बेगूसराय फायरिंग कांड के बाद बिहार पुलिस पर नाकामी की तोहमत लग हुई है। अभी तक पुलिस अपराधियों को पकड़ना तो दूर, उनकी जानकारी तक हासिल नहीं कर पाई है। मसलन वो अपराधी कौन थे, कहां के रहने वाले थे और उन्होंने क्यों इस घटना को अंजाम दिया। अब इस कांड पर विपक्षी बीजेपी ने एक और तीखा हमला बोलते हुए पुलिस की थ्योरी और नीतीश सरकार के सुशासन पर सवाल उठा दिए हैं। बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने इस पूरे कांड में पुलिस पर सवाल उठाते हुए बिहार में सुशासन के दावे पर तीखा हमला बोला है।
क्या साइकोपैथ पर्सनाल्टी हैं बेगूसराय गोलीकांड के आरोपी?
मनोचिकित्सक के अनुसार बेगूसराय की घटना को प्राइमरी तौर पर देखें तो यह पूरी तरह से साइकोपैथ का मामला लगता है। जिस तरह से मीडिया में खबर आई है कि दोनों शख्स बाइक पर सवार होकर गोली चलाता जा रहा था। जो भी सामने आ रहा था उसे मारता जा रहा था। इससे पता चलता है कि उसके अंदर कितना अग्रेसन है। कितनी घृणा है उसके अंदर। ये बातें संकेत करती हैं कि वह शख्स पूरी तरह से साइकोपैथ पर्सनाल्टी है।
क्या यह समाज में डर का माहौल पैदा करने की सोच हो सकती है?
मनोचिकित्सक ने बताया कि अपराधीकरण के कई तरीके होते हैं। दहशत फैलाने के लिए घर के आगे भी चिल्लाया जा सकता है। कई ह्यूमन का नेचर होता है कि समाज और देश में दहशत फैलाकर आगे के मंसूबे को पूरा किया जाए। इसका सबसे अच्छा उदाहरण हाल ही में अफगानिस्तान में देखने को मिला। जहां तालिबान ने पूरे देश में पहले हर उस काम को किया जिससे समाज में उनकी दहशत फैले। इस केस में अपराधी की मंशा क्या थी यह तो उसकी गिरफ्तारी के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह डर पैदा करने का ही एक तरीका है। जरा सोचिए लोग वहां से गुजर रहे हैं और उनपर कोई गोली चलाकर चला गया। यह पूरी तरह से घृणित है। इस तरह की घटना का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होता है कि अगर इसमें जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो समाज में इस प्रवृति के दूसरे लोग भी इससे प्रेरित होंगे।
क्या यह समाज में डर का माहौल पैदा करने की सोच हो सकती है?
उन्होंने ने बताया कि अपराधीकरण के कई तरीके होते हैं। दहशत फैलाने के लिए घर के आगे भी चिल्लाया जा सकता है। कई ह्यूमन का नेचर होता है कि समाज और देश में दहशत फैलाकर आगे के मंसूबे को पूरा किया जाए। इसका सबसे अच्छा उदाहरण हाल ही में अफगानिस्तान में देखने को मिला। जहां तालिबान ने पूरे देश में पहले हर उस काम को किया जिससे समाज में उनकी दहशत फैले। इस केस में अपराधी की मंशा क्या थी यह तो उसकी गिरफ्तारी के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह डर पैदा करने का ही एक तरीका है। जरा सोचिए लोग वहां से गुजर रहे हैं और उनपर कोई गोली चलाकर चला गया। यह पूरी तरह से घृणित है। इस तरह की घटना का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होता है कि अगर इसमें जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो समाज में इस प्रवृति के दूसरे लोग भी इससे प्रेरित होंगे।
सान के अंदर बेगूसराय जैसी वारदात देने की भावना कैसे पनपती है?
