंबर को होगा। इसमें दुनियाभर के करीब 2000 मेहमान शिरकत करेंगे, जिनमें तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्ष, राज परिवार के सदस्य, राजनेता, उद्योगपति और दूसरे क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां शामिल हैं। भारत की तरफ से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, महारानी के अंतिम संस्कार में शामिल होने ब्रिटेन जाएंगी। समाचार एजेंसी AFP के मुताबिक वेस्टमिन्स्टर आबे (Westminster Abbey) में करीब 2 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है, इसलिये दुनिया भर के चुनिंदा राष्ट्राध्यक्षों और उनके साथ एक या दो मेहमानों को अंतिम विदाई में शामिल होने का न्योता दिया गया है।
किन्हें गया है न्योता?
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में तमाम देशों के राजपरिवारों के सदस्य भी शामिल होंगे। जिनमें जापान के राजा नारुहितो और महारानी मसाको भी शामिल हैं। यह अनूठा भी है क्योंकि जापान का कोई राजा शायद ही कभी किसी के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ हो। इसके अलावा नीदरलैंड के राजा विलियम एलेक्जेंडर, रानी मैक्सिमा और क्राउन प्रिंस बेट्रिक्स, बेल्जियन के राजा फिलिप, नॉर्वे के राजा हेराल्ड पंचम, डेनमार्क की महारानी मार्गरेट और मोनैको के युवराज अल्बर्ट भी अंतिम संस्कार में शामिल होने ब्रिटेन पहुंचेंगे। राजपरिवारों के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन व उनकी पत्नी जिल बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा एडर्न और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी एलबेनिस भी ब्रिटेन जाएंगे। इसके अलावा तुर्की, इजरायल और तमाम कॉमनवेल्थ देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भी आमंत्रित किया गया है।
शाही अंतिम संस्कार का इतिहास, इस बार यह कितना अलग होगा
डरहम (ब्रिटेन), 17 सितंबर (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन के महान शाही आयोजन प्राय: नए और पुराने का मेल रहे हैं, इस लिहाज से अबकी बार महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय का अंतिम संस्कार भी अपवाद नहीं होगा। इस बार आश्चर्यजनक रूप से कई नई विशेषताएं देखने को मिलेंगी, लेकिन ऐसा लगता है कि पारंपरिक तत्व उतने पुराने नहीं होंगे जितने वे दिखाई दे सकते हैं। कुछ नए तत्व अतीत का दोहराव हैं।
एलिजाबेथ द्वितीय के लिए सार्वजनिक शोक का आयोजन एक बहुत बड़ा राष्ट्रीय कार्यक्रम है। यह शोक कार्यक्रम आठ सितंबर को उनकी मृत्यु के साथ शुरू हुआ और 19 सितंबर को उनके अंतिम संस्कार के बाद समाप्त होगा।
आरंभिक अंतिम संस्कार
18 वीं शताब्दी के बाद से सभी ब्रिटिश शासकों को विंडसर में दफनाया गया था। एक लंबी अवधि तक विंडसर पैलेस के भीतर ही अंतिम संस्कार समारोह हुए। लेकिन वर्ष 1901 में 63 वर्षों के लंबे शासन के बाद महारानी विक्टोरिया के निधन के साथ परिवर्तन शुरू हुए, ताकि राजशाही को और अधिक सार्वजनिक किया जा सके। ऐसा शाही परिवार के प्रति अधिक लोकप्रियता को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था, क्योंकि समाज अधिक लोकतांत्रिक होता जा रहा था।
महारानी विक्टोरिया के अंतिम संस्कार के दिन को राष्ट्रीय शोक का दिन घोषित किया गया और इस दिन सभी काम बंद रहे। ऐसा इस उम्मीद में किया गया था कि बड़ी संख्या में लोग स्मारक चर्च सेवाओं में भाग ले सकें जो तब सार्वजनिक दुख और सम्मान व्यक्त करने का मुख्य साधन था।
महारानी विक्टोरिया का निधन आइल ऑफ वाइट में उनके घर हुआ था। इसके बाद उनके ताबूत को विंडसर तक ले जाने के दौरान लंदन भर में एक लंबा और धीमा जुलूस निकाला गया, जिसमें लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। बाद के शासकों के निधन पर भी सार्वजनिक जुलूस उनकी अंत्येष्टि का अहम हिस्सा रहे।
एक सार्वजनिक मामला विक्टोरिया के उत्तराधिकारियों के निधन के बाद अंतिम संस्कार में जनता को शामिल करने के लिए और उपाय किए गए। वर्ष 1910 में लंदन में एडवर्ड सप्तम का निधन हुआ, तो राज्य में उनके ताबूत को वेस्टमिंस्टर हॉल में सार्वजनिक रूप से रखने की शुरुआत हुई। उनके बेटे, जॉर्ज पंचम, ने जोर देकर कहा कि पहुंच ‘लोकतांत्रिक’ होनी चाहिए और 3,00,000 लोगों ने ताबूत के पीछे जुलूस में शामिल होकर श्रद्धांजलि दी।