मनोचिकित्सक ने बताया कि बेगूसराय जैसी वारदात को अंजाम देने की भावना इंसान के अंदर कई चीजों को लेकर पनप सकती है। पहला तो इंसान का फ्रस्टेशन होता है। कई बार फ्रस्टेशन इतना बढ़ जाता है कि वह अग्रेशन में बदल जाता है। ज्यादा अग्रेशन होने पर वह बगावती तेवर में बदल जाता है। हालांकि यह यह पर्सन टू पर्सन बदलता है। अगर कोई मानसिक रोगी होगा वह भी ऐसा कर सकता है। लेकिन इस केस में ऐसा नहीं प्रतीत हो रहा है। मानसिक रूप से बीमार या साधारण शब्दों में कहें तो पागल शख्स 30 किलोमीटर तक बाइक चलाकर गोली नहीं चला सकता है। यह पूरी तरह से एंटी सोशल+साइकोपैथ का केस प्रतीत हो रहा है। इस तरह के लोगों के पारिवारिक माहौल को देखना जरूरी है।
क्या नशे की हालत में कोई इस तरह की वारदात को अंजाम दे सकता है?
लॉकडाउन के बाद युवाओं में तरह-तरह के नशा करने की आदत बढ़ी है। हो सकता है कि नशे की हालत में बेगूसराय गोलीकांड जैसे वारदात को अंजाम दिया गया है। ध्यान देने की बात यह है कि अगर अपराधी नशे की हालत में थे तो इतनी दूर बिल्कुल सही तरीके से बाइक कैसे ड्राइव करकर चले गए। जगह-जगह रुकरुक कर गोलियां कैसे चलाई। कुल मिलाकर देखें तो दोनों अपराधी की गिरफ्तारी के बाद ही इन सवालों का सही जवाब तलाशा जा सकता है।
साइको किलर वाली थ्योरी मनगढ़ंत- बीजेपी
बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद के मुताबिक ‘बिहार के बेगूसराय जिले में खुल्लमखुल्ला दिनदहाड़े गोलीबारी की घटना बहुत ही चौंकाने वाली है> जिस तरह से अपराधी 2 से 3 घंटे तक छह पुलिस स्टेशनों वाले 25 किमी क्षेत्र में घूम रहे थे, अपराधियों ने 50 से अधिक राउंड फायरिंग की, जिसमें 11 लोगों को गोली मार दी गई और एक की मौत हो गई। हास्यास्पद बात यह है कि इस पूरी घटना के दौरान अपराधियों को सेफ पैसेज मिला हुआ था क्योंकि उन्हें रोकने के लिए कोई पुलिस या प्रशासन उस 25 किलोमीटर के दायरे में मौजूद नहीं था।’
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बिहार में सुशासन खत्म- निखिल आनंद
निखिल आनंद यहीं नहीं रुके। आगे उन्होंने कहा कि ‘बिहार में पूरी तरह से कानून- व्यवस्था की स्थिति अत्यंत ही दयनीय हो गई है। सरकार कह रही है कि मामले की जांच की जा ही है और अपराधी पकड़ से बाहर है। यह आश्चर्य की बात है कि जब पुलिस अपराधियों के बारे में अनजान है तो वे साइको किलर का सिद्धांत कैसे पेश कर सकते हैं? एक व्यक्ति साइको किलर हो सकता है लेकिन क्या साइको किलर बिहार में समूह में प्लान बनाकर घुमते हैं? सरकार और पुलिस- प्रशासन हवा में और मीडिया के सामने साइको किलर के मनगढ़ंत सिद्धांत प्रस्तुत कर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे है। मैं सीएम नीतीश कुमार जी से अनुरोध करता हूं कि कृप्या बिहार की जनता को इतना मूर्ख मत बनाइये।’
बेगूसराय फायरिंग कांड में अब तक
बेगूसराय फायरिंग कांड में अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस को अपराधियों के बारे में अभी तक कोई जानकारी भी नहीं मिली है। उधर वारदात में घायल तीन लोगों को बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया गया है। इस कांड में 9 लोग घायल हुए जबकि एक शख्स की मौत हो चुकी है।