वर्ष 1936 में जॉर्ज पंचम के अंतिम संस्कार पर शोक दिवस को आर्थिक गिरावट के कारण दो मिनट के राष्ट्रीय मौन में तब्दील कर दिया गया था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रमुख चेहरा बनकर उभरे महाराजा जॉर्ज छठे का निधन वर्ष 1952 में हुआ, तो उनके अंतिम संस्कार में दो नई चीजें शामिल की गईं।
विंडसर में महाराजा जॉर्ज-छठे के अंतिम संस्कार के अवसर पर सेंट पॉल कैथेड्रल में एक विशेष स्मरण सेवा आयोजित की गई, जिसमें सरकार, संसद और अन्य राष्ट्रीय नेताओं के सदस्य शामिल हुए। लंदन में स्मरण सेवा और अंतिम संस्कार के जुलूस का टेलीविजन और रेडियो पर प्रसारण किया गया। पहली बार शाही अंतिम संस्कार का इस तरह प्रसारण किया गया।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार वर्ष 1901 के बाद से शाही अंतिम संस्कार के कई पहलू 2022 की व्यवस्थाओं के अभिन्न अंग रहे, लेकिन कुछ नए तत्व भी हैं। इनमें से कुछ विशेषताएं टेलीविजन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रगति की देन हैं, कुछ विशेषताओं का संबंध इस बात से है कि महारानी विक्टोरिया की तुलना में महारानी एलिजाबेथ को अधिक लंबे शासन के लिए श्रद्धांजलि दी जा रही है।
महारानी के अंतिम संस्कार से पहले रविवार की शाम अब एक मिनट का मौन रहेगा और साथ ही अंतिम संस्कार के दिन भी दो मिनट का मौन रखा जाएगा। राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने का चलन फिर से शुरू होने से सार्वजनिक भागीदारी भी बढ़ेगी। इससे जहां बड़ी संख्या में दर्शक टेलीविजन पर अंतिम संस्कार समारोह को देख सकेंगे, वहीं लंदन में निकाले जाने वाले जुलूस मार्ग में लोग बड़ी संख्या में एकत्र होंगे।
भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तीन दिन के दौरे पर ब्रिटेन पहुंच चुकी हैं. इस दौरान वे सोमवार को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में भाग लेंगी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन समेत अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी लंदन पहुंच चुके हैं.
लंदन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में रिसेप्शन का आयोजन.
भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शनिवार देर शाम लंदन पहुंच गईं. 17 सितंबर से शुरू तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन यानी 19 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में भाग लेंगी. शनिवार को लंदन पहुंचने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत सरकार की ओर से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि दी. गौरतलब है कि 96 साल की उम्र में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 8 सितंबर को स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल में निधन हो गया था. महारानी के वेस्टमिंस्टर एब्बे में होने वाले अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) पत्नी जिल बाइडन और ऑस्ट्रेलिया, न्युजीलैंड के प्रधानमंत्री समेत अन्य देश के राष्ट्राध्यक्ष भी लंदन पहुंच चुके हैं.
राष्ट्रपति मुर्मू समेत अन्य वैश्विक नेताओं के सम्मान में बकिंघम पैलेस में रिसेप्शन
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार से पहले शनिवार देर रात भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत अन्य वैश्विक नेताओं के सम्मान में सम्राट चार्ल्स तृतीय ने बकिंघम पैलेस में रिसेप्शन का आयोजन किया. इस रिसेप्शन से पहले ब्रिटेन की नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथोनी अल्बनीज और न्यूजीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डेर्न से अपने निवास पर मुलाकात की. कनाडा के प्रधानंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी महारानी एलिबाबेथ के लिए शोक संदेश लिख अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
एस जयशंकर ने भी दी थी श्रद्धांजलि
भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के ब्रिटेन पहुंचने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटिश दूतावास में महारानी को श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके बाद विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के 70 वर्षों के शासनकाल में भारत-ब्रिटेन के संबंध काफी विकसित हुए, फले-फूले और मजबूत बने हैं. राष्ट्रमंडल के प्रमुख के रूप में उन्होंने दुनिया भर के लाखों लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गौरतलब है भारत में भी महारानी एलिजाबेथ के निधन पर बीते रविवार राजकीय शोक रखा गया था